जातिवाद (Casteism) क्या हैं ?

जातिवाद Casteism एक प्रथा है जिसमें अपनी किसी विशिष्ट जाति को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और अन्य जाति के व्यक्तियों को घृणा की नजर से देखा जाता हैं। वर्तमान समाज की संप्रभुता में यह एक खतरा हैं जातिवाद प्राचीन प्रथा की देन है प्रारंभ से ही जाति को महत्व दिया जाता है।

प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी जाति (ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य,शुद्र) का होता है और वह अपनी जाति को श्रेष्ठ मानकर अन्य व्यक्तियों को हीन नजर से देखता है यह सामाजिक एकता का दुश्मन है दोस्तो आज हम जनिंगे कि जातिवाद (Casteism) क्या हैं और इसके नुकसान।

जातिवाद (Casteism) क्या हैं?

जातिवाद (Casteism) क्या हैं?

जब किसी समाज मे विभिन्न जाति के लोग होते है किसी एक शहर में जब किसी जाति के लोग अधिक होते है तो वहाँ अल्पसंख्यक जाति वाले लोगों का शोषण किया जाता हैं और यह शोषण जाति को लेकर भेद-भाव से जन्म लेता है जिसे सामान्य शब्दों में जातिवाद के नाम से संबोधित किया जाता हैं। सामान्यतः विभिन्न जातियों के अपने-अपने रीति-रिवाज, वेष-भूषा,खान-पान एवं भाषाओं में विभिन्नता पाई जाती है और यह विभिन्नता उनके मध्य भेद को प्रकट करती है और प्रत्येक जाति के लोग अपनी ही परंपराओं को सर्वोपरी समझते है यही कारण है कि आधुनिक युग मे भी जातिवाद जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं।

प्रारंभ में यह देखा जाता था कि ब्राह्मण कुल की जाति को सर्वोपरी स्थान दिया जाता था उसके बाद क्षत्रिय, वैश्य और फिर शुद्र निचली जाति को शिक्षा से भी वंचित रखा जाता था और इस जातिवादी प्रथा का शिकार भारतीय संविधान के निर्माता भीमराव अम्बेडकर भी हुए। इसी कारण उन्होंने भारतीय संविधान की रूपरेखा इन बुराइयों को ध्यान में रखकर की। जातिवाद एक कुप्रथा है जिसे समाज में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। यह समाज को बांटने का कार्य करता हैं जातिवाद Casteism आधुनिक सभ्य समाज के लिए एक विशाल धब्बा हैं।

भारत में जातिवाद

भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश हैं भारत मे विभिन्न जाति धर्म के लोग एक साथ निवास करते हैं यही जाति, रीति-रिवाज, वेश-भूषा, खान-पान में अनेकों विभिन्नतायें देखने को मिलती हैं। यहाँ का संविधान विभिन्नता में एकता की रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया हैं। भारत मे जातिवाद को एक प्रमुख मुद्दे के रूप में स्वीकार किया जाता हैं अगर हम चुनाव की बात करें तो हर चुनाव में जातिवाद को प्रमुख स्थान दिया जाता है प्रत्येक दल जाति के आधार पर वोटों को अपने पक्ष में लाने का प्रयास करता हैं।

हम देखते हैं कि उत्तरप्रदेश के चुनावों में बहुसंख्यक के आधार पर यादवों के वोटों को मुद्दा बनाया जाता हैं। ऐसे ही गुजरात में पटेलों को टारगेट किया जाता है और प्रतिनिधियों का चयन भी बहुजाति के लोगों को ध्यान में रखकर ही किया जाता हैं। भारतीय इतिहास में जाति को प्रारंभ से ही प्रमुख स्थान दिया जाता हैं प्रारंभ से ही ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के आधार पर लोगों का विभाजन किया गया हैं। वर्तमान समय मे ही जाति के आधार पर भेद-भाव किया जाता हैं।

जातिवाद के नुकसान या हानियां –

● जातिवाद एक ऐसा साधन है जो समाज या राष्ट्र को बांटने का कार्य करता हैं।

● जातिवाद राष्ट्रीय एकता, सम्प्रभुता एवं सामाजिक एकता में बाधक का कार्य करता हैं।

● जातिवाद विद्रोह एवं क्रांति का वातावरण व्याप्त करता है जातिवाद अहिंसा का सहारा लेकर अनुशासनहीनता को जन्म देती हैं।

● जातिवाद किसी भी देश के लोकतंत्र के लिए घातक है यह बंधुत्व की भावना के लिए खतरा हैं।

● जातिवाद किसी भी देश के विकास को नुकसान पहुचाता है जातिवाद से व्याप्त विद्रोह एवं अहिंसा के कारण जान-माल का भी नुकसान होता हैं जिससे उसके विकास में बाधा आती हैं।

निष्कर्ष –

जातिवाद किसी भी समाज के लिए खतरा हैं यह आंतरिक एकता को तोड़ने का कार्य प्रबलता से करता हैं। जातिवाद का जन्म कट्टरता से होता है। यह मानसिक विचारों में धर्म,जाति के प्रति एकरूपता लाने का कार्य करती हैं यह सामाजिक सम्प्रभुता के लिए एक खतरा हैं। हर देश को चाहिए कि वह जातिवाद जैसे प्रभावों से बचें तभी वह अपने राष्ट्र का विकास कर सकते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं तभी उनकी सम्प्रभुता को सुरक्षित रखा जा सकता है। तो दोस्तों आज आपने जाना जातिवाद (Casteism) क्या है और इसके नुकसान। अगर आपको यह सूचना सही और सम्पूर्ण लगी हो तो अपने मित्रों को भी यह पोस्ट सांझा करें और अपने सुझावों हेतु कमेंट करें।

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2 thoughts on “जातिवाद (Casteism) क्या हैं ?”

  1. Apki post se राष्ट्रवाद, जातिवाद, पूंजीवाद आदि। Ki definition विस्तार पूर्वक समझ पाया हूं sir……

    धन्यवाद सर,

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