Rosha Syahi dhabba parikshan

हरमन रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण (Rosha syahi dhabba parikshan) ने यह परीक्षण वर्ष 1921में किया। यह स्विजरलैंड के एक मनोवैज्ञानिक थे। इन्होंने अपने परीक्षण के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व की समीक्षा करने की नीति के नये नियमों का निर्माण किया। जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता हैं।


इन्होंने यह परीक्षण स्याही के धब्बों के आधार पर किया। यही कारण हैं कि हरमन रोर्शा का यह परीक्षण रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण के नाम से जाना जाता हैं।
इनका मानना था कि व्यक्ति के कार्यो के आधार पर उसके व्यक्तित्व के बारे में पता लगाया जा सकता हैं।

रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण (Rosha syahi dhabba parikshan)

rosha syahi dhabba parikshan

इनका यह परीक्षण इनके नाम से ही प्रसिद्ध हैं। हरमन रोर्शा ने अपने परीक्षण में 10 कार्ड के साथ व्यक्ति के व्यक्तित्व का परीक्षण किया। जिसमें 3 कार्ड रंगीन, 5 कार्ड काले और 2 कार्ड जिनका रंग काला , सफेद और लाल होता हैं।
इन कार्ड के माध्यम से रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण (Rosha syahi dhabba parikshan) किया जाता हैं। इसके आधार पर व्यक्ति जो भी क्रिया करता हैं उसका आकलन करके उसके व्यक्तित्व का सही-सही आकलन किया जा सकता हैं।

इन कार्डो के माध्यम से व्यक्ति को एक-एक करके यह कार्ड दिखाए जाते हैं और उनसे कहा जाता हैं कि आप बताए कि आपको इन कार्डो में कौन-कौन सी आकृति बनते दिख रही हैं।

इन कार्डो को दिखाते समय जो व्यक्ति का परीक्षण कर रहा होता हैं वह उस व्यक्ति के द्वारा बताई गई आकृति को लिखित रूप देता हैं। उस व्यक्ति को जो भी दृश्य उन कार्डो में दिखाई देते हैं। परीक्षण करता उसको लिखित रूप देते रहता हैं।

विश्लेषण

जब वह व्यक्ति उन सभी 10 कार्डो को देखकर बता देता हैं कि उसे उनमें क्या-क्या नजर आया। तो उसके द्वारा बताए गए उन आकृतियों का विश्लेषण Rosha syahi dhabba parikshan के कुछ निश्चित सिद्धान्तो के आधार पर किया जाता हैं।

1- उस व्यक्ति ने उस कार्ड के किस भाग को देखते हुए उस आकृति की पहचान की अर्थात उसने रंग के आधार पर उस आकृति को पहचान या उस कार्ड में बनी आकृति के माध्यम से।
अगर उसने उस कार्ड में बनी आकृति की पहचान रंग के माध्यम से की तो वह बहुत भावात्मक(Emotional) हैं।

2- उस व्यक्ति ने वह आकर्ति का निर्माण किसी विशेष स्थान को देखकर किया या सम्पूर्ण भाग को देखकर।
अगर उसने किसी विशेष स्थान को देखकर उस आकृति का पता लगाया तो वह व्यक्ति व्यर्थ की बातों को सोचता हैं और अगर उसने सम्पूर्ण भाग को देखकर उस आकृति की पहचान की तो वह व्यक्ति सैद्धान्तिक सिद्धान्तो को मानने वाला व्यक्ति हैं।

3- व्यक्ति ने जो आकर्ति उन कार्ड में देखी वह किसकी थी। यह सभी Rosha syahi dhabba parikshan के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। उसने उन आकृति में किसी व्यक्ति को देखा या किसी वस्तु को या किसी जानवर को।

4 – उस व्यक्ति ने उन कार्डो में उस आकृति की पहचान करने में कितना समय लगाया। इस माध्यम से यह पता चल जाता हैं कि उस व्यक्ति का व्यक्तित्व चिंतनशील हैं।
वह हर निर्णय बहुत सोच-समझकर लेता हैं।

निष्कर्ष

Rosha syahi dhabba parikshan के माध्यम से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का परीक्षण पूर्ण रूप से कर पाना असम्भव हैं। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता हैं किसी भी विधि के माध्यम से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का आकलन कर पाना मुश्किल हैं। यह कहना भी गलत होगा कि रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण (Rosha syahi dhabba parikshan) एक व्यर्थ विधि हैं क्योंकि इन कार्डो के माध्यम से व्यक्ति के व्यक्तित्व के समीप पहुचा जा सकता हैं। दोस्तों आज हमने जाना कि Rosha syahi dhabba parikshan क्या हैं?
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13 thoughts on “Rosha Syahi dhabba parikshan”

  1. Nice sir, apne bhut acche se smjhaya hai. Apki sbhi post bhut acchi hai or sbhi easy language mai…thanks sir…..

  2. यदि व्यक्ति किसी पशु का चित्र बताता h तो इस k बारे में बताया नहितो कैसा व्यक्तित्व होगा (3) नंबर वाले point ki व्याख्या करो

    1. अंकित जब कोई व्यक्ति किसी चित्र को चुनता है तो ऐसे में उसकी मानसिक स्थिति और व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता है। यह मनोविज्ञान की पध्यति में से एक है। जैसे किसी को कार्टून वाला चित्र पसंद आया है तो वह व्यक्ति कल्पनावादी अधिक होगा।

  3. वैसे आप ने अच्छी जानकारी दे रखी है
    समझने में आसानी हुई
    Thank you

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