ग्रीन के राजनीतिक विचार |Green Political Thought in Hindi

थॉमस हिल ग्रीन (1836-82) के राजनीतिक विचार Green Political Thought राजनीति जगत के मूल्यवान विचार हैं। ग्रीन के विचार काण्ट के अध्यात्मवाद से प्रेरित हैं। ग्रीन ने अन्य राजनीतिक विचारों की तरह राज्य और स्वतंत्रता पर अपने विचारों को व्यक्त किया हैं।

ग्रीन इंग्लैंड के दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे और यह ब्रिटिश प्रत्यवादी आंदोलन के सदस्य भी थे। थॉमस ग्रीन को एक इतिहासकार का भी स्थान दिया जाता हैं। ग्रीन ने अपने जीवन मे कई ऐसी प्रसिद्ध पुस्तकें लिखी। जिसने राजनीतिक विचारों को कई नवीन सिद्धान्त प्रदान किये।

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तो चलिए आज हम इस पोस्ट की सहायता से जानते हैं कि थॉमस हिल ग्रीन के राज्य संबंधित विचार और स्वतंत्रता संबंधित विचार क्या थे? Green Political Thought in Hindi

ग्रीन के राजनीतिक विचार |Green Political Thought in Hindi

ग्रीन एक पाश्चात्य राजनीतिक विचारक (Western Political Thinker) थे। ग्रीन ने अपने राजनीतिक विचार स्वतंत्रता, अधिकार, राज्य और संप्रभुता पर दिए। ग्रीन के राजनीतिक विचारों को व्यवहारवादी, सिद्धांतवादी और उदारवाद की संज्ञा दी जाती हैं।

वहीं इनके विचारों को मानवतावादी विचारों के रूप में भी देखा जाता हैं। ग्रीन स्वतंत्रता को मानवीय चेतना में निहित मानते हैं। ग्रीन के विचारों को आदर्शवाद और उदारवाद के मध्य के विचार कहा जाता हैं। जो इन दोनों विचारों में संतुलन बनाएं रखने का कार्य करते हैं।

ग्रीन व्यक्ति की नकारात्मक स्वतंत्रता का समर्थन करते थे। अर्थात ऐसी स्वतंत्रता जो मानवीय सिद्धांतो के अनुसार हो। जिसमें कुछ हद तक व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाकर उसे स्वतंत्रता दी जाए। ऐसी स्वतंत्रता जो उसे अनुचित कार्य करने से रोके और इसी प्रतिबंध को लगाने के लिए ग्रीन एक राज्य का निर्माण करते हैं। तो चलिए सबसे पहले हम ग्रीन के राज्य संबंधित विचारों के बारे में जानते हैं।

ग्रीन के राज्य संबंधित विचार |Green Thought on State

हीगल के राज्य संबंधित विचारों की तरह ग्रीन भी राज्य को एक साध्य मानते हैं साधन नहीं। ग्रीन हीगल की तरह राज्य को व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक मानते हैं। ग्रीन राज्य के सामाजिक समझौता सिद्धान्त को अस्वीकार करते हैं। ग्रीन के अनुसार राज्य को एक प्राकृतिक समुदाय मानते हैं।

ग्रीन के अनुसार राज्य का आधार शक्ति नही इच्छा हैं। यह व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी राज्य को महत्व देते हैं। इनके अनुसार व्यक्ति राज्य के आदेशों का पालन डर के स्थान पर अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा करने के लिए करता हैं। ग्रीन के राज्य संबंधित यह विचार रूसो से सामान्य इच्छा सिद्धांतो (Theory of General Will) से प्रभावित हैं।

ग्रीन के अनुसार राज्य का उद्देश्य व्यक्ति का नैतिक विकास करना हैं। जिस कारण इनको मानवतावादी भी कहा जाता हैं। ग्रीन राज्य मो साध्य न मानकर साधन मानते हैं। जिसका कार्य या उद्देश्य व्यक्तियों के लाभ एवं उनको अधिकार प्रदान करना हैं। जिससे समाज मे न्याय की स्थापना हो सकें।

इनके विचारानुसार राज्य का यह कर्तव्य हैं कि वह उन समस्याओं को दूर करें जो मानव के नैतिक विकास में समस्या बन रही हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो व्यक्ति के विकास में बाधा बनने वाली नकारात्मक बाधाओं को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का विकास करना ही राज्य का मुख्य कार्य हैं।

ग्रीन संपत्ति जो भी नैतिक विकास के लिए जरूरी नही मानते। उनका विचार हैं कि राज्य का कार्य हैं कि वह व्यक्ति की व्यक्तिगत संपत्ति की सुरक्षा करें जो उसने अपनी मेहनत और अपने कार्यों से अर्जित की हैं। यह राज्य को सर्वोच्च संस्था मानते हैं।

ग्रीन के स्वतंत्रता संबंधित विचार |Green Political Thoughts on Liberty

ग्रीन के स्वतंत्रता संबंधित विचार काण्ट से कई हद तक प्रभावित हैं। ग्रीन स्वतंत्रता को दो रूपों में प्रस्तुत करते हैं- पहला रूप वह जो व्यक्ति के इच्छीत कार्यो के संपादन से हैं और दूसरा रूप व्यक्ति को उन सुविधाओं को देने से हैं जो व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि करने का कार्य करें।

ग्रीन के अनुसार स्वतंत्रता वह हैं जो व्यक्ति को न्यायपूर्ण जीवन जीने की आजादी दे। ऐसी स्वतंत्रता जिसमें वह पाबंदी हो जो व्यक्ति को अनुचित कार्यों को करने से रोके। Green व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिक महत्वपूर्ण स्थान देते है। यह रूसो और काण्ट की तरह ही दर्शन को स्वतंत्र नैतिक इच्छा (Free Moral Will) पर आधारित करता हैं।

ग्रीन, मिल की तरह यह भी मानते हैं कि राज्य को व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर कम से कम हस्तक्षेप करना चाहिए। ग्रीन के अनुसार मानव का मुख्य उद्देश्य ईश्वर में आत्मदर्शन करना हैं। ग्रीन स्वतंत्रता की नकारात्मक (Negative) अवस्था से असहमत हैं। वह व्यक्ति की सकारात्मक (Positive) स्वतंत्रता को सहमति देते हैं। जिसकी सहायता से व्यक्ति बिना किसी के अधिकारों का हनन किये अपना विकास करते हैं।

यह राज्य के कानून को व्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न न करके सहायक मानते हैं। इनके अनुसार स्वतंत्रता स्वेच्छानुसार कार्य करने की शक्ति नही हैं, अपितु नैतिक दृष्टि से शुभ कार्य करने की शक्ति हैं। स्वतंत्रता नकारात्मक न होकर सकारात्मक होनी चाहिए।

ग्रीन के अनुसार स्वतंत्रता मानव चेतना पर निहित हैं और मानव चेतना व्यक्ति को उन्हीं कार्यों को करने की स्वतंत्रता देती हैं जो सही हो। यदि व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता दे दी जाए तो ऐसे में अन्य व्यक्तियों की स्वतंत्रता नष्ट हो जाएगी और राज्य में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

निष्कर्ष – Conclusion

ग्रीन व्यक्ति के मानवीय चेतना का विकास करने और एक ऐसी स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए राज्य को आवश्यक मानते हैं जो सभी व्यक्तियों कस हित में हो। इसी तरह व्यक्ति की व्यक्तिगत संपत्ति और समाज मे न्याय की स्थापना करने में भी यह राज्य को मुख्य स्थान देते हैं। ग्रीन के अनुसार व्यक्ति की स्वतंत्रता मानवीय चेतना में निहित हैं।

ग्रीन के स्वतंत्रता संबंधित विचार रूसो और काण्ट से पूर्ण रूप से प्रभावित हैं। वह ऐसे कानूनों की बात करते हैं जो व्यक्ति को ऐसी स्वतंत्रता से रोके जो अन्य लोगों के लिए शोषण का अवसर बनें। तो दोस्तों आज आपने हमारी इस पोस्ट ग्रीन के राजनीतिक विचार (Green Political Thought in Hindi) में ग्रीन के राज्य और स्वतंत्रता संबंधित विचारों को जाना। अगर इस पोस्ट से संबंधित कोई प्रश्न हो तो कमेंट करके जरूर बताएं।

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