आलोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking) क्या हैं?

आलोचनात्मक चिंतन Critical Thinking सत्य-असत्य एवं सही-गलत के मध्य अंतर स्पष्ट करने की कला हैं। यह व्यक्ति को अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करने की ओर आकर्षित एवं अभिप्रेरित करता हैं। यह व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से विचार करने एवं उचित मूल्यांकन करने का कौशल प्रदान करता हैं।

यह व्यक्ति मे ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा का विकास करता हैं। जिस कारण व्यक्ति किसी प्रकरण को विस्तार पूर्वक जानने हेतु अधिक प्रश्न पूछता हैं एवं अपनी जिज्ञासा को शांत करता हैं। आज हम आलोचनात्मक चिंतन से संबंधित सभी पहलुओं का अध्ययन कारिंगे और जनिंगे कि आलोचनात्मक चिंतन क्या है?

आलोचनात्मक चिंतन क्या हैं? What is Critical Thinking

critical thinking kya hai

यह व्यक्ति की सृजनात्मक क्षमता का विकास करता है एवं स्वयं द्वारा नवाचारों एवं क्रियाओं की खोज करने की ओर प्रेरित करता हैं। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने का कार्य करता है एवं उसमें नेतृत्व क्षमता एवं कौशलों का विकास करता हैं। जिसकी सहायता से व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को आकर्षित एवं स्वयं को प्रभावशाली सिद्ध करता हैं।

यह व्यक्ति को किसी भी प्रकरण का विश्लेषण करने एवं किसी समस्या का समाधान एवं वर्तमान परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करने में भी सहायता करता हैं। यह व्यक्ति को समाज के साथ समायोजन करने एवं सामाजिक कार्यों में सहयोग करने व जीविकोपार्जन हेतु व्यवसाय करने योग्य बनाता हैं।

यह वैज्ञानिक चिंतन का विकास करता है जिसकी सहायता से व्यक्ति किसी भी समस्या का क्रमबद्ध रूप से अध्ययन कर पाता हैं। यह व्यक्ति को सटीक जानकारी एकत्रित करने में उसकी सहायता करता हैं। जिस कारण वह वस्तु का उसके सही रूप में आकलन करने में सक्षम हो पाते हैं।

आलोचनात्मक चिंतन की विशेषता Characteristics of Critical Thinking

1. यह व्यक्ति को दार्शनिक बनाता हैं एवं किसी वस्तु का विश्लेषण करने में उसकी सहायता करता हैं।

2. यह व्यक्ति को सही-गलत एवं सत्य-असत्य का चयन करने में सहायता करता हैं।

3. यह प्रश्नात्मक कौशल में वृद्धि करने का कार्य करता है एवं व्यक्ति को अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रेरित करता हैं।

4. आलोचनात्मक चिंतन व्यक्ति को सटीक निर्णय लेने में उसकी सहायता करता हैं। जो उसे भविष्य में सफलता के मार्ग पर ले जाता हैं।

5. इस चिंतन के द्वारा व्यक्ति में रचनात्मक गुणों का विकास होने लगता हैं।

आलोचनात्मक चिंतन की उपयोगिता Importance of Critical Thinking

आलोचनात्मक चिंतन का विकास कर व्यक्ति दुसरो के विचारों पर चिंतन-मनन कर ही उन विचारों को स्वीकार या अस्वीकार कर पाता हैं। यह व्यक्ति को बुद्धिजीवी बनने एवं लोगों का नेतृत्व करने व समाज के साथ समायोजन करने में भी उसकी सहायता करता हैं।

यह व्यक्ति को उसके कार्यो एवं उसके विचारों में परिपक्वता लाने एवं उसके आत्मविश्वास में वृद्धि लाने का कार्य करता हैं।

शिक्षा में आलोचनात्मक चिंतन की भूमिका Role of Critical Thinking in Education

शिक्षक जब किसी प्रकरण को छात्र को ध्यानपूर्वक समझाता है तो छात्रों में क्यों,क्या और कैसे जैसे प्रश्न जन्म लेते है परंतु जब उन छात्रों को क्यों,क्या व कैसे का उत्तर प्राप्त हो जाता है, अर्थात जब वह उस प्रकरण से संबंधित सभी आंकड़ों एवं ज्ञान अर्जित कर लेते है तो वह उस प्रकरण से संबंधित सभी अनकही बातों को एक उसके भावात्मक पहलुओं को भी समझने लगते है और उनके अधिगम की यही प्रक्रिया उनमें आलोचनात्मक चिंतन critical thinking का विकास करती हैं।

जिससे वह भविष्य में भी सही-गलत एवं सत्य-असत्य के मध्य के अंतर को सामान्य तौर पर समझने लगते है। जो उनको सदैव सफलता के मार्ग की ओर अग्रसर करती है। यह छात्रों को समस्या-समाधान की प्रक्रिया में उनकी सहायता करती है एवं उनको किसी भी प्रकरण पर पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने हेतु जिज्ञासु बनाती हैं।

निष्कर्ष

आलोचनात्मक चिंतन व्यक्ति की सार्वभौमिक सत्य जानने की ओर प्रेरित करता है। जो उन्हें सही जानकारी एकत्रित करने में उनकी सहायता करता है एवं सही निर्णय लेने के कौशल का विकास करता हैं।

तो दोस्तों आज आपने जाना कि आलोचनात्मक चिंतन क्या हैं? अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इस पोस्ट को अपने अन्य मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।

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