रूसो के राजनीतिक विचार (Rousseau Political Thought) राजनीति के जगत के मुख्य बिंदु हैं। जिनको राजनीति के ऐतिहासिक विचारों में सम्मिलित किया जाता हैं। रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धान्त एवं सामान्य इच्छा का सिद्धांत राजनीति जगत में काफी प्रचलित हैं।
इन्होंने अपने विचारों से राजनीति जगत के विचारों को परिवर्तित करने का कार्य किया। रूसो को प्रकृतिवादी भी माना जाता हैं। यह राजनीति के विख्यात दार्शनिक हैं। प्लेटो एवं हीगल के राजनीतिक विचारों की तरह इनके विचारों को भी श्रेष्ठ स्थान दिया जाता हैं। तो आइए रुसो के राजनीतिक विचारों का विस्तृत रूप से अध्ययन करते हैं और जानते है कि इन्होंने अपने विचारों में क्या-क्या सम्मिलित किया हैं? Rousseau Political Thought.
रुसो के राजनीतिक विचार (Rousseau Political Thought)
इनके राजनीति से संबंधित समस्त विचारों को हम निम्न बिंदुओं के आधार पर समझने का प्रयास कारिंगे –
1) सामाजिक समझौता सिद्धांत (Social Contract Theory) – रुसो के इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति अकेले रहकर अपनी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता था। जिस कारण उसने अन्य लोगों से समझौता कर एक समूह का निर्माण किया। रुसो के इस सिद्धांत का समर्थन जॉन और लॉक ने किया।
रुसो के अनुसार प्राकृतिक अवस्था मे मनुष्य असभ्य निडर एवं सामान्य स्वभाव रखने वाला था। परंतु बाद में आपस मे संघर्ष के कारण एक-दूसरे के प्रति घृणा का भाव उत्त्पन्न हुआ। इस समझौते के अनुसार व्यक्ति ने अपने समस्त अधिकारों का त्याग कर वह अधिकार समाज को दे दिए।
2) सामान्य इच्छा का सिद्धांत (General Will Theory) – रुसो के इस सिद्धांत को भी राजनीति के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। यह दो प्रकार की इच्छा की बात करते हैं- यथार्थ इच्छा एवं आदर्श इच्छा। यथार्थ इच्छा स्वार्थपूर्ण और व्यक्तिगत होती हैं। वहीं आदर्श इच्छा सामाजिक हित से प्रेरित हैं। इन दोनों के मध्य की इच्छा को रुसो सामान्य इच्छा मानते हैं। जो ना तो पूर्ण रूप से व्यक्तिगत और स्वार्थी होती हैं और न ही पूर्ण रूप से सामाजिक होती हैं।
3) रुसो के संप्रभुता संबंधित विचार (Rousseau Thoughts on Sovereignty) – रुसो के विचारों के अनुसार सामान्य इच्छा के अंतर्गत ही संप्रभुता की प्राप्ति की जा सकती हैं। रुसो (Rousseau) मानते है कि सामान्य इच्छा का व्यवहारिक रूप में प्रयोग करना ही संप्रभुता हैं। इनके अनुसार यह कोई कानून या अधिकार नहीं जो किसी एक व्यक्ति को दे दी जाए।
यह संप्रभुता का निवास स्थान जनता में मानते है और कहते हैं कि जनता में किसी प्रकार की पाबंदियां नही लगाई जा सकती।
4) रुसो के कानून संबंधित विचार (Rousseau Thoughts on Law) – रुसो ने अपनी पुस्तक Political Economy में कानून को परिभाषित करने का कार्य किया हैं। इनके अनुसार कानून व्यक्ति को गलत कार्य करने से रोकने का एक उपाय हैं एवं साधन हैं।
रुसो कानून को सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति मानते हैं। रुसो चार प्रकार के कानूनों की अपनी पुस्तक में विवेचना करते हैं -दीवानी कानून,राजनीतिक कानून,फौजदारी कानून एवं नैतिकता।
5) रुसो के स्वतंत्रता संबंधित विचार (Rousseau Thoughts on Freedom) – रुसो मनुष्य के विकास में स्वतंत्रता को बहुत महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। इनके अनुसार स्वतंत्र हेतु सामान्य इच्छा के नीति-नियमों का पालन करना अनिवार्य हैं। रुसो ने स्वतंत्रता को प्राकृतिक अधिकार नहीं बल्कि राज्य द्वारा प्राप्त अधिकार माना हैं।
6) रुसो के शासन संबंधित विचार (Rousseau Thoughts on Government) – रुसो ने अपने सामाजिक समझौते सिद्धांत में समाज को ही सर्वोपरी स्थान दिया हैं और उसी को राज्य की भी संज्ञा दी हैं। जबकि वह शासन या सरकार को मात्र व्यक्तियों के समूह के रूप में परिभाषित करते हैं। शासन मात्र संप्रभुता अर्थात जनता की सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति को व्यवहारिक रूप प्रदान करने का एक साधन हैं।
रुसो अपने राजनीतिक विचारों Rousseau Political Thought चार प्रकार की सरकार या शासन के बारे में बात करते हैं – राजतंत्र,प्रजातंत्र,कुलीनतंत्र एवं मिश्रित सरकार। राजतंत्र वह होता हैं जिसमें किसी एक परिवार या वंश के लोग राज करते हैं वही प्रजातंत्र जनता का जनता के लिए शासन होता हैं और कुलीनतंत्र अर्थात किसी विशेष नामी कुल के व्यक्तियों का शासन और मिश्रित शासन जिसमें सभी प्रकार के गुण देखने को मिलते हैं।
7) रुसो के शिक्षा संबंधित विचार (Rousseau Thoughts on Education) – इन्होंने अपनी पुस्तक “एमिल” में शिक्षा की प्रक्रिया को दर्शाने का कार्य किया हैं। रुसो ने शिक्षा को आंतरिक विकास करने का साधन माना हैं। रुसो ने अपनी पुस्तक में छात्रों हेतु लेखन,गायन,गणित,इतिहास,सामाजिक शिक्षा आदि की बात कही हैं।
निष्कर्ष –
रुसो एक महान राजनीतिज्ञ थे,इन्होंने अपने विचारों से काफी दार्शनिकों एवं राजनीतिज्ञों के विचारों के विचारों को प्रभावित किया। राजनीति के क्षेत्र में इनका सामान्य इच्छा का सिद्धांत एवं सामाजिक समझौते का सिद्धांत काफी प्रचलित हैं।
तो दोस्तों आज आपने रुसो के राजनीतिक विचारों (Rousseau Political Thought) का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया। अगर आपको हमारी यह पोस्ट लाभदायक लगी हो तो इसे अपने सभी साथियों के साथ अवश्य शेयर करें।
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