बाल्यावस्था Childhood बालकों की वह अवस्था हैं, जिसमे छात्रों की स्मरण चेतना का विकास होता हैं। बाल्यावस्था को 6 से 12 वर्ष तक माना जाता हैं, जिसमें छात्र नवीन वस्तुओं के संबंध में जानने हेतु जिज्ञासु होते हैं।
यह विकास की वह अवस्था होती है जिसमें बालक के व्यक्तित्व एवं चरित्र का विकास तीव्र गति से होता हैं। इस अवस्था के अंतर्गत अभिभावकों एवं अध्यापकों दोनों की जिम्मेदारी काफी हद तक बढ़ जाती हैं क्योंकि इस अवस्था में बालकों के बिगड़ने की मात्रा अधिक होती हैं।
इस अवस्था में छात्रों का सही ढंग से मार्गदर्शन करने की बहुत आवश्यकता होती हैं। तो दोस्तों आज हम विस्तारपूर्वक यह जानने का प्रयास कारिंगे की बाल्यावस्था (Childhood) क्या हैं? परिभाषा और विशेषता। यह जानकारी आपको B.Ed CTET UTET जैसी अन्य परीक्षाओं में आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं।
बाल्यावस्था क्या हैं? (What is Childhood)
यह अवस्था शैशवावस्था के बाद कि अवस्था हैं। इस अवस्था में बालक शैशवावस्था से विकास की प्रक्रिया को पूरी कर इस अवस्था मे पहुचते हैं। यह अवस्था छात्रों के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण की अवस्था होती हैं, इसलिए कई मनोवैज्ञानिक इस अवस्था को निर्माणकारी अवस्था भी मानते हैं।
यह अवस्था 6 से 12 वर्ष की आयु में होती हैं। इसके अंतर्गत इस अवस्था की दो भागों में विभाजित किया गया है, अर्थात 6-9 वर्ष की अवस्था को पुर्व-बाल्यावस्था एवं 9-12 के वर्ष को उत्तर-बाल्यावस्था के रूप में विभाजित किया गया हैं।
बाल्यवस्था की परिभाषा (Definition of Childhood)
● किलपेट्रिक के अनुसार – “बाल्यवस्था प्रतिद्वंद्वात्मक समाजीकरण का काल हैं।”
● कॉल व ब्रूस के अनुसार – “इस अवस्था को समझना प्रत्येक माता-पिता के लिए कठिन हैं।”
● रॉस के अनुसार – “बाल्यवस्था छदम (झूठा) परिपक्वता की आयु हैं।”
● फ्रायड के अनुसार – “बाल्यवस्था बालक का निर्माणकारी काल हैं।”
बाल्यवस्था की विशेषता (Characteristics of Childhood)
1. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete operational stage) – मूर्त संक्रियात्मक अवस्था वह अवस्था हैं जिसमें छात्र उसी वस्तु के बारे में चिंतन करते हैं जिन्हें वह अपनी आँखों के सामने देखते हैं अर्थात जो उन्हें दिखाई देता हैं वह उसी के संबंध में चिंतन कर पाते हैं। यह अवस्था अमूर्त कम और मूर्त ज्यादा होती हैं।
2. खेल अवस्था (Gaming Stage) – इस अवस्था को खेल अवस्था इसलिए कहा जाता हैं, क्योंकि इस अवस्था मे बालक का मन बहुत चंचल होता हैं और वह बहुत सक्रिय होता हैं। इस अवस्था मे लगभग 95 प्रतिशत बालक खेलने में अपनी रुचि प्रकट करते हैं।
3. निर्माणकारी अवस्था (Formative Stage) – इस अवस्था को निर्माणकारी अवस्था इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अवस्था छात्रों के व्यक्तित्व एवं चरित्र का निर्माण करती हैं।
4. सामुदायिक अवस्था (Community Stage) – इस अवस्था मे बालक समूह में रहना काफी पसंद करते हैं। स्वयं को अकेले रहने में वह असहज महसूस और शांत अवस्था में चले जाते हैं।
5. संवेदनशीलता (Sensitivity) – संवेदनशीलता अर्थात इस अवस्था मे बालक किसी कार्य को करने हेतु अधिक उत्तेजित एवं विश्वसनीय योग्य होते हैं।
6. चिंतन (Concerns) – इस अवस्था मे बालक चिंतनशील हो जाते हैं अर्थात वह सही-गलत की पहचान करने लगता हैं। किसी विषय की तह तक जाने का प्रयास करता है एवं वस्तुओं को समझने का प्रयास करता हैं।
यह अवस्था बेहद महत्वपूर्ण अवस्था होती हैं, वह इसलिए क्योंकि यह उम्र छात्रों के व्यक्तित्व का निर्माण करती है। इस अवस्था मे अगर बालकों को सही मार्गदर्शन नही मिलता तो वह गलत दिशा एवं कार्यो की ओर अग्रसर हो सकते है।
यह अवस्था अधिक उत्तेजित अवस्था होती है हालांकि इस अवस्था मे छात्र चिंतन करने लगते हैं परंतु वह चिंतनशील प्रगति अपनी विकासशील स्थिति होती हैं जो कि अपरिपक्व हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
बाल्यवस्था एक बेहद महत्वपूर्ण अवस्था हैं। जिसमें अभिभावकों और अध्यापकों की जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती हैं क्योंकि इस अवस्था मे बालक अधिक सामाजिक होते हैं और विकासशील प्रक्रिया के चरण में होते हैं।
तो दोस्तों आज आपने जाना कि बाल्यवस्था (Childhood) क्या हैं? परिभाषा और विशेषता। अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।
Very nice Chapter