शिक्षा में को करीकुलर एक्टिविटीज का महत्व. Co-Curricular activities जिसका हिंदी रूपांतरण हैं – सह पाठ्यक्रम गतिविधियां। यह शिक्षा के पाठ्यक्रम के साथ-साथ चलती हैं इसीलिए इसको सह पाठ्यक्रम गतिविधियां (Co-Curricular Activities) कहा जाता हैं। सह पाठ्यक्रम गतिविधियों के अंतर्गत उन गतिविधियों को सम्मिलित किया जाता हैं, जो शिक्षण (Teaching) गतिविधियों के साथ-साथ चलती हैं जैसे – संगीत कार्यक्रम , खेल , P.T , नाटक , आदि। इसकी महत्ता को स्वीकार करते हुए इसे नयी शिक्षा नीति-2020 में भी सम्मिलित किया गया हैं।
शिक्षा में सह पाठ्यक्रम गतिविधियों के अन्तर्गत विभिन्न गतिविधियों को सम्मिलित किया जाता हैं। सह पाठ्यक्रम गतिविधियों की महत्ता आज पूरा विश्व स्वीकार कर चुका हैं। Co-Curricular Activities के द्वारा ही छात्रों का सर्वांगीण विकास करना सम्भव सिद्ध हो पाया हैं। इसको शिक्षा के क्षेत्र में सम्मिलित करना वर्तमान समय में बहुत आवश्यक हैं। Co-Curricular Activities को समझने के लिए जरूरी हैं कि आप सभी को पाठ्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी हो।
● Curricular Handbook क्या हैं ?
शिक्षा के क्षेत्र में सह पाठ्यक्रम गतिविधियों (Importance of Co- Curricular Activities) की भूमिका और महत्व –
दोस्तों, Co-Curricular Activities एक प्रकार से साधन का काम करती हैं जिसके माध्यम से शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता हैं। शिक्षा के उद्देश्यों को पूर्ण रूप से प्राप्त करना तभी सम्भव हो पाता हैं जब शिक्षा में सह पाठ्यक्रम गतिविधियों को सम्मिलित किया जाए।
इसके उद्देश्यों एवं इससे होने वाले लाभ को देखते हुए इसकी महत्ता को हर जगह स्वीकार किया जाता हैं। Co- Curricular Activities एक साधन हैं और बालकों का सर्वांगीण विकास साध्य।
शिक्षा के क्षेत्र में सह पाठ्यक्रम गतिविधियों (Co-Curricular Activities) की विशेषता –
1- यह क्रिया (Acitivity) पक्ष पर आधारित रहती हैं।
2- यह बौद्धिक विकास से ज्यादा शारीरिक विकास पर बल देती हैं।
3- इसके द्वारा छात्रों में निहित कौशलों (Skill) की पहचान की जा सकती हैं।
4- Co-Curricular Activities के द्वारा छात्रों को सजक (Active) बनाया जा सकता हैं।
5- सह पाठ्यक्रम गतिविधियों द्वारा छात्रों के व्यक्तित्व का विकास किया जा सकता हैं।
6- यह शिक्षा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो कर चलती हैं इसीलिए इसको सह पाठ्यक्रम गतिविधि कहकर संबोधित किया जाता हैं।
7- Co-Curricular Activities के द्वारा छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन एवं संशोधन किया जा सकता हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यक्रम गतिविधियों (Importance of Co-Curricular Activities) की उपयोगिता –
छात्रों के शारिरिक विकास के लिए –
Co-Curricular Actives में सम्पूर्ण अंग की क्रिया होती हैं जैसे – खेलने समय , सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि इसके उदाहरण हैं। शिक्षा में इसके द्वारा छात्रों का शारीरिक विकास होना स्वाभाविक हैं।
गाँधी जी की शिक्षा में भी सर्वप्रथम उन्होंने शारीरिक शिक्षा पर बल दिया था उसका प्रमुख कारण यही था क्योंकि सर्वांगीण विकास की शुरुआत ही शारिरिक विकास से होती हैं इसीलिये यह Co-Curricular Activities का प्रथम लाभ हैं।
बच्चों का मानसिक विकास के लिए –
Co-Curricular Activities के दौरान बच्चे सक्रिय रहते हैं जिस कारण उनका दिमाग सदैव क्रियाशील बने रहता हैं और ऐसे में छात्रों में सोचने-समझने की क्षमता में वृद्धि होती हैं। Co-Curricular Activities के द्वारा छात्रों का सर्वांगीण विकास का द्वितीय चरण अर्थात मानसिक विकास की प्रक्रिया भी निरंतर होते रहती हैं।
छात्रों को ऊर्जावान (Active) बनाने के लिए –
छात्रों को ऊर्जावान बनाने का कार्य Co-Curricular Activities द्वारा ही संभव हैं। छात्र पढ़ाई करते करते मानसिक दुर्बलता महसूस करने लगते हैं जिससे उन्हें मानसिक थकान महसूस होती हैं, ऐसी स्थिति में छात्रों को ऊर्जावान बनाने के लिए Co-Curricular Activities उपयोग में लायी जाती हैं।
छात्रों को स्वस्थ रखने के लिए –
Co-Curricular Activities के दौरान छात्र क्रिया करते रहते हैं जिस कारण वह Fit रहते हैं और स्वस्थ भी। छात्रों के स्वस्थ रहने के कारण ही छात्रों का शारीरिक विकास हो पाता हैं।
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए –
विद्याथियों के सर्वांगीण विकास के लिए यह अति आवश्यक हैं कि विद्यालय में निरंतर Co-Curricular Activities करायी जाए। इसी के कारण छात्रों का मानसिक , बौध्दिक , शारीरिक , सांस्कृतिक , राजनीतिक , आर्थिक और नैतिक विकास होता हैं और वह सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर होते हैं।
छात्रों के स्वभाव को समझने के लिए –
छात्रों के द्वारा जब Co-Curricular Activities की जाती हैं तो अध्यापक या अन्य व्यक्ति उसकी क्रिया का आकलन (Objervation) कर उसके स्वभाव का पता लगा सकता हैं।
छात्रों की आवश्यकताओं , कौशल की पहचान करने के लिए –
Co-Curricular Activities के दौरान छात्रों के भीतर समाहित कला एवं कोशल की पहचान करना सम्भव हो पाता हैं। उस दौरान छात्र अपने वास्तविक व्यक्तित्व का प्रदर्शन करता हैं।
बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लिए –
छात्रों के व्यक्तित्व विकास की ओर अग्रसर होने के लिए यह आवश्यक हैं कि हर क्षेत्र में उनका विकास हो अर्थात शारीरिक , मानसिक , बौद्धिक आदि। Co-Curricular Activities के जरिये छात्रों के हर एक पक्ष पर ध्यान दिया जा सकता हैं। जिसको देखते हुए यह व्यक्तित्व विकास के लिए बेहद उपयोगी कार्य हैं।
बालकों में चारित्रिक एवं नैतिक मूल्यों के विकास करने के लिए –
Co-Curricular Activities में छात्रों से सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाये जाते हैं, उनसे महानुभावो की जीवनी पर चर्चाएं करने को कहा जाता हैं उनसे नाटक , संगीत और निबंध बोलने को कहा जाता हैं जिससे उनका चारित्रिक एवं नैतिक मूल्यों का विकास होता हैं।
उनके बौद्धिक स्तर एवं उनके मनोबल की पहचान करने के लिए –
छात्रों के बौद्धिक स्तर एवं उनके मनोबल की पहचान उनसे कुछ क्रिया करवाकर ही की जा सकती हैं। परन्तु वह क्रिया कब होनी हैं, किस प्रकार होनी हैं इसका निर्धारण Co-Curricular Activities द्वारा ही होता हैं। इसके द्वारा छात्रों से उचित क्रिया करवाई जाती हैं जिससे उनके मनोबल और बौद्धिक स्तर की पहचान की जा सकती हैं।
निष्कर्ष –
इस लेख में आपने जाना कि सह पाठ्यक्रम गतिविधियां किसे कहते हैं ? इस पोस्ट (Importance of Co-Curricular Activities in Hindi) से काफी कुछ आपको जानने को मिला होगा। सह पाठ्यक्रम गतिविधियां के निर्माण का कार्य सदैव ही एक शिक्षक और विद्यालय करते आये है अतः इसके विकास के लिए यह आवश्यक हैं कि वह इसकी महत्ता को समझे। यह जानकारी आपके लिए भविष्य में लाभदायक सिद्ध होगी। यदि आपको यह पोस्ट helpful लगी हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें और सवाल या अपने सुझाव देने के लिए नीचे Comment करें।
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