पृथ्वी की गतियाँ |Movement of Earth in Hindi

पृथ्वी की गतियाँ Movement of Earth के अंतर्गत पृथ्वी में होने वाले बदलावों और इसकी घूर्णन करने की दिशाओं के संबंध में बताया गया हैं। जिसके अंतर्गत पृथ्वी में होने वाले समस्त बदलावों को भौगोलिक वैज्ञानिकों ने अपने-अपने विचारों को प्रकट किया हैं। इसके साथ ही पृथ्वी के परिक्रमण (Revolution of Earth) के संबंध में भी तथ्यों को भी उजागर किया जाता हैं।

पृथ्वी की गतियों के कारण ही हमें जलवायु में परिवर्तन देखने को मिलते हैं जैसे- जगह-जगह के आधार पर कही अधिक और कही कम गर्मी पड़ना आदि। पृथ्वी की गति के कारण ही कभी कोई दिन लम्बा तो कभी कोई दिन छोटा होता हैं। इसके साथ ही मौसम में होने वाले बदलावों में भी पृथ्वी की गति का प्रभाव पड़ता हैं।

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तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं कि पृथ्वी की गतियां क्या हैं और इसके कारण होने वाले जलवायु और भौगोलिक बदलाव आदि? Movement of Earth in Hindi

पृथ्वी की गतियां |Movement of Earth in Hindi

निकोलस कोपरनिकस (Nicholas Copernicus) को खगोल विज्ञान का जनक (Father of Astronomy) कहा जाता हैं। यह पहले खगोल वैज्ञानिक थे जिन्होंने यह सिद्ध किया कि सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित होता हैं और पृथ्वी इसके चारों ओर चक्कर लगाती हैं।

पृथ्वी की गतियों को भू-वैज्ञानिकों द्वारा 2 भागों में विभाजित किया जाता हैं। जिनके आधार पर वह पृथ्वी की गति के कारण होने वाले बदलावों को दर्शाने का कार्य करते हैं। पृथ्वी की गतियों को इस प्रकार विभाजित किया जाता हैं-

● घूर्णन (Rotation)
● परिक्रमण (Revolution)

घूर्णन |Rotation of Earth in Hindi)

पृथ्वी के घूर्णन का अर्थ होता हैं पृथ्वी का घूमना। पृथ्वी का रोजाना अपने अक्ष पर गति करना अर्थात घूमना ही घूर्णन (Rotation) कहलाता हैं। पृथ्वी एक घूर्णन (One Rotation) में लगभग 24 घंटो का समय लेती हैं। पृथ्वी के घूर्णन करने पर हमें अनेकों बदलाव देखने को मिलते हैं।

पृथ्वी के अपने अक्ष (Axis) पर घूमने के कारण ही हमारी धरती पर दिन और रात होती हैं। जब पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हैं तो उसका जो भाग सूर्य की ओर होता हैं। वहाँ उस समय दिन होता हैं और इसका जो भाग सूर्य से दूर होता हैं अर्थात जो सामने नहीं होता, वहाँ उस समय रात होती हैं। घूर्णन के कारण (Movement of Earth) पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों को हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से भी समझ सकते हैं-

पृथ्वी के घूर्णन का प्रभाव

● पृथ्वी के घूर्णन के कारण हमें दिशाओं का ज्ञान होता हैं। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व (West to East) की ओर घूमती हैं। इसी लिए हमें सूर्य पूर्व दिशा से उगता हुआ और पश्चिम दिशा में ढलता दिखाई देता हैं।

● पृथ्वी के घूमने के कारण चक्रवात (Cyclone) पर भी प्रभाव पड़ता हैं।

● पृथ्वी के घूर्णन के कारण ज्वार-भाटा (Tides) उत्पन्न होते हैं।

● हमारी पृथ्वी का जो जिओएड (Geoid) आकर हैं। यह भी घूर्णन के कारण ही होता हैं।

परिक्रमण (Revolution of Earth in Hindi)

प्रत्येक 24 घंटो में अपने अक्ष पर घूर्णन करने के साथ-साथ, पृथ्वी सूर्य के चारो ओर भी चक्कर लगाती हैं। पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर गति करने को ही परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी एक निश्चित अंडाकार पथ पर सूर्य की परिक्रमा करती हैं। जिसे इसकी कक्षा अर्थात Orbit कहा जाता हैं।

पृथ्वी द्वारा सूर्य का एक चक्कर लगाने में जो समय लगता हैं उसे कैलेंडर वर्ष (Calendar Year) कहते हैं। इस 1 वर्ष में 365 दिन और 6 घण्टे होते हैं। प्रत्येक 4 वर्षों बाद जो ये 4 घण्टे हैं यह मिलकर एक दिन बनाते हैं। इस एक दिन को चौथे कैलेंडर वर्ष में जोड़ा जाता हैं, इसीलिए इस वर्ष में 366 दिन होते हैं।

जिस कारण प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह में 28 दिन के बजाय 29 दिन होते हैं और 366 दिन के इस वर्ष को लीप वर्ष (Leap Year) कहा जाता हैं।

पृथ्वी के परिक्रमण का प्रभाव

पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा Movement of Earth के निम्नलिखित प्रभाव हैं-

गर्मी का वितरण – पृथ्वी के आकार तथा सूर्य कीआ परिक्रमा के कारण सूर्य की किरणों का वितरण जगह-जगह पर अलग-अलग होता हैं। भूमध्य रेखा तथा उसके आस-पास वाले स्थानों पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है, इस कारण इन स्थानों पर गर्मी ज्यादा होती हैं। जबकि जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा से आगे बढ़ते जाएंगे तो उन स्थानों पर गर्मी अपेक्षाकृत कम होती हैं।

इसी कारण जब उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ होता हैं तो वहाँ गर्मी तथा उस समय दक्षिणी गोलार्द्ध से सर्दी होती हैं। परंतु जब उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य से दूरी पर हो तो यहाँ सर्दी होगी और दक्षिणी गोलार्द्ध में गर्मी।

दिन और रात की लंबाई में अंतर – परिक्रमण तथा पृथ्वी के अपने अक्ष पर सुझाव के कारण दिन और रात बराबर नही होती। भूमध्य रेखा वाले स्थानों पर दिन और रात बराबर होती हैं। परंतु ध्रुवों (Poles) की तरफ गर्मी के मौसम में दिन लंबे होते हैं। जबकि सर्दी के मौसम में राते लंबी होती हैं और ध्रुवों पर तो लगातार 6 महीने दिन तथा 6 महीने रात होती हैं।

ऋतुएँ – ऋतुएं (बसंत, गर्मी, पतझड़, सर्दी) पृथ्वी द्वारा परिक्रमण तथा इसके अपने अक्ष पर झुकाव के कारण होती हैं। ऋतु बदलने के साथ-साथ तापमान तथा दिन और रात की अवधि में परिवर्तन आता हैं। परन्तु भूमध्य रेखा के आस-पास वाले स्थानों पर पूरे वर्ष मौसम लगभग गर्म ही रहता हैं।

निष्कर्ष – Conclusion

पृथ्वी की गतियों के कारण ही हमें मौसम में होने वाले बदलाव देखने को मिलते हैं। इसी कारण दिन और रात की अवधि के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो पृथ्वी पर होने वाला समस्त प्राकृतिक बदलाव पृथ्वी की गतियों (Movement of Earth) के कारण की होता हैं।

तो दोस्तों आज आपने हमारी इस पोस्ट के माध्यम से पृथ्वी के गतियों (Movement of Earth in Hindi) के संबंध में जाना। हम आशा करते हैं हमारी यह पोस्ट आपके लिए लाभदायक सिद्ध रही हो। इस पोस्ट से संबंधित आपके कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके बता सकते है।

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Pankaj Paliwal
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम पंकज पालीवाल है, और मैं इस ब्लॉग का फाउंडर हूँ. मैंने एम.ए. राजनीति विज्ञान से किया हुआ है, एवं साथ मे बी.एड. भी किया है. अर्थात मुझे S.St. (Social Studies) से जुड़े तथ्यों का काफी ज्ञान है, और इस ज्ञान को पोस्ट के माध्य्म से आप लोगों के साथ साझा करना मुझे बहुत पसंद है. अगर आप S.St. से जुड़े प्रकरणों में रूचि रखते हैं, तो हमसे जुड़ने के लिए आप हमें सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते हैं।

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