हीगल के राजनीतिक विचार | Hegal Political Thought in Hindi

हीगल के राजनीतिक विचार (Hegal Political Thought) राजनीति की आधुनिक युग की विश्वव्यापी पहचान हैं। हीगल ने अपने समस्त राजनीतिक विचारों का वर्णन अपनी विख्यात पुस्तक ‘Philosphy of Right’ में किया हैं।

हीगल अपनी द्वन्दात्मक पद्यति के आधार पर विज्ञान में भी प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में से हैं। यह एक दार्शनिक एवं महान राजनीतिज्ञ थे। जिन्होंने अपने विचारों से राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की।

हीगल की यह विचारधारा उनके पूर्व के राजनीतिज्ञों के विचारों से पूर्ण रूप से प्रभावित थी। प्लेटो,रूसो,अरस्तू जैसे महान राजनीतिज्ञों का उन्होंने गहन अध्ययन किया। जिस कारण उनके राजनीतिक विचारों में इन राजनीतिज्ञों के गुण साफ तौर पर दिखाई देते हैं।

तो आइए हीगल के राजनीतिक विचारों का विस्तृत रूप से अध्ययन करें और जानें कि हीगल के राजनीतिक विचारों में क्या-क्या विद्यमान हैं? What is Hegal Political Thought

हीगल के राजनीतिक विचार (Hegal Political Thought)

Hegal Political Thought in Hindi

हीगल के समस्त राजनीतिक विचारों का अध्ययन करने हेतु उनके विचारों को विभक्त रूप में समझने की आवश्यकता हैं-

1. हीगल के राज्य संबंधित विचार (Hegal Thoughts on State) – हीगल के अनुसार राज्य की उत्पत्ति परिवार और समाज से मिलकर हुई हैं। हीगल राज्य को ईश्वर की अभिव्यक्ति मानते हैं। हीगल के अनुसार व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति अकेले रहकर नही कर सकता। जिस कारण उसे परिवार की आवश्यकता पड़ती हैं। उनके यह विचार होब्स,लॉक और रूसो के सामाजिक समझौते के सिद्धांत के समान हैं।

हीगल के अनुसार व्यक्ति और राज्य के मध्य परस्पर प्रेम और एकता होती हैं। उनमें विरोधाभास जैसा कोई भी तत्व नही होता है। हीगल राज्य को व्यक्ति से श्रेष्ठ स्थान प्रदान करते हैं।

2. हीगल के स्वतंत्रता संबंधित विचार (Hegal Thoughts on Freedom) – हीगल व्यक्ति से ज्यादा राज्य की स्वतंत्रता पर बल देते है,इसलिए कई आलोचक हीगल को व्यक्तिवादी स्वतंत्रता का विरोधी एवं हनन करने वाला मानते हैं। हीगल स्वतंत्रता की व्यक्ति के जीवन का सार मानता है अर्थात स्वतंत्रता को वह व्यक्ति के विकास हेतु आवश्यक मानते हैं।

हीगल के स्वतंत्रता संबंधित विचार रूसो और कांट से काफी प्रभावित है। हीगल एक सामाजिक और राज्यवादी व्यक्ति था, इसीलिए वह समाज और राज्य की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। वह मानते है कि व्यक्ति को राज्य के समस्त कानूनों का निर्वहन करना चाहिए और राज्य एवं समाज के आधार पर ही अपने कार्य करने चाहिए यही उनकी स्वतंत्रता हैं।

3. हीगल के कानून संबंधित विचार (Hegal Thoughts on Law) – हीगल राज्य के कानून को सर्वश्रेष्ठ स्थान देते हैं। हीगल (Hegal) के अनुसार कानून के पालन को ही व्यक्ति की सच्ची स्वतंत्रता माना जाना चाहिए। हीगल कानून की उत्पत्ति ‘सामान्य इच्छा’ को मानते हैं। उनके अनुसार व्यक्ति या जनता कानून का निर्माण नही करती। वह कानून को एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मानते हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं।

इससे यह स्पष्ट हो जाता है, कि हीगल के राजनीतिक विचार (Hegal Political Thought) व्यक्तिवाद का जरा सा भी समर्थन नही करते। हीगल राज्य को ही समस्त अधिकार प्रदान कर देते है। हीगल राज्य को कानून से मुक्त रखने का निर्णय लेते हैं, हीगल के अनुसार राज्य साध्य हैं जबकि कानून या व्यक्ति साधन मात्र हैं।

4. हीगल के युद्ध संबंधित विचार (Hegal Thoughts on War) – हीगल युद्ध को एक साधन मानते है, जिसके आधार पर चलकर राज्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति जर सकते है या अपनी मांगे अन्य देशों से मनवा सकते हैं। हीगल युद्ध का पूर्ण समर्थन करने के पक्षधर है।

हीगल की उनके आलोचक शांति का विरोधी मानते हैं। उनका मत है कि हीगल राज्य में शांति की स्थापना करने के बजाय युद्ध का माहौल व्याप्त करने के पक्षधर हैं।

5. हीगल के संविधान संबंधित विचार (Hegal Thoughts on Constitution) – हीगल संविधान को एक सामान्य संरचना के रूप में परिभाषित करते है, उनके मतानुसार संविधान वह प्रावधान है जो नागरिकों को यह बताती है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। हीगल के राजनीतिक विचारों (Hegal Political Thought) के अनुसार राज्य की समस्त शक्तियों का वर्णन भी संविधान में ही होता हैं।

6. हीगल की द्वन्दात्मक पद्यति (Hegal Dialectical Method) – द्वन्दात्मक शब्द अंग्रेजी भाषा के Dialectic से है, जिसको ग्रीक भाषा में Dalegi कहते हैं। जिसका हिंदी रूपांतरण हैं वाद-विवाद करना।

हीगल इस प्रक्रिया को अपने सम्पूर्ण राजनीतिक विचारों में सम्मिलित करते हैं। हीगल ने अपनी पुस्तक “Science of Logic” में द्वन्दात्मक पद्यति की विस्तृत व्याख्या की हुई हैं। हीगल इस पद्यति का उपयोग एक स्तर से दूसरे स्तर में जाने के लिए करते हैं।

हीगल अपनी इस पद्यति द्वारा सामाजिक विकास को परिभाषित करने का कार्य करते हैं। हीगल के अनुसार सामाजिक या व्यक्तिगत विकास प्रक्रियावाद-प्रतिवाद तथा समनवय के क्रम से होता हैं। हीगल अपनी इस पद्यति द्वारा मानव के व्यक्तित्व उसके विकास एवं सामाजिक संरचना के क्रमबद्ध विकास की परिभाषित करने का कार्य करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion –

हीगल एक महान राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपने विचारों से सम्पूर्ण राजनीतिक समाज को प्रभावित करने का कार्य किया। हीगल राजदर्शन के इतिहास में उच्च स्थान रखते है। उनके राजनीतिक विचार समाजशास्त्रियों एवं राजनीतिज्ञों की व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं। हीगल ने द्वन्दात्मक जैसी पद्यति का विकास कर विकास की एक नई पद्यति को समाज के सम्मुख रखने का भी कार्य किया।

तो दोस्तो, आज आपने हीगल के राजनीतिक विचारों (Hegal Political Thought in Hindi) का विस्तृत रूप से अध्ययन किया अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर करें।

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2 thoughts on “हीगल के राजनीतिक विचार | Hegal Political Thought in Hindi”

    1. मोहित जरूर हम अवश्य जल्द ही राजीनीतिक विचारकों से सम्बंधित सभी प्रश्नों को आपके साथ समझा करने का प्रयास करिंगे।

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