दार्शनिक शिक्षा Philosophical Education शिक्षा के अनेक आधारों (दार्शनिक आधार,सामाजिक आधार, मनोवैज्ञानिक आधार,वैज्ञानिक आधार) का ही एक भाग हैं। जो व्यक्ति को सत्य-असत्य का ज्ञान करवाता हैं। यह शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं उसके उद्दश्यों व लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता हैं। दार्शनिक शिक्षा वह भाग है जो शिक्षा की समस्त समस्याओं को अपने सिद्धांतों के अनुसार हल करता हैं।
दार्शनिक शिक्षा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, अर्थात जहाँ शिक्षा हैं वहाँ दर्शन हैं और जहाँ दर्शन है वही शिक्षा हैं। इसके अर्थ को समझने हेतु दर्शन के अर्थ को समझना अत्यंत आवश्यक हैं। आज हम इसी संदर्भ में जानिंगे की दार्शनिक शिक्षा क्या हैं? What is Philosophical Education.
दार्शनिक शिक्षा क्या हैं? |What is Philosophical Education
दार्शनिक शिक्षा शिक्षा के विभिन्न आयामों को अपने दृष्टिकोण एवं अपने सिद्धांतों के अनुरूप परिभाषित करने का कार्य करता हैं। जैसे कि हमने ऊपर आपको बताया कि दार्शनिक शिक्षा को समझने हेतु दर्शन के अर्थ को समझना अनिवार्य हैं तो आइए जानते हैं कि दर्शन क्या हैं?
● दर्शन का अर्थ – दर्शन का अंग्रेजी अनुवाद हैं Philosophy जो दो शब्दों से मिलकर बना हैं। Philoes+Sophiya. Philoes का हिंदी अनुवाद हैं- ‘प्रेम’ और Sophiya अर्थात ज्ञान। जिसका सम्मिलित रूप हैं ‘ज्ञान के प्रति प्रेम’ तथा ‘सत्य की तार्किक विवेचना’।
दर्शन को चिंतन के नाम से भी जाना जाता हैं, अर्थात किसी प्रकरण या वस्तु पर चिंतन-मनन करना ही दर्शन हैं या उस प्रकरण पर उचित एवं अनुचित के मध्य भेद करना। दर्शन सत्य की खोज करता हैं।
दर्शन को दो भागों में विभाजित किया जाता हैं- आस्तिक और नास्तिक। आस्तिक दर्शन वेदों को प्रमाण के रुपों में मानते हैं और वहीं नास्तिक वेदों को प्रमाण के रूप में नहीं मानते।
● दर्शन की परिभाषा – दर्शन की परिभाषाएं अनेक बुद्धिजीवियों द्वारा दी गयी हैं जो निम्न प्रकार हैं-
प्लेटो के अनुसार – “पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन हैं।”
फिस्टे के अनुसार – “दर्शन ज्ञान का विज्ञान हैं।”
पोलसेक के अनुसार – “वैज्ञानिक ज्ञान का कुल योग हैं।”
डॉ० राधाकृष्णन के अनुसार – “दर्शन सत्य के स्वरूप की तार्किक विवेचना हैं।”
जैसा कि हमने आपको बताया शिक्षा दर्शन का आधार हैं और दर्शन भी शिक्षा का ही आधार हैं। दार्शनिक शिक्षा शिक्षा के सभी पहलुओं को दर्शन के तत्वों के आधार पर परिभाषित करता हैं। दर्शन शिक्षा और शिक्षा दर्शन को सत्य के मार्ग की ओर ले जाती हैं।
दार्शनिक शिक्षा की परिभाषा |Definition of Philosophical Education
ऐडम्स के अनुसार – “शिक्षा दर्शन का गतिमय तथा दार्शनिक विश्वासों का क्रियात्मक एवं जीवन के आदर्श को प्राप्त करने का साधन हैं।”
फिक्टे के अनुसार – “शिक्षा दर्शनशास्त्र की सहायता के बिना पूर्णता और स्पष्ठता को प्राप्त नही कर सकता।”
रोस के अनुसार – “दर्शन और शिक्षा एक सिक्के के दो पहलू हैं तथा दोनों की पक्ष एक-दूसरे में अन्तःनिहित हैं।”
शिक्षा और दर्शन में संबंध |Relationship between Education and Philosophy
जैसा कि हमने आपको बताया शिक्षा और दर्शन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दर्शन शिक्षा का आधार है अर्थात शिक्षा अपने लक्ष्यों की प्राप्ति दर्शन के मार्ग पर चलकर ही करती हैं। शिक्षा दर्शन को गतिशीलता प्रदान करता हैं और उसे क्रियावान बनाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करता हैं।
शिक्षा दर्शन के मूल सिद्धांतों को मूर्त रूप प्रदान करने का कार्य करता हैं। शिक्षा दर्शन को प्राणवान बनाए रखती हैं एवं दर्शन शिक्षा जी समस्त समस्याओं को दार्शनिक दृष्टिकोण प्रदान करता हैं।
दार्शनिक शिक्षा शिक्षा के उद्देश्यों,लक्ष्यों एवं आवश्यकताओं को प्राप्त करने एवं निर्धारित करने का कार्य करती हैं। शिक्षा दर्शन का गत्यात्मक पक्ष हैं अर्थात शिक्षा के अभाव में दर्शन प्राण विहीन हैं। यह दर्शन के दृष्टिकोण एवं सिद्धांतो को क्रिया रूप प्रदान करता हैं। यदि दर्शन सिद्धांत हैं तो शिक्षा उसका व्यवहारिक रूप।
यही शिक्षा जीवन के लक्ष्यों को निर्धारित करती हैं तो कौन सा लक्ष्य छात्रों के लिए उचित है एवं अनुचित। इसका निर्धारण दर्शन करता हैं। दर्शन सत्य के मार्ग की खोज करता हैं और शिक्षा उस पर चलती हैं।
बटलर के शब्दों मे – “दर्शन यदि सिद्धांत हैं तो शिक्षा उसका व्यवहारिक रूप हैं।”
दार्शनिक शिक्षा की उपयोगिता |Importance of Philosophical Education
दार्शनिक शिक्षा (Philosophical Education) छात्र को उचित एवं अनुचित मार्ग का ज्ञान करवाती हैं। यह व्यक्ति को चिंतनशील बनाने एवं उसमें नैतिकता का विकास करती हैं।
यह छात्र को आत्मानुभूति एवं आत्मभिव्यक्ति करने का अवसर प्रदान करती हैं। यह छात्र का पथ-प्रदर्शन करती हैं। यह उचित एवं अनुचित के मध्य के अंतर को स्पष्ट करने में छात्र की सहायता करती हैं एवं उसे उचित दिशा की ओर अग्रसर करने का कार्य करती हैं।
यह एक अध्यापक के कार्यो में स्पष्ठता लाने का भी कार्य करती हैं। जिससे शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने हेतु सहायता प्राप्त होती हैं।
निष्कर्ष :-
दार्शनिक शिक्षा दर्शन और शिक्षा का सम्मिलित रूप हैं। जो शिक्षा की संरचना को दार्शनिक दृष्टिकोण प्रदान करता हैं। यह शिक्षा के उद्देश्यों एवं कार्यों का चयन करता हैं एवं शिक्षा से संबंधित समस्याओं को अपने सिद्धांतों बीके अनुरूप हल करने का प्रयास करता हैं।
तो दोस्तों आज आपने जाना कि दार्शनिक शिक्षा क्या हैं? (What is Philosophical Education) एवं शिक्षा और दर्शन में संबंध। अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने अन्य मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।
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