राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (Rashtriya Shiksha niti 1986) भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सुधार का एक बड़ा कदम था। इसकी योजनाओं को विकास रूप इंदिरा गांधी ने दिया। इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की योजना बनाई परंतु भारत मे व्याप्त अलगाववाद की वजह से उनकी हत्या कर दी गयी। उसके बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी में सत्ता को संभाला।
उन्होंने सरकार के आते ही शिक्षा के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी परिवर्तन किए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 उसी का परिणाम हैं। दोस्तों आज इस पोस्ट के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (rashtriya shiksha niti 1986) पर विस्तारपूर्वक अध्ययन कारिंगे। आवश्यक जानकारी हेतु पोस्ट को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़े।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 क्या हैं?
वर्तमान शिक्षा नीति का अध्ययन कर एवं उसमे आवश्यक बदलाव हेतु 1983 में भारत सरकार के समक्ष कुछ प्रस्ताव रखे गए। यह प्रस्ताव भावी शिक्षा नीति के निर्माण के लिए की गयी थी। इसमे वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के दोषों को उजागर किया गया एवं उसमे उचित संशोधन हेतु बदलाव का प्रस्ताव 1983 में सरकार के समक्ष रखा गया और 1986 में उचित बदलावों के साथ नयी राष्ट्रीय शिक्षा को पारित कर दिया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (rashtriya shiksha niti 1986) में शिक्षा को भारत की वर्तमान स्थितियों एवं आदर्शों के अनुसार बनाया गया। जिसके द्वारा छात्रों में लोकतंत्र के प्रति आदर्श भावना का निर्माण करने एवं लोकतंत्र के प्रति आस्था भाव का विकास करने जैसे विचारों को सम्मिलित किया गया। इसके द्वारा छात्रों को वास्तविक शिक्षा प्रदान करने की योजनाओं का निर्धारण किया गया। जिससे वह अपने भावी जीवन मे जीविकोपार्जन कर सकें एवं समाज मे सम्मानपूर्वक रह सकें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की विवेचना
इसमें सर्वप्रथम सुधार शिक्षा के ढाँचे में किया गया शिक्षा व्यवस्था में सुधार करते हुए 10+2+3 व्यवस्था को अपनाया गया। जिसमे देश की व्यवस्था के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों के निर्धारण किया गया। इसमें ऐसी शिक्षा प्रदान करने की बात कही गयी जिससे लोकतंत्र कर उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव हो सकें। इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं लोकतंत्रीय शिक्षा के गुणों को प्रमुख स्थान दिया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार सभी को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने की बात कही गयी। शिक्षा प्रदान करने का माध्यम मात्रभाषा और क्षेत्रीय भाषा को बनाया गया। शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में विभाजित कर दिया गया। सभी शिक्षा के स्तर हेतु पाठ्यक्रम के योजना के निर्माण की तैयारी भी की गई।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (rashtriya shiksha niti 1986) को छात्रों के वास्तविक जीवन से जोड़ा गया समाज की वास्तविक आवश्यकताओं के अध्ययन कर छात्रों को समाज के लिए तैयार करने हेतु छात्रों के व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने की योजनाओं को प्रमुख स्थान दिया गया। इसके अंतर्गत छात्रों को तकनीकी शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया। जिससे वह भावी जीवन के लिए जेवीकोपार्जन हेतु तैयार हो सकें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के मुख्य बिंदु जिनके द्वारा शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाया गया-
- भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु सम्पूर्ण देश में एक शिक्षा व्यवस्था को अपनाते हुए 10+2+3 प्रणाली को अपनाया गया।
- शिक्षा के उत्तम क्रियान्वयन हेतु शिक्षा के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी को केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं जिले के अनुसार विभाजित किया गया।
- इसमें छात्रों के व्यावहारिक पक्ष एवं शारिरिक पक्ष पर बल देते हुए प्राथमिक शिक्षा में इनको मुख्य स्थान दिया गया। जिससे शिक्षा के द्वारा छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सकें।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (rashtriya shiksha niti 1986) में देश की विशाल जनसंख्या को देखते हुए निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान रखा गया एवं बुनियादी शिक्षा Basic Education के स्वरूप को स्वीकार किया गया।
- प्राथमिक शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए ब्लैकबोर्ड योजना का निर्माण किया गया एवं 90 प्रतिशत छात्रों को इसके द्वारा लाभ पहुचाने की योजना का निर्माण किया गया।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ऐसी नीति थी जिसको सफलतापूर्वक लागू करने का सम्पूर्ण प्रयास किया गया परंतु यह कहना गलत होगा कि यह अपने उद्देश्य में पूर्ण रूप से सफल रहीं यह हम इसीलिये कह रहे हैं कि अगर हम भारत की वर्तमान स्थिति की बात करें तो वर्तमान शिक्षा प्रणाली सभी को रोजगार प्राप्त करवाने हेतु असमर्थ साबित हुई हैं। दोस्तों, आज अपने जाना कि हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (Rashtriya Shiksha Niti 1986) कैसी थी एवं इसके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लाये गए बदलाव। आपको हमारी पोस्ट से कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ हो एवं आपको ज्ञानवर्धक लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी इसे शेयर करे।धन्यवाद।।
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