पर्यावरणीय शिक्षा Environmental Education शिक्षा का ही एक भाग है। यह वह शिक्षा है, जिसमे छात्र अपने आस-पास दिखने वाले विभिन्न प्रकार की वस्तुओं, जीवों-अजीवो के संबंध में अध्ययन करते हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा, शिक्षा की एक महत्वपूर्ण इकाई है, क्योंकि इसी के अंतर्गत छात्रों को वास्तविक शिक्षा प्रदान की जाती हैं।
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पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ Meaning of Environmental Education
पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं- परि+आवरण अर्थात जो चारों तरफ से घिरा हो। मानव के आस-पास दिखने वाले जैविक-अजैविक घटकों का अध्ययन भी पर्यावरणीय शिक्षा के अंतर्गत किया जाता हैं। पर्यावरणीय शिक्षा द्वारा बालकों के प्राकृतिक विकास किया जाता रहा हैं। जिससे वह अपनी पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्वों से परिचित हो पाते हैं।
आधुनिक समय की शिक्षा बालकेन्द्रित शिक्षा है। जिसमें छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती हैं। आधुनिक पर्यावरणीय शिक्षा की आवश्यकताओं को देखते हुए इस शिक्षा को प्रत्येक क्षेत्र में अनिवार्य घोषित किया गया हैं। छात्रों में पर्यावरणीय संरक्षण एवं पर्यावरणीय चेतना का विकास करना ही पर्यावरणीय शिक्षा का उद्देश्य हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा के सिद्धान्त Principles of Environmental Education
◆ बौद्धिक सिद्धांत – इस सिद्धांत के अंतर्गत छात्रों को पर्यावरणीय आवश्यकताओं एवं इसके महत्व का बोध कराया जाता हैं। जिससे वह पर्यावरण से संबंधित समस्त तथ्यों का ज्ञान प्राप्त कर सकें।
◆ भावात्मक सिद्धांत – इसके अंतर्गत छात्रों को आंतरिक रूप से पर्यावरण में सम्मिलित किया जाता हैं। यह छात्रों को भावात्मक रूप से पर्यावरण से जोड़ता हैं।
◆ नैतिक सिद्धांत – नैतिक सिद्धांत छात्रों के आध्यात्मिक पक्ष पर बल देता है। जिससे वह पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें।
◆ क्रियात्मक सिद्धांत – इस सिद्धांत के अंतर्गत छात्रों को वास्तविक पर्यावरणीय शिक्षा प्रदान की जाती हैं। जिसमे छात्रों को क्रिया करवाकर उन्हें पर्यावरण का ज्ञान करवाया जाता हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा की प्रकृति Nature of Environmental Education
पर्यावरणीय शिक्षा कला एवं विज्ञान दोनों हैं। यह कला एवं विज्ञान के प्राकृतिक गुणों का समिश्रण हैं। पर्यावरणीय शिक्षा का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हैं। इसका अध्ययन प्रत्येक विद्यार्थी को करना अनिवार्य हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा एक प्रकार की व्यवहारिक शिक्षा है, जो बालकों के सर्वांगीण विकास करने का एक साधन है। इसके अंतर्गत बालक प्रकृति की संरचना को समझ पाते हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा की आवश्यकता Need for enviroment education
1. यह छात्रों में प्रकृतिवादी विचारों का निर्माण करती है और छात्रों को प्रकृति की महत्ता का बोध कराती हैं।
2. इसके अध्ययन से छात्रों में नैतिक-मूल्यों का विकास होता हैं, क्योंकि यह छात्रों के भावात्मक पक्ष का विकास करती हैं।
3. यह छात्रों के तीनों पक्षों (ज्ञानात्मक, बोधात्मक, क्रियात्मक) का विकास करती हैं।
4. यह शिक्षा को प्रकृति से जोड़ने का कार्य करती हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा के लाभ
1. पर्यावरणीय शिक्षा द्वारा छात्रों में सौंदर्यात्मक भावों का विकास होता हैं।
2. यह छात्रों को वास्तविक ज्ञान प्रदान करने में अध्यापकों की सहायता करती हैं।
3. इसके द्वारा शिक्षक और छात्रों के मध्य मधुर संबंधों का निर्माण होता हैं।
4. इसकी शिक्षा प्राप्त कर छात्र प्राकृतिक संपदा को संरक्षित रखने एवं सुरक्षित रखने की आवश्यकताओं के बोध कर पाते हैं।
निष्कर्ष
पर्यावरणीय शिक्षा वह है, जो छात्रों को प्रकृति के साथ जोड़ती है और छात्रों में प्राकृतिक महत्ता के ज्ञान का अर्जन कराने का कार्य करती हैं। यह छात्रों के मानसिक विचारों को नियंत्रित करने का भी कार्य करती हैं। जिससे उनमें अनुशासन की भावना का विकास होता हैं।
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