नई शिक्षा नीति-2020

34 साल के बाद नई शिक्षा नीति की मिली मंजूरी। (NEW EDUCATION POLICY 2020 ) दोस्तों, 34 साल के बाद भारत सरकार के द्वारा नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गयी हैं और नई शिक्षा नीति-2020 के निर्माण का कार्य मोदी सरकार के अधीन सम्पन्न हुआ।मोदी सरकार केबिनेट ने नई शिक्षा प्रणाली (New Education Policy) को बुधवार को मंजूरी दे ही दी अर्थात 29/07/2020 भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहा।

जब भारत के नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिली।सबसे महत्वपूर्ण बाद यह है कि मोदी सरकार MODI GOVERNMENT ने मावन संसाधन विकास मंत्रालय M.H.R.D का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि अब 10वी और 12 वी की परीक्षाओं में बदलाव करते हुए इसे थोड़ी आसान बना दिया गया हैं जिससे छात्र तनाव मुक्त हो सके और उनको टयूशन की जरूरत न पड़े इस दृष्टिकोण को भी नयी शिक्षा नीति-2020 में सम्मिलित किया गया हैं।

} मुदालियर आयोग के सुझाव
}भारतीय शिक्षा प्रणाली

साथ ही सामान्य परीक्षा होंगी जैसे 8-9 कक्षा में सम्पन्न होती थी और जो छात्र MPhil करने की सोच रहे थे वह यह नहीं कर पाएंगे साथ ही अब M.A के छात्र सीधें P.hd कर सकिंगे। शोध के लिए नई शिक्षा नीति में 4 साल का प्रावधान रखा गया हैं जिसके द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को बढ़ावा मिल सकें।

भारत के पास दूसरी सबसे बड़ी भारतीय शिक्षा प्रणाली है, इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा प्रणाली-2020 का निर्माण किया गया हैं जिसमें शिक्षा से जुड़े समस्त पहलुओं को ध्यान में रखकर उनका new education policy-2020 में समावेश किया गया हैं।
मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुसार (New Education Policy-2020 by Modi Government) मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया हैं अब सवाल यह बनता हैं कि ऐसा क्यों हुआ?

तो आइये हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?
दरअसल R.S.S की तरफ से यह सिफारिश आयी थी कि इसे शिक्षा मंत्रालय में तब्दील कर दिया जाए जो मोदी सरकार द्वारा मान ली गयी। R.S.S ने भाषा के ऊपर भी सिफ़ारिश की थी जो खारिज कर दी गयी।

तो अब यह जानते हैं कि नई शिक्षा नीति 2020 में ऐसा क्या बदलाव हुआ हैं। NEW EDUCATION POLICY 2020

इस शिक्षा नीति को ऐतिहासिक इसीलिये माना जा रहा है और ये अभी तक कि शिक्षा नीति से इसीलिये भिन्न है क्योंकि इसमें भारत सरकार ने 2 लाख से भी अधिक सुझाव मांगे थे जिसके बाद उन विचारों में विचार विमर्श कर नई शिक्षा नीति-2020 का निर्माण किया गया।

नई शिक्षा नीति-2020 में हुए बदलाव NEW EDUCATION POLICY-2020 –

दोस्तों, पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात जैसा कि मैंने आपको बताया कि इसका नाम मानव संसाधन विकास मंत्रालय से बदलकर अब सिर्फ शिक्षा मंत्रालय कर दिया हैं।दूसरा सबसे अहम बदलाव यह हुआ कि पहले 10+2 नीति में बदलाव यह हुआ कि इसको अब 5+3+3+4 फॉर्मूले के अकॉर्डिंग शिक्षा नीति क्रियान्वित होगी।

} माध्यमिक शिक्षा आयोग
} कोठारी आयोग1964

5+3+3+4 फॉर्मूला क्या हैं आइये अब जरा इसको समझते हैं –

5 = पहले 3 साल छात्र आगनबाड़ी की शिक्षा प्राप्त कारिंगे। उसके बाद 2 साल छात्र 1 और 2 कि शिक्षा प्राप्त कारिंगे। इस नीति में छात्रों के शरीरिक विकास पर अत्यधिक बल दिया जाएगा और खेल-खेल के माध्यम से उनको शिक्षा प्रदान की जाएगी।

3= इसमें कक्षा 3 से 5 तक कि पढ़ाई की व्यवस्था की गयी हैं इसमें भी क्रिया के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की नीति पर बल दिया गया हैं और इस स्तर में छात्रों को गणित,विज्ञान और कला जैसे विषयों पर अत्यधिक बल दिया गया हैं।

3= इसमें कक्षा 6 से 8 को रखा गया हैं इस स्तर पर विद्यार्थियों के ज्ञानात्मक पक्ष में बल दिया गया है। इसमें छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा के नीति का निर्माण किया गया हैं।

4= इसमें कक्षा 9 से 12 तक कि शिक्षा को सम्मिलित किया गया हैं । नवीन शिक्षा प्रणाली 2020 में शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए 2050 तक 50% विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया हैं। जिससे विद्यार्थियों को भविष्य में जीविकोपार्जन करने में मदद मिल सकें।

नई शिक्षा नीति2020 New Education Policy 2020 में विद्यार्थियों के कौशल skill पर ज्यादा ध्यान दिया गया हैं जिससे शिक्षा के वास्तविक उददेश्यों की प्राप्ति सम्भव हो सकें। साथ में माध्यमिक स्तर पर अब सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया गया हैं।नई शिक्षा नीति के अनुसार अब 5वी तक के छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान की जाएगी अर्थात मोदी सरकार ने new education policy-2020 में मातृभाषा के महत्व पर बल दिया तथा मोदी सरकार का यह कदम से साफ जाहिर होता है कि नई शिक्षा नीति के निर्माण में भारतीय संस्कृति एवं भारतीय नैतिक मूल्यों के विकास में भी बल दिया गया हैं।

नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत को शिक्षित करना हैं और इसी उद्देशय को ध्यान में रखते हुए 2030 तक सभी बच्चों को शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ना हैं। जिसके द्वारा नव भारत का निर्माण किया जा सकें।इस नीति में डिजिटल Digital एवं ऑनलाइनOnline शिक्षा पर भी मुख्य ध्यान दिया गया हैं ऐसे क्षेत्र जहाँ विद्यालयों का निर्माण नही हुआ है एवं कुछ ग्रामीण क्षेत्र ऐसे है जहाँ बच्चे दूर-दूर से विद्यालय आते हैं इस दृष्टिकोण को देखते हुए यह कदम एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं नई शिक्षा नीति-2020 में और इसी उद्देश्य से सरकार ने 100 विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन करने का उद्देश्य नई शिक्षा नीति में सम्मिलित किया हैं।

} राष्टीय ज्ञान आयोग(N. K. C)

शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति-2020 के अनुसार अब प्राइवेट विद्यालयो में भी पढ़ाने के लिए अब TET पास करना जरूरी कर दिया गया हैं। इसके बिना कोई विद्यालय में अध्यापन कार्य नही कर सकेगा।

शिक्षक शिक्षा में हुए बदलाव

नई शिक्षा नीति-2020 (New Education Policy-2020) में शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार हेतु भी कुछ संशोधन किया गया हैं जहाँ बी. ए (B. A)या एम.ए (M. A) करने के बाद दो साल का बी.एड होता था। उसको अब परिवर्तित करके कुछ नये बदलाव किए गए हैं
बी.एड B.Ed से जुड़े छात्र या जो बी.एड करना चाहते हैं उनके लिए यह सूचना काफी महत्वपूर्ण हैं। नये प्रावधान इस प्रकार हैं कि जिन्होंने एम.ए किया है उनको सिर्फ एक साल में डिग्री मिल जाएगी और इंटरमीडिएट छात्रों को 4 साल का बी.एड B.Ed करना अनिवार्य होगा और नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए ही नवीन पाट्यक्रम का भी निर्माण कार्य करवाया जायेगा।

निष्कर्ष Conclusion –

नई शिक्षा नीति-2020 की रूप-रेखा भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली के दोषों को देखते हुए उनमे परिवर्तित करने की एक नीति हैं। जिसके माध्यम से भारत की शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने हेतु इसका निर्माण किया गया है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में निरंतर परिवर्तन होते रहा हैं समाज की आवश्यकताओ को ध्यान में रखते हुए और शिक्षा की गुणवत्ता को ऊपर की ओर ले जाने के लिए भारत सरकार को चाहिए कि वह इसी तरह निरंतर परिवर्तन करते रहें। परन्तु वास्तविकता यही हैं कि इतनी शिक्षण नीतियां आने के पश्चात आज भी शिक्षा की गुणवत्ता में कमी देखने को मिलती हैं एवं कितने ऐसे ग्रामीण क्षेत्र है जहाँ शिक्षा का स्तर बहुत निम्न हैं इसके लिये चाहिये कि सरकार शिक्षक-शिक्षा की गुणवत्ता में कुछ बदलाव लाए।

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