महिला सशक्तिकरण Women Empowerment महिलाओं के अधिकारों को संचित रखने एवं जागरूक करने की एक नीति या योजना हैं। जिसके उद्देश्य की प्राप्ति हेतु सरकार महिलाओं के विकास हेतु कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन का कार्य करती हैं।
आधुनिक समय मे राष्ट्र के विकास एवं उन्नति हेतु महिलाओं एवं पुरुष दोनों एक समान भूमिका निभा रहे हैं। महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र (खेल,सेना,न्याय, राजनीति, सामाजिक एवं सांस्कृतिक) में अपनी भागीदारी निभा रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए महिलाओं का सशक्त (योग्य) एवं शक्तिशाली बनाने हेतु विभिन्न नीतियों का निर्माण किया जाता हैं। जो सामान्यतः महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) का ही एक उदाहरण हैं।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay in Hindi)
महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत उन योजनाओं को लागू करने का प्रयास होय हैं। जिन योजनाओं से महिलाओं को सशक्त (शक्तिशाली) बनाया जा सकें एवं उनके अधिकारों,न्याय,सुरक्षा एवं योजनाओं को उन तक आसानी से पहुँचाया जा सकें।
वर्तमान समय में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों जैसे- घरेलू हिंसा,भेदभाव,यौन-उत्पीड़न, भ्रूण हत्या, अत्याचार, निर्धनता जैसी सभी समस्याओं के समाधान हेतु एवं उनको उचित न्याय,अधिकार एवं सुरक्षा दिलाने हेतु उनको सशक्त बनाने के लिए ऐसी विभिन्न योजनाएं राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती हैं।
महिला सशक्तिकरण में राज्य पोषित योजनाएं (State funded schemes in women empowerment)
● नंदा गौरा योजना
● बल कल्याण निधि
● किशोरी बालिकाओं हेतु सेनेटरी नैपकिन व्यवस्था
● उत्तराखंड महिला समेकित विकास योजना
● मुख्यमंत्री महिला सतत आजीविका योजना
● निर्भया योजना
● आंगनवाड़ी कर्मी कल्याण कोष
● पं० दीनदयाल सामाजिक सुरक्षा कोष
● लीलू रौतेली पुरस्कार
महिला सशक्तिकरण में केंद्र पोषित योजनाएं (Center funded schemes in women empowerment)
● बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP)
● प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
● राष्ट्रीय पोषण मिशन
● समेकित बाल विकास सेवाएं
● राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन 181
● वन स्टॉप सेंटर (OSC)
● निर्भया फण्ड
● महिला शक्ति केंद्र (MSK)
मुख्य योजनाओं का विवरण –
1. नन्दा गौरा योजना – महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं को एकीकृत कर “नंदा गौरा योजना” का निर्माण किया गया। जिसके अंतर्गत 2 किश्तों में कुल 62,000 की धनराशि बैंक के माध्यम से उन परिवार की कन्याओं को दिए जाते हैं। जिनकी वार्षिक आय इस योजना के मानकों के अनुरूप होती हैं।
इस योजना के अंतर्गत जन्म के समय 11,000 रुपए(जन्म से 5 माह के अंदर) एवं इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के पश्चात 51000 रुपए। इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु आपको निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ेगी- स्थायी निवास प्रमाण-पत्र, आय प्रमाण-पत्र, संस्थागत अस्पताल का प्रमाण-पत्र, राशन कार्ड ,बैंक खाता।
2. पं० दीनदयाल सामाजिक सुरक्षा कोष – उत्तराखंड राज्य की महिलाएं जो सामाजिक दृष्टि से कमजोर हैं। उन्हें इस कोष के माध्यम से लाभ पहुँचाया जाता हैं। राज्य में घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं, तलाकशुदा,विधवा,किन्नर (Transgender) को इस कोष से सहायता प्रदान की जाती हैं।
3. तीलू रौतेली पुरस्कार – यह पुरस्कार उत्तराखंड की वीरांगना “तीलू रौतेला” के नाम पर रखा गया हैं। इस पुरस्कार के अंतर्गत पुरुष्कृत महिलाओं एवं किशोरियों को 21,000 तक कि सहायता प्रदान की जाती हैं। यह पुरस्कार उन महिलाओं को प्राप्त होते हैं। जिन्होंने सामाजिक,शिक्षा,साहित्य,संस्कृति में कोई महान कार्य किया हो।
4. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – यह भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना है जो भारत के समस्त जिलों में 1 जनवरी 2017 से लागू कर दी गयी थी। इस योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को उनका पंजीकरण के स्वास्थ जांच हेतु लाभ पहुँचाना हैं। जिससे वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें। इस योजना के अंतर्गत तीन किश्तों में 5000 रुपए की धनराशि प्रदान की जाती हैं।
5. राष्ट्रीय पोषण मिशन – इस योजना का आयोजन भारत सरकार द्वारा 8 मार्च 2008 को किया गया। इस योजना का उद्देश्य था कि भारत मे व्याप्त कुपोषण की समस्याओं को दूर करना एवं 2022 तक कुपोषण के राष्टीय स्तर को 38.41% से घटाकर 25% तक लाना।
6. निर्भया फण्ड – इस फण्ड के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा पर जोर देने का कार्य किया गया हैं। भारत राष्ट्र की सबसे बड़ी शर्मशार घटना जो 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में घटित हुई थी। जिसके विरोध में पूरा देश सड़को में आ गया। यह दिल दहला देने वाला अपराध था। इस शर्मशार करने वाली घटना के अंतर्गत 25 वर्षीय निर्भया नाम की लड़की से कई लोगों ने दुराचार कर उसकी निर्मम हत्या कर दी।
जिसके पश्चात महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानूनों एवं न्याय प्रणाली मे शक्ति लाई गई “निर्भया फण्ड” उसी का एक भाग हैं। जिसका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त एवं शक्तिशाली बनाना था। इसके तहत महिलाओं को शिक्षण,प्रशिक्षण,कानूनों के प्रति जागरूकता एवं आत्मरक्षा (Self-defense) संबंधित ज्ञान का विस्तार किया गया।
इसी योजना को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा यौन उत्पीड़न से मुक्त महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और कार्यस्थल बनाने के उद्देश्य से कार्यस्थल (रोकथाम,निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 में यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण कानून बनाया गया।
इसके अतिरिक्त कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की ऑनलाइन शिकायत का पंजीकरण करवाने हेतु भारत सरकार द्वारा www.shebox.nic.in पोर्टल की भी व्यवस्था की गयी।
महिलाओं पर राष्ट्रीय आयोग (Women National Commission)
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा स्वनियोजित महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु 1987 में महिला राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई।
इस आयोग का गठन महिलाओं की स्थिति को जानने एवं उसकी स्थिति में सुधार लाने हेतु किया गया था। इस आयोग की रिपोर्ट “श्रम-शक्ति” के अंतर्गत महिलाओं की तत्कालीन स्थिति का पूर्ण विवरण उल्लेखित कर भारत सरकार को सौंपा गया। जिसके पश्चात महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने हेतु अनेकों प्रयास किये गए।
निष्कर्ष –
राष्ट्र में महिलाओं की स्थिति,शोषण,अत्याचारों को रोकने हेतु विभिन्न कार्य निरंतर किए जा रहे हैं, परंतु वर्तमान में भी महिलाओं की स्थिति में ज्यादा सुधार देखने को नही मिलता। आए दिन हम घरेलू-हिंसा,यौन उत्पीड़न जैसी सूचनाओं को समाचार के माध्यम से सुनते हैं। अनेकों कानून बनते हैं और अपराधियों को उसकी सजा भी मिलती हैं।
परंतु अपराधियों पर नियंत्रण रख पाना असंभव सिद्ध नजर आता हैं। इन समस्त समस्याओं के समाधान हेतु महिलाओं को आत्मरक्षा की कला में निपुर्ण होना एवं शिक्षित होना अति आवश्यक हैं और सचेत एवं हर समय सक्रिय रहने की आवश्यकता हैं।
तो दोस्तों आज आपने जाना कि महिला सशक्तिकरण क्या हैं? (Women Empowerment Essay in Hindi) अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपनी समस्त महिला मित्रों के साथ शेयर करें। ताकि वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें।
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