प्रदूषण क्या है? |What is Pollution in Hindi

प्रदूषण Pollution प्राकृतिक तत्वों को नुकसान होने या उनकी संरचना में परिवर्तन होने का नाम हैं। वर्तमान समय मे जब भी पर्यावरण से संबंधित विषयों पर बात होती है तो उनमें एक मुद्दा अक्सर हमारे सामने आता है और वह है प्रदूषण का। आजकल अक्सर हमें टेलीविजन, समाचार पत्रों आदि में देखने को मिलता है कि प्रदूषण इतना बड़ गया है, प्रदूषण के कारण ये बीमारी हो रही है, प्रदूषण के कारण इन पशु-पक्षियों को नुकसान पहुंच रहा है आदि बहुत-सी खबरें।

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अब जब वर्तमान समय में हमें प्रदूषण से संबंधित इतनी सारी खबरें सुनने को मिलती हैं तो सोचिए कि हमारा इस प्रदूषण के विषय मे जानना कितना आवश्यक है। इसीलिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको जानकारी देना चाहते हैं कि आखिर यह प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के प्रकार? What is Pollution in Hindi & Types of Pollution in Hindi

प्रदूषण क्या हैं? |What is Pollution in Hindi

प्रदूषण का अर्थ होता है – कोई अवांछनीय परिवर्तन।प्रदूषण को इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है- वायु, जल तथा भूमि के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में होने वाले अवांछनीय परिवर्तन को ही प्रदूषण कहा जाता है। ये अवांछनीय परिवर्तन मानव जीवन, पशु-पक्षियों, आस-पास के वातावरण आदि सभी को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं।

“Pollution can be defined as an undesirable change in physical, chemical or biological characteristics of air, water and land that may or will adversely affect human life, living conditions etc.”

Pollution शब्द लैटिन भाषा के ‘Pollutionem’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है “Defilement” अर्थात “दूषण या अशुद्धता”।

प्रदूषक |Pollutant

प्रदूषक कोई पदार्थ (जैसे डस्ट, स्मोक), रसायन (जैसे सल्फर डाइऑक्साइड) और कारक (जैसे हीट, नॉइज़) हो सकता है जो पर्यावरण में निकलकर पूरे वातावरण को बुरी तरह से प्रभावित करता है।

प्रदूषण के प्रकार |Types of Pollution in Hindi

प्रदूषण के कई प्रकार हो सकते हैं। प्रदूषण मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार का होता है-

1. वायु प्रदूषण

2. जल प्रदूषण

3. मृदा प्रदूषण

4. रेडियोएक्टिव प्रदूषण

5. ध्वनि प्रदूषण

वायु प्रदूषण |Air Pollution

हम सभी इस बात से भली-भांति अवगत हैं कि वायु हम सभी के जीने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं।स्वच्छ और शुद्ध वायु हमारे स्वास्थ्य और हमारे जीवित रहने के लिए अति आवश्यक होती है।

परंतु इसी वायु में जब कोई अन्य गैस या कोई अन्य पार्टिकल (Particles) जो कि मनुष्य, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों आदि के लिए हानिकारक हो, मिल जाए तो इसे वायु प्रदूषण कहा जाता है अर्थात वातावरण में वायु के गुणों में अवांछनीय परिवर्तन ही वायु प्रदूषण कहलाता है।

वायु प्रदूषण के स्रोत |Sources of Air Pollution

वायु प्रदूषण निम्नलिखित कारकों से होता है-

1. इंडस्ट्रियल प्रदूषक – इंडस्ट्रीज से निकलने वाली हानिकारक गैसें तथा रसायन वायु प्रदूषण करते हैं। मुंबई जैसे शहर में इंडस्ट्रीज ही प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।

2. ऑटोमोबाइल – मेट्रो सिटीज में ऑटोमोबाइल्स वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत हैं। ऑटोमोबाइल्स से निकलने वाले हानिकारक तत्व वायु को दूषित करते हैं।

3. जीवाश्म ईंधन का जलना – जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला आदि के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं जो वायु प्रदूषण करते हैं।

4. एग्रीकल्चरल एक्टिविटीज़ – खेतों में उपयोग किये जाने वाले रसायन भी वायु प्रदूषण का कारण होते हैं।

5. Radiations – Nuclear Power Plants में होने वाले परीक्षणों आदि के दौरान निकलने वाली किरणों से भी वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

1. वायु प्रदूषण मनुष्य, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों आदि सभी को प्रभावित करता है-

2. वायु प्रदूषण के कारण स्वास संबंधित (अस्थमा, एलर्जी) अनेक बीमारियों से लोग ग्रसित हो जाते हैं।

3. इसके कारण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो जाती है।

4. वायु प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है- अम्लीय वर्षा (Acid Rain) जिसके कारण ताजमहल जैसी कई इमारतों को नुकसान पहुँचता है। इसके कारण जलीय जीवों की भी मृत्यु हो जाती है।

5. वायु प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों में प्रकाश संश्लेषण का स्तर भी घटता है।

6. इस प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों में भी अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं।

7. वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में उपस्थित ओजोन परत को नुकसान पहुँचता हैं।

8. इसके कारण ही हमें आज ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

वायु प्रदूषण का नियंत्रण

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए-

1. ऑटोमोबाइल्स को और बेहतर बनाना चाहिए ताकि वो पर्यावरण को दूषित न करे।

2. एक अच्छे ट्रैफिक व्यवस्था की जरूरत है क्योंकि लोग गाड़ियों को न चलाते समय भी इंजन ऑन रखते हैं जिससे वायु प्रदूषण होता है।

3. ऊर्जा के स्रोतों पर ध्यान देने की जरूरत है।

4. अधिक से अधिक मात्रा में पेड़-पौधें लगाने चाहिए, जिससे कि वो कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर लें और ऑक्सिजन गैस वायुमंडल में स्रावित करें।

5. वायु प्रदूषण की रोकथाम करने के लिए Arresters और Scrubbers जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए।

जल प्रदूषण |Water Pollution

जल में जब किसी अवांछनीय पदार्थ के मिलने से जल की गुणवत्ता में गिरावट आ जाती है, जिसके कारण वह उपयोगी नही रहता इसी को जल प्रदूषण कहा जाता है।

जल प्रदूषण के स्रोत |Sources of Water Pollution

1. Domestic and Sewage Wastes – घरों से निकलने वाले कूड़े-कचरे, मल इत्यादि को जब ऐसे ही नदियों, झीलों आदि में डाल दिया जाता है तो यह बहुत बड़ी मात्रा में जल को प्रदूषित करता है।

2. इंडस्ट्रियल वेस्ट – पेट्रोलियम, पेपर, केमिकल आदि इंडस्ट्रीज से निकलने वाले वेस्ट को नदी, तालाबों आदि में डिसचार्ज करने पर यह जल प्रदूषण करता है।

3. खेतों में प्रयोग किये जाने वाले उर्वरक, खाद आदि केमिकल्स से भी जल प्रदूषित होता है।

4. थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाले गर्म पानी को जब झीलों, समुद्रों में डाला जाता है तो इसके कारण जलीय जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह भी जल प्रदूषण का कारण है।

जल प्रदूषण के प्रभाव

1. जल के बिना जीवन संभव नही है। स्वच्छ जल पर सभी जीवों का जीवन निर्भर करता है परन्तु यही जल जब दूषित हो जाता है तो यह उपयोग करने लायक नही रहता।

2. ऐसे दूषित जल को ग्रहण करने से अनेक बीमारियाँ होती हैं।

3. जल प्रदूषण के कारण पूरा पारिस्थितिकी तंत्र डगमगा जाता है।

जल प्रदूषण का नियंत्रण

1. वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट – नदियों, तालाबों, झीलों आदि में वेस्ट वाटर को डिसचार्ज करने से पूर्व यदि उसका ट्रीटमेंट कर लिया जाए तो जल प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।

2. उर्वरकों और पेस्टिसाइड के उपयोग पर नियंत्रण – खेतों में यदि उर्वरकों, पेस्टिसाइड आदि का कम से कम उपयोग किया जाए तो इससे भी जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

3. वेस्ट प्रोडक्ट्स की रीसाइक्लिंग – वेस्ट प्रोडक्ट्स की रीसाइक्लिंग भी जल प्रदूषण नियंत्रण का एक बहुत अच्छा उपाय है।

मृदा प्रदूषण |Soil Pollution

जब किसी अवांछनीय तत्व के कारण मिट्टी की उपजाऊ क्षमता घट जाती है तो इसे मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

मृदा प्रदूषण के स्रोत |Sources of Soil Pollution

1.घरेलू कूड़े-कचरे, इंडस्ट्रीज से निकलने वाले कचरे आदि से मृदा प्रदूषण होता है।

2.एग्रीकल्चर में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों, रसायनों कर प्रयोग भी मृदा प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

3.अम्लीय वर्षा से मृदा प्रदूषण होता है।

4.मृदा प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक है प्लास्टिक।

मृदा प्रदूषण नियंत्रण

1. Improved Agricultural Methods का प्रयोग

2. वेस्ट मैटेरियल्स की रीसाइक्लिंग।

3. अधिक से अधिक पेड़-पौधें लगाना।

4. जनता को जागरूक करना।

5. ऊपर दिए गए इन उपायों से मृदा प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।

रेडियोएक्टिव प्रदूषण |Radioactive Pollution

किसी रेडियोएक्टिव मटेरियल (जैसे रेडियम-224, यूरेनियम-235, थोरियम-232 आदि) द्वारा वायु, जल, मृदा का दूषित होना ही रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहलाता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण, कैंसर का सबसे बड़ा कारक है।

ध्वनि प्रदूषण |Noise Pollution

वह अनावश्यक ध्वनि जो कानों पर अप्रिय प्रभाव उत्पन्न करती है उसे नॉइज़ पॉल्युशन कहा जाता है। ध्वनि की तीव्रता को decibels या db में मापा जाता है। 80db से अधिक की वैल्यू नॉइज़ पॉल्युशन उत्पन्न करती है।

नॉइज़ पॉल्युशन के स्रोत |Sources of Noise Pollution

नॉइज़ पॉल्युशन के कुछ स्रोत इस प्रकार से है –

1. पटाखे

2. लाउड स्पीकर

3. गाड़ियों का शोर

4. एयरक्राफ्ट और रेलवेज

नॉइज़ पॉल्युशन के प्रभाव

1. नॉइज़ पॉल्युशन हार्ट को नुकसान पहुंचा सकता है।

2. इसके कारण दिमाग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

3. लगातार ज्यादा नॉइज़ वाले स्थान पर रहने से मनुष्य की सुनने की क्षमता समाप्त हो सकती है।

4. अधिक नॉइज़ से व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, घबराहट, तनाव, बेहोशी जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

5. इसके कारण पशु-पक्षियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

नॉइज़ पॉल्युशन नियंत्रण

नॉइज़ पॉल्युशन को नियंत्रित करने के लिये निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं-

1. इंडस्ट्रीज में ज्यादा नॉइज़ उत्पन्न करने वाली मशीनों के लिए साउंड प्रूफ कमरों का निर्माण करना।

2. इंडस्ट्रीज, फैक्ट्रीज आदि का निर्माण आबादी वाले इलाकों से दूरी पर करना।

3. लाउड स्पीकर के मिसयूज़ पर शख्त कारवाही होनी चाहिए।

निष्कर्ष – Conclusion

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों तथा उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। प्रदूषण के कारण कई पशु-पक्षी विलुप्त हो चुके हैं। इसके कारण सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।

इसीलिए अगर पृथ्वी पर जीवन बनाए रखना है तो हम सभी को इस प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कार्य करना होगा। केवल सरकार द्वारा नियम बनाने से ही कुछ नही होगा, प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर इस प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अवश्य कदम उठाने चाहिए।

तो दोस्तों आज आपने हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जाना कि प्रदूषण क्या हैं और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण? (What is Pollution in Hindi & Types of Pollution in Hindi) हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो। इस पोस्ट से संबंधित आपके कोई प्रश्न या सुझाव हो तो आप कमेंट बॉक्स का उपयोग कर सकते हैं।

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