नियोजन (Planning) या योजना का अर्थ और परिभाषा

नियोजन या योजना Planning एक ऐसी सुनिश्चित योजना की रूपरेखा बनाने से हैं जिसके द्वारा उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकें, कार्यप्रनलो को बिना बाधा के आगे बढ़ाया जा सकें, सहयोगी व्यक्तियों एवं परिस्थितियों का लाभ उठाया जा सकें और सहायक सामग्री तथा उपलब्ध वस्तुओं का समुचित उपयोग किया जा सकें।

योजना या नियोजन एक ऐसी नीति हैं जिसका निर्माण किसी कार्य को करने से पहले या किसी कार्य के उद्देश्यों को उचित मात्रा में प्राप्त करने के लिए नीतिगत रूप से किया जाता हैं। जिसमें यह निर्णय लिया जाता हैं कि किसी कार्य को क्यों, कैसे और किस तरह या तरीके से करना हैं।

planning niyojan kya hai

सामान्य शब्दों में कहें तो किसी कार्य की सफलता और असफलता किसी कार्य की नियोजन या योजना पर ही निर्भर करती हैं। इस तरह हम नियोजन की महत्ता को समझ सकते हैं। तो चलिए नियोजन या योजना के अर्थ को थोड़ी विस्तृत रूप से समझने का प्रयास करते हैं और जानते हैं नियोजन का अर्थ और परिभाषा। What is Planning in Hindi

नियोजन का अर्थ – Meaning of Planning in Hindi

नियोजन एक योजना बनाने या नीति का निर्माण करने की प्रक्रिया का नाम हैं। इस प्रकार योजना का अर्थ विभिन्न विकल्पों में से सबसे अच्छे को चुनना हैं। ये विकल्प उद्देश्य, प्रक्रिया, नीतियां और कार्यक्रम आदि हो सकते हैं। यह प्रगतिशील प्रक्रिया हैं जो वर्तमान के साथ भविष्य को भी देखती हैं। भविष्य के वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास, नई खोजे और सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए योजना का निर्माण लचीला होना चाहिए।

नियोजन या योजना की एक विशेषता यह होती हैं कि इसे क्रियान्वयन के दौरान परिस्थितियों के अनुसार बदला जा सकता हैं या इसके किसी पहलू में परिवर्तन किया जा सकता हैं। नियोजन या योजना को विभिन्न विद्वानों ने परिभाषित किया हैं। यहां कुछ विद्वानों की परिभाषाएं निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत हैं –

नियोजन या योजना की परिभाषा – Definition of Planning in Hindi

ओ. डोनेल महोदय के अनुसार – “नियोजन या योजना एक मानसिक क्रिया हैं। यह एक विशेष तरीके से कार्य करने का सचेतन निश्चयात्मक प्रयास हैं।”

जेम्स एल. लुंडी महोदय के अनुसार – “नियोजन का अर्थ यह निश्चय करना हैं कि क्या करना हैं, कहां करना हैं, कौन करेगा और इसके परिणाम का मूल्यांकन कैसे होगा?”

जे. बी. सीयर्स महोदय के अनुसार – “प्रशासन में नियोजन का सीधा-साधा अर्थ हैं किसी कार्य को करने के लिए या किसी समस्या का हल करने के लिए निर्णय लेने हेतु तैयार हो जाओ।”

जॉन मिलर महोदय के अनुसार – “नियोजन आदि किसी काम को करने के लिए बुद्धिपूर्वक तैयारी अर्थात कार्य को कब और कैसे संपादित किया जाए।”

नियोजन के कार्य – Functions of Planning

नियोजन प्रशासन का प्रथम आधारभूत कार्य हैं। नियोजन के अभाव में उद्देश्य प्राप्ति कठिन कार्य हैं और उपलब्ध साधनों का अधिकतम उपयोग भी योजना निर्माण करके ही प्राप्त किया जा सकता हैं। अतः प्रशासक योजना निर्माण और उसकी क्रियान्वित के माध्यम से निम्नलिखित कार्यो को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता हैं –

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1. समन्वय स्थापित करना – योजना (Planning) निर्माण करके प्रशासन विभिन्न कार्यों में समन्वय स्थापित कर सकता हैं और उन पर नियंत्रण सुगमतापूर्वक कर सकता हैं। इससे प्रबंधकीय कार्य-क्षमता में वृद्धि होती हैं।

2. उद्देश्य प्राप्ति – शैक्षिक नियोजन का निर्माण करके प्रशासन निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकता हैं और उपलब्ध साधन व सामग्री का अधिकतम उपयोग कर सकता हैं। इससे प्रत्येक कार्यकर्ता को उसकी योग्यता व क्षमता के अनुरूप कार्य मिलने से प्रशासन आसानी से कार्य कर सकेगा।

3. आवश्यकता की पूर्ति – योजना छोटी हो या बड़ी इसके निर्माण से आवश्यकता और लक्ष्य दोनों की पूर्ति होती हैं। अतः प्रशासन को इसके निर्माण में वर्तमान, भूत और भविष्य का ध्यान रखना चाहिए ताकि छोटी योजना को भी आवश्यकतानुसार बड़ा बनाया जा सकें।

4. अनुभवों का ज्ञान – योजना निर्माण से प्रशासन को विभिन्न परिस्थितियों, कार्यों, कार्य-विधियों, कार्यकर्ता और उसकी योग्यता और अनुभवों का पता चलता हैं। इसका उपयोग वह कुशलता पूर्वक करके लाभान्वित हो सकता हैं। इससे प्रभावी नियंत्रण की स्थापना संभव हैं।

5. जोखिम कम करना – योजना निर्माण से प्रशासन उस अनिश्चितता और जोखिम को कम करता हैं जो इसके निर्माण के बिना होती हैं। बिना योजना के कार्य अस्पष्टता बनी रहती हैं।

6. प्रशासन को प्रेरित करना – योजना निर्माण प्रशासन के उद्देश्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करता हैं यह भविष्य की संभावनाओं को बल प्रदान करता हैं और अधिकारियों को अपने कर्तव्य व उत्तरदायित्व का ज्ञान भी कराता हैं।

7. अतार्किक निर्णय पर रोक – योजना निर्माण में उन निर्णयों पर रोक लगती हैं जो अतार्किक हैं, अलाभप्रद हैं और अत्यधिक खर्चीले हैं। अतः यह कार्य को निश्चितता प्रदान करती हैं, उचित दिशा प्रदान करती हैं और उद्देश्यों का सही ज्ञान देकर समन्वय और समानता की ओर अग्रसर करती हैं।

नियोजन में सावधानियां – Carefulness in Planning

नियोजन का योजना बनाते समय प्रशासन जो कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना आवश्यक हैं। इन बातों को हम निम्नलिखित रूप में समझ सकते हैं –

1. योजना का निर्माण प्रजातंत्र के सिद्धांतों पर होना चाहिए। सभी को अपने विचार रखने की स्वतंत्रता होनी चाहिए और सभी को समान रूप से भाग लेने की छूट होनी चाहिए।

2. शिक्षा के लक्ष्य प्रत्येक स्तर पर स्थिर और निश्चित होने चाहिए। योजना का उद्देश्य कम से कम समय और कम से कम खर्चे में उत्तम कार्य होना चाहिए।

3. योजना का निर्माण शैक्षिक उन्नति के लिए होना चाहिए और इनमें वस्तु निष्ठता तथा निष्पक्षता होनी चाहिए।

4. योजना निर्माण के समय ध्यान रखना चाहिए कि सभी व्यक्तियों का सहयोग सक्रिय रूप से मिले।

5. योजना में स्वभाविक रूप से लचीलापन होना चाहिए ताकि समय और आवश्यकतानुसार उसमे परिवर्तन किया जा सकें।

6. योजना की क्रियान्वयन सफलतापूर्वक होनी चाहिए और इसके लिए संबंधित कार्य-प्रणाली , विधि-विधान सभी साधन-स्रोतों का निर्धारण एवं योगदान होना चाहिए।

निष्कर्ष – Conclusion

नियोजन (Planning) या योजना एक नीति हैं जिसके आधार पर किसी कार्य का क्रियान्वयन किया जाता हैं। जैसा कि हमने आपको बताया किसी कार्य की सफलता या असफलता उस कार्य की योजना पर ही निर्भर करती हैं। अतः योजना को सही तरीके से और सभी पहलुओं को ध्यानपूर्वक ध्यान में रखकर बनाना बेहद आवश्यक हैं।

योजना जितनी प्रभावी और नीतिगत होगी कार्य की सफलता उतनी अच्छी और प्रभावी रहेगी। तो दोस्तों आज आपने हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जाना कि नियोजन या योजना क्या हैं? (What is Planning in Hindi) इस पोस्ट से या प्रकरण से संबंधित यदि कोई सुझाव या विचार हो तो आप कमेंट बॉक्स का उपयोग कर सकते हैं।

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