बाल मनोविज्ञान | Child Psychology in Hindi

बाल मनोविज्ञान (Child Psychology) मनोविज्ञान की एक शाखा है। जिसके अंतर्गत बालकों के व्यवहार एवं उनके अंतरमन का अध्ययन किया जाता हैं। यह अधुनिकता के कार्यो का ही परिणाम हैं। शिक्षा में इसके प्रयोग के आधार पर ही वर्तमान शिक्षा को बाल-केंद्रित शिक्षा का रूप दिया गया हैं।

यह शिक्षा के क्षेत्र में नई खोज हैं, जो छात्रों की वास्तविक आवश्यकताओं की पूर्ति करने का निरंतर प्रयास करती हैं। इसको मनोविज्ञान की शाखा इसीलिए कहा जाता हैं क्योंकि इसके अंतर्गत मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो,मानकों एवं विचारों को सम्मिलित किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि बाल मनोविज्ञान क्या हैं। What is Child Psychology

बाल मनोविज्ञान क्या हैं? | Child Psychology in Hindi

Child Psychology Kya Hai Hindi

यह वह धारणा है, जिसका उद्देश्य बालकों के सर्वांगीण विकास करना है। इसका निर्माण का उद्देश्य बालकों के मानसिक,शारीरिक,सामाजिक,सांस्कृतिक का विकास करना हैं। यह छात्रों के मानसिक विकास को केंद्र बिंदु मानकर कार्य करती हैं।

इसका केंद्र बिंदु बालक होता हैं एवं इसके अंतर्गत बालकों के व्यवहार व उनके व्यक्तित्व से संबंधित समस्त पहलुओं का अध्ययन किया जाता हैं। यह बालकों के लाभ से जुड़े समस्त मनोवैज्ञानिक तथ्यों को उजागर करने का कार्य करता हैं।

बाल मनोविज्ञान में छात्रों की प्रत्येक अवस्थाओं (गर्भावस्था, शैशवास्था,बाल्यावस्था,किशोरावस्था) का बारीकी से अध्ययन किया जाता हैं। जिससे उनमें होने वाले विकास को उचित दिशा प्रदान की जा सकें।

बाल मनोविज्ञान की परिभाषा | Definition of Child Psychology

क्रो एवं क्रो महोदय के अनुसार -“यह एक मनोवैज्ञानिक अध्ययन हैं, जिसमें बालकों के गर्भावस्था से किशोरावस्था तक का अध्ययन किया जाता हैं।”

थॉमसन महोदय के अनुसार -“यह सभी को एक नई दिशा प्रदान करने का कार्य करता है एवं उसे उचित रूप प्रदान करने का कार्य करता हैं। जिससे विकास की दिशा को उचित रूप दिया जा सकें।”

बाल मनोविज्ञान की विशेषता | Characteristics of Child Psychology

● इसका केंद्र बिंदु बालक होता हैं।

● इसके अंतर्गत बालकों के व्यवहार का अध्ययन मनोवैज्ञानिक पद्यति के आधार पर किया जाता हैं।

● यह छात्रों के विकास को उचित दिशा प्रदान करने का कार्य करता हैं।

● बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की ही एक शाखा हैं। जिसका विकास एवं उपयोग आधुनिक समय में अधिक किया जाता हैं।

● इसके अंतर्गत बालकों के व्यवहार में हो रहे परिवर्तन को जानकर उसको सही दिशा प्रदान करने हेतु विभिन्न योजनाओं का निर्माण किया जाता हैं।

बाल मनोविज्ञान के सिद्धान्त | principles of child psychology

1) मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत – इस सिद्धांत का प्रतिपादन मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड द्वारा किया गया हैं। इनके अनुसार व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपनी क्षमताओं में वृद्धि करने का कार्य करता हैं। यह सिद्धांत आधुनिक समय का प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिद्धांत हैं।

2) व्यवहारवादी सिद्धांत – इस सिद्धांत का प्रतिपादन मनोवैज्ञानिक जॉन डॉलर एवं पी.जे नीर द्वारा किया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार बालकों के व्यवहार के आधार पर बालकों की मनोदशा को आसानी से समझा जा सकता हैं। अर्थात उनकी आवश्यकता एवं उनके मन-मस्तिष्क में चल रहे द्वंद को आसानी से पहचाना जा सकता हैं।

3) संज्ञानात्मक सिद्धांत – इस सिद्धांत का प्रतिपादन मनोवैज्ञानिक गेस्टाल्ट द्वारा किया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार बालकों की बुद्धि एवं ज्ञान में हो रहे परिवर्तनों के आधार पर उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आते रहता हैं।

बाल मनोविज्ञान की शिक्षा में क्या उपयोगिता हैं?

आधुनिक शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों की प्राप्ति करने एवं शिक्षा को प्रभावशाली बनाने हेतु बाल मनोविज्ञान को शिक्षा में सम्मिलित किया जाना अति आवश्यक हो गया है। यह पाठ्यक्रम,समय-सारणी,विद्यालयी कार्यक्रम,सह-पाठ्यक्रम सामग्री के चयन आदि में अपनी सक्रिय भूमिका निभाती हैं। आधुनिक शिक्षा में हो रहे बदलावों का कारण भी यही हैं।

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शिक्षा को बाल केंद्रित बनाने का कारण छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार शिक्षा प्रदान करवाना हैं। जिससे वह अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार अपना बौद्धिक विकास कर सकें। यह सभी बाल मनोवैज्ञानिक पद्यति के बलबूते ही संभव हो पाया हैं।

बाल मनोविज्ञान पद्यति के क्या लाभ हैं?

यह छात्रों के व्यवहार में हो रहें अवांछनीय बदलावों को उचित दिशा प्रदान करने का कार्य करती हैं। जिससे उनमें हो रहे विकास की प्रक्रिया को तीव्र किया जा सकें। यह राष्ट्र के विकास एवं उसके चरित्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाती हैं।

सामाजिक आवश्यकताओं और शिक्षा के वास्तविक लक्ष्यों के निर्माण करने एवं छात्रों के मानसिक,बौद्धिक विकास को उचित दिशा एवं गति प्रदान करने का कार्य इसके अंतर्गत ही किया जाता हैं।

निष्कर्ष

आधुनिक बदलते सामाजिक परिप्रेक्ष्य के अनुरूप छात्रों के व्यवहार एवं उनकी मनोस्थिति में निरंतर बदलाव आ रहा हैं। अपितु उनको उचित दिशा दिखाने एवं उनकी विकास की गति को तीव्र करने हेतु बाल मनोविज्ञान को अपनाना एवं शिक्षा में इसे लागू करना आवश्यक हो गया हैं। जिससे उनके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाया जा सकें।

दोस्तों आज आपने जाना कि बाल मनोविज्ञान क्या है? (Child psychology in Hindi) इसका अर्थ,परिभाषा,सिद्धांत आदि। अगर आपको हमारी यह पोस्ट लाभदायक लगी हो और आपको पढ़ने मे आनंद की अनुभूति हुई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।

3 thoughts on “बाल मनोविज्ञान | Child Psychology in Hindi”

  1. जानकारी बहुत अच्छा दी! मुझे जानना है बहुत अधिक जिद्द करने वाले चीखने वाले बच्चे को कैसे व्यवस्थित करे?

    1. सुमन ऐसे बच्चो को प्रायः प्यार से समझाना लाभदायक सिद्ध होता हैं। इस प्रकार के छात्रों को नियंत्रण करने हेतु आप उन्हें अच्छे बच्चे होने के लाभ बताये और सबसे महत्वपुर्ण उन्हें उनके विपरीत व्यव्हार करने वाले छात्रों के साथ रखने का एव समय व्यतीत करने का अवसर दें।

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