भारतीय संविधान का इतिहास-History of Indian Constitution in Hindi

भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution): भारतीय संविधान के निर्माण का सुझाव सर्वप्रथम स्वराज पार्टी ने 1924 में दिया। भारत जैसे विशाल देश जिसमें अनेक धर्मों एवं समुदायों के लोग एक साथ निवास करते हैं। ऐसे देश के क्रमबद्ध संचालन हेतु जरूरी था कि किसी ऐसी नीति का निर्माण किया जाए जिससे भारतीय शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जा सकें।

दोस्तों, आज हम भारतीय संविधान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कारिंगे। जिसमें हम भारतीय संविधान का इतिहास History of Indian Constitution, भारतीय संविधान की विशेषता और प्रस्तावना के संबंध में भी विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त कारिंगे।

भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution) क्या हैं?

भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution) क्या हैं?

संविधान के निर्माण हेतु 1946 में एक सभा का निर्माण किया गया जिसे संविधान सभा के नाम से जाना जाता हैं। उस समय संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 थी। संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली में स्थित एक पुस्तकालय भवन में हुई। अनुभवकारी डॉ० सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष घोषित किया गया और डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष के रूप में चुना गया।

यह संविधान सभा की प्रथम बैठक थीं। इस बैठक जवाहर लाल नेहरू ने संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) को संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसको भारतीय संविधान की प्रस्तावना के रूप में जाना जाता हैं।

भारत का संविधान कैसे बना ?

देश के विभाजन के पश्चात 31 अक्टूबर 1947 को संविधान सभा का पुनःनिर्माण किया गया। भारतीय संविधान के निर्माण हेतु एक समिति का गठन किया गया। जिसने अपनी रिपोर्ट 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा मे प्रस्तुत की।

इस रिपोर्ट पर पहली चर्चा 4 नवंबर से 9 नवंबर 1948 तक चली। उसके बाद इस रिपोर्ट पर दूसरी चर्चा 15 नवंबर 1948 से 17 अक्टूबर 1949 तक चली और इसकी तीसरी यानि अंतिम चर्चा 14 नवंबर 1949 से 26 नवंबर 1949 तक चली। इसके पश्चात संविधान सभा ने भारतीय संविधान को पारित कर दिया। जिसको 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।

भारतीय संविधान indian constitution के निर्माण की प्रक्रिया 2 वर्ष 11 माह 18 दिनों तक चली और इसके निर्माण में 63,96,729 रु का खर्चा हुआ। जिस समिति ने भारतीय संविधान का प्रारूप संविधान सभा के सम्मुख प्रस्तुत किया। उस समिति के अध्यक्ष डॉ० भीमराव अंबेडकर थे, इसीलिए उनको भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में देखा जाता हैं। वर्तमान समय में संविधान के अनुच्छेदों की कुल संख्या 464 हैं और 12 अनुसूचियों के साथ यह 22 भागों में विभक्त हैं।

भारतीय संविधान की विशेषता

● धर्मनिरपेक्ष – भारत विभिन्न धर्मों का देश हैं। यहाँ बहुत से धर्म के लोग निवास करते हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध सभी धर्मों के लोग यहाँ समन्वय स्थापित कर एक साथ राष्ट के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारतीय संविधान (History of Indian Constitution) का निर्माण भी इसी को ध्यान में रखते हुए किया गया।

● शक्ति का विकेन्द्रीकरण – कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका के मध्य शक्तियों का विकेन्द्रीकरण किया गया हैं। ऐसे ही राज्य और केंद्र के मध्य की शक्तियों का बंटवारा किया गया हैं। जो लोकतंत्र के लिए अति महत्वपूर्ण हैं।

● मौलिक अधिकार – भारतीय नागरिकों को संविधान के द्वारा मौलिक अधिकार प्रदान किये गए हैं जिसमें-

  • समानता का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • शिक्षा और संस्कृति का अधिकार
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार

● लिखित संविधान – भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं। विशाल जनसंख्या के अनुसार इसके क्षेत्र और इसकी नीतियों में भी व्यापकता को सम्मिलित किया गया हैं।

● स्वतंत्र न्यायपालिका – न्यायपालिका की स्वतंत्रता की भारतीय संविधान द्वारा स्वीकार किया गया हैं और यह लोकतंत्र की रक्षा हेतु बहुत उपयोगी हैं कि न्यायपालिका को स्वतंत्र रखा जाए।

● कठोर संविधान – भारतीय संविधान को कठोर संविधान कहा जाता है क्योंकि भारतीय संविधान के संशोधन में जो प्रक्रिया अपनाई जाती हैं वह बहुत व्यापक हैं।

● संसदीय शासन प्रणाली – भारतीय संविधान के द्वारा संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया हैं। जिसमें शक्तियों के केंद्र के रूप संसद को स्वीकार किया गया। हम देखते हैं कि कोई भी कानून सर्वप्रथम संसद में ही पेश किया जाता हैं और संविधान संशोधन की प्रक्रिया का क्रियान्वयन भी संसद में होता हैं।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

भारतीय संविधान की प्रस्तावना को 42 वें संवैधानिक संशोधन के अंतर्गत 1976 में जोड़ा गया। जिसमें निम्न तथ्यों को सम्मिलित किया गया –

हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष (धर्मनिरपेक्ष), लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, न्याय और धर्म की उपासना आदि तथ्यों को प्रस्तावना में सम्मिलित किया गया।

भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution)की प्रस्तावना के मुख्य बिंदु-

● भारतीय संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) को संविधान का केंद्र माना जाता हैं।

● भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन नहीं किया जा सकता।

● भारतीय संविधान में 42 वें संशोधन के तहत समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्दों को सम्मिलित किया गया।

भारतीय संविधान की धारा 370

संविधान सभा ने 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशिष्ट राज्य का दर्जा प्रदान किया। जिसमें उसे खुद के कानून बनाने एवं एक स्वतंत्र शासन व्यवस्था बनाने का अधिकार प्रदान किया गया ।

भारतीय संविधान की धारा 370 के अनुसार भारत सरकार द्वारा बनाया गया कोई भी कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नही होगा क्योंकि उसे 370 के तहत विशेष अधिकार प्रदान किये गए हैं। यह भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के लिए अच्छा नही था। इस बात का अनुभव करते हुए मोदी सरकार ने संसद में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 5 अगस्त 2019 को प्रस्तुत किया जो संसद में पास हो गया और अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया।

भारतीय संविधान का इतिहास प्रश्नोत्तरी (Questions of History of Indian Constitution)

प्रश्न1- संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर- डॉ० सच्चिदानंद सिन्हा।

प्रश्न2- भारतीय संविधान के इतिहास की नींव किस पार्टी ने दी?
उत्तर- स्वराज पार्टी।

प्रश्न3- संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष कौन थें?
उत्तर- डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।

प्रश्न4- भारतीय संविधान को बनने में कितना समय लगा?
उत्तर- 2 वर्ष 11 माह 18 दिन।

प्रश्न5- संविधान को बनाने में कुल कितना व्यय हुआ?
उत्तर- 6396729 रु।

प्रश्न6- संविधान की धारा 370 किस राज्य से सम्बंधित थीं?
उत्तर- जम्मू-कश्मीर।

प्रश्न7- अनुच्छेद 370 कब लागू हुआ?
उत्तर- 17 अक्टूबर 1949।

प्रश्न8- अनुच्छेद 370 कब समाप्त हुआ?
उत्तर- 5 अगस्त 2019।

प्रश्न9- भारतीय संविधान की प्रस्तावना कौन से संवैधानिक संशोधन के तहत जोड़ी गयी?
उत्तर- 42 वें

प्रश्न10- अनुच्छेद 35A को संविधान में कब जोड़ा गया।
उत्तर- 14 मई 1954।

निष्कर्ष –

हमारा राष्ट एक लोकतांत्रिक राष्ट हैं। इसकी संप्रभुता और अखंडता को बनाये रखने हेतु विशेष प्रकार की नीतियों का निर्माण किया गया हैं। भारतीय शासन व्यवस्था को कैसे चलना हैं, कानून कैसे बनाना हैं, चुनाव में किस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए एवं शक्तियों का किस तरह विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए। इन सभी बातों का उल्लेख हमें हमारे संविधान में देखने को मिलता हैं। दोस्तों आज आपने भारतीय संविधान का इतिहास (What is History of Indian Constitution) का अध्ययन किया। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हों। अगर यह आपके लिए लाभदायक सिद्ध हुई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी शेयर करें और अपने बहुमूल्य सुझाव हेतु हमें कमेंट करें!!

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Pankaj Paliwal
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम पंकज पालीवाल है, और मैं इस ब्लॉग का फाउंडर हूँ. मैंने एम.ए. राजनीति विज्ञान से किया हुआ है, एवं साथ मे बी.एड. भी किया है. अर्थात मुझे S.St. (Social Studies) से जुड़े तथ्यों का काफी ज्ञान है, और इस ज्ञान को पोस्ट के माध्य्म से आप लोगों के साथ साझा करना मुझे बहुत पसंद है. अगर आप S.St. से जुड़े प्रकरणों में रूचि रखते हैं, तो हमसे जुड़ने के लिए आप हमें सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते हैं।

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