NATO क्या हैं और इसका इतिहास

नाटो NATO जिसका पूरा नाम हैं- North Atlantic Treaty Organization हैं। यह एक सैन्य संगठन हैं जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 में की गई थी। इसके निर्माण के पीछे उद्देश्य यह था कि कोई भी देश अपनी शक्ति के आधार पर किसी कमजोर देश पर युद्ध न कर सकें विशेषकर को इसके सदस्य देश हैं।

यह एक सैन्य सुरक्षा कवच हैं यह उन देशों को सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता हैं। जो इस संगठन से जुड़े हुए हैं। अगर इसमें सम्मिलित सदस्यों पर कोई देश आक्रमण करता हैं। तो वह आक्रमण सभी नाटो देशों के ऊपर माना जाता है। जिसके परिणामस्वरूप सभी नाटो सदस्य आक्रमण कर रहे देश पर जवाबी कार्यवाही करते हैं।

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नाटो वर्तमान समय का एक सबसे शक्तिशाली संगठन हैं। इसकी सेना और हथियार सर्वश्रेष्ठ और आधुनिक हैं। इसके अंतर्गत इसके सदस्य अपने कुछ सैनिक दलों को मिलाकर एक नाटो सेना का निर्माण करते हैं। समय-समय पर इसकी बैठक भी होती हैं। जिसमें इसके सदस्य देश सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श करते हैं।

तो दोस्तों चलिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से विस्तृत रूप से जानेंगे कि नाटो क्या हैं और कौन-कौन देश इस संगठन में शामिल हैं? What is NATO in Hindi

नाटो क्या हैं? – What is NATO in Hindi

NATO (North Atlantic Treaty Organization) एक सैन्य सुरक्षा संगठन हैं जिसका निर्माण 1949 में किया गया था। वर्तमान समय मे इस संगठन के कुल 30 सदस्य हैं। जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन, पोलैंड,इटली, फ्रांस मुख्य हैं। नाटो लोकतांत्रिक विचारों का पालन करने वाला वह संगठन हैं। जो इसके सदस्यों देशों को आपस मे जोड़े रखता हैं और आर्थिक, राजनीतिक,सैनिक अनेकों प्रकार की सहायता प्रदान करता हैं। नाटो का Headquarter ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में हैं।

यह एक सामूहिक रक्षा का संगठन हैं इसकी नीतियों के अनुसार अगर कोई देश इसके सदस्य देशों पर आक्रमण करता हैं। तो उसका उत्तर प्रत्येक नाटो सदस्य देते हैं। इसके साथ ही आक्रमण हुए अपने सदस्य देश को सैन्य सहायता प्रदान करते हैं। नाटो यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों का एक सम्मिलित संगठन हैं जो इन समस्त देशों को आपस मे जोड़ने का कार्य करता हैं।

नाटो की सदस्यता में लिए गए निर्णय सभी नाटो सदस्यों में मान्य होते हैं। क्योंकि इसमें सभी निर्णय सभी की अनुमति के आधार पर ही लिए जाते हैं। अगर बजट की बात करे तो सभी सदस्य देश इसमें अपने-अपने स्तर का योगदान देते हैं। वर्तमान समय मे अमेरिका इस पर सर्वाधिक हिस्सेदारी वाला देश हैं।

NATO एक आर्थिक और सशक्त संगठन हैं। जिसकी GDP कई ऐसे देशों से अधिक हैं जो विकासशील हैं। वर्तमान समय मे यह एक मात्र ऐसा संगठन हैं जो इतना अधिक शक्तिशाली हैं। नाटो की सेना के पास अत्याधुनिक हथियार हैं जिस कारण अन्य देश इनके सदस्य देशों पर आक्रमण करने से पहले हजार बार सोचते हैं।

नाटो का इतिहास |History of NATO in Hindi

नाटो संगठन का निर्माण 1949 में अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देशों ने मिलकर किया था। इस संगठन का निर्माण सोवियत संघ के विरुद्ध देशों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया था। इसका निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध जैसे खतरों से एक साथ मिलकर निपटने या ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होने देने के उद्देश्य से बनाया गया था।

जब नाटो संगठन का निर्माण हुआ वो समय Cold War का था और उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रूमैन थे। इस संगठन के निर्माण के उद्देश्य के पीछे सोवियत संघ के विस्तारवादी सोच पर नियंत्रण रखना था। वो समय ऐसा था जब नाटो और वारसा दोनों संगठन सभी देशों को अपने ग्रुप में शामिल करने के लिए राजनीतिक और आर्थिक दबाव बना रहे थें। इसी कारण भारत ने गुटनिरपेक्ष की नीतियों का पालन किया।

सामान्य शब्दों में कहें तो रूस और सोवियत संघ के बढ़ते वर्चस्व को खत्म करने के लिए ही इस संगठन का निर्माण किया गया था। इसका उद्देश्य ऐसे छोटे देशों को सैन्य सुरक्षा प्रदान करना था। जिन्हें जबरदस्ती कूटनीति या युद्ध का भय दिखा कर सोवियत संघ में सम्मिलित किया जा रहा था।

NATO की Funding कैसे होती हैं?

दोस्तों आप ये जान कर हैरान हो जाएंगे कि NATO एक ऐसा शक्तिशाली संगठन हैं जिसकी GDP कई विकासशील देशों से भी अधिक हैं। जी हाँ नाटो एक ऐसा सैन्य संगठन हैं जिसमें कई ऐसे बड़े-बड़े देश हैं। जो अपने-अपने स्तर मे इस संगठन को चलाने के लिए योगदान देते हैं। जैसे- अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस,जर्मनी आदि।

इसके सभी सदस्य अपनी GDP का 2 से 3 प्रतिशत का भाग इसकी फंडिंग के रूप में देते हैं। वर्तमान समय मे अमेरिका एक ऐसा देश हैं जो सबसे अधिक धन इसकी फंडिंग में देता हैं। जिस कारण नाटो संगठन में पूर्ण रूप से अमेरिका का वर्चस्व माना जाता हैं।

रूस और यूक्रेन युद्ध में NATO की क्या भूमिका हैं?

दोस्तों रूस और यूक्रेन के मध्य जो युद्ध चल रहा हैं उसका एकमात्र कारण हैं नाटो। जिसने यूक्रेन को नाटो में सम्मिलित होने के लिए उकसाया और उसे ये आश्वासन दिया कि यदि रूस आप पर किसी तरह का आक्रमण करता है तो हम आपका साथ देंगे। किन्तु रूस को यह बिल्कुल स्वीकार नहीं था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने क्योंकि उसका यह डर था कि यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनता हैं तो ऐसे में नाटो की सेना रूस के पड़ोस में आ जायेगी। जिससे रूस को खतरा का सामना करना पड़ेगा।

इस खतरे से बचने के लिए रूस कोई भी सीमा पार करने के लिए तैयार था किन्तु उसे यह बिल्कुल स्वीकार नहीं था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने। जिस कारण रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया। जिसके पश्चात रूस ने नाटो देशों को यह भी चेतावनी दी कि यदि नाटो की सेना यूक्रेन की सहायता करती हैं और युद्ध मे हस्तक्षेप करती हैं तो उसे रूस के साथ आक्रमण माना जायेगा। इसके साथ ही रूस ने ऐसा करने पर परमाणु युद्ध और तृतीय विश्व युद्ध होने की भी चेतावनी दी।

जिसे सुन कर नाटो के सभी देश और अमेरिका युद्ध में यूक्रेन को सैन्य सहायता देने से पीछें हट गया। हालांकि नाटो देश यूक्रेन को हथियारों और आर्थिक सहायता प्रदान कर रहें थे। इसके साथ ही नाटो ने यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनने देने से भी इंकार कर दिया क्योंकि नाटो के महासचिव और अमेरिका का कहना था ऐसा करने से रूस और अधिक भड़क सकता हैं।

जिस कारण कई राजनीतिक ऐसा मानते हैं कि इस युद्ध का सबसे बड़ा कारण नाटो हैं। ना ही नाटो यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाने और सैन्य सुरक्षा देने का आश्वासन देता और न ही रूस असुरक्षा की भावना से यूक्रेन पर आक्रमण करता।

निष्कर्ष |Conclusion

नाटो क्या हैं? What is NATO in Hindi में आपने जाना कि नाटो वर्तमान समय का सबसे बड़ा और सबसे अधिक शक्तिशाली सैन्य संगठन हैं। इस संगठन से जुड़े सदस्य एक सुरक्षा की भावना को महसूस करते हैं क्योंकि इस संगठन का लीडर जिसे अमेरिका को माना जाता हैं वह वर्तमान समय मे एक महाशक्ति हैं। जिसकी सैन्य और आर्थिक क्षमता रूस से भी अधिक हैं।

तो दोस्तों हम आशा करते हैं कि हमारी यह पोस्ट नाटो क्या हैं? आपके लिए लाभदायक सिद्ध रही हो। अगर इस पोस्ट के संबंधित आपके पास कोई प्रश्न या संदेह हो तो आप कमेंट के माध्यम से हमसे प्रश्न पूछ सकते हैं।

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