राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद जिसे अंग्रेजी भाषा में National Council for Teacher Education (NCTE) कहते है। इस परिषद की स्थापना भारतीय सरकार द्वारा 1973 में की गई। इस परिषद का मुख्य उद्देश्य शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव करना था। इस परिषद का कार्य शिक्षक शिक्षा से संबंधित क्षेत्रों में सरकार को सलाह-मशवरा देना था। 1993 में इस परिषद को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद National Council for Teacher Education (NCTE) का मुख्य कार्यालय दिल्ली में स्थापित किया गया हैं। यह परिषद शिक्षकों की शिक्षा से संबंधित सभी समस्याओं का अध्ययन करती है तत्पश्चात यह उन समस्त समस्याओं के समाधान हेतु अपने सुझाव प्रस्तुत करती हैं। इस परिषद का निर्माण 55 सदस्यों के साथ हुआ है जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव भी सम्मिलित हैं। जिनका कार्यकाल 4 वर्ष और अन्य सदस्यों का कार्यकाल 2-2 वर्ष होता हैं।
यह भारतीय शिक्षक शिक्षा से संबंधित समस्त पहलुओं का अध्ययन करने का कार्य करती है और साथ ही शिक्षक-शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम की संरचना का भी निर्माण करती है। यह शिक्षक शिक्षा की व्यवस्थाओं का बारीकियों से अध्ययन करने का कार्य भी करती हैं।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद के मुख्य कार्य Main Functions of National Council of Teacher Education
1- इस परिषद का मुख्य और अहम कार्य यह होता है कि यह शिक्षक-शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन कर केंद्रीय सरकारों, प्रांतीय सरकारों और यू०जी०सी को सलाह प्रदान करती हैं।
2- यह शिक्षक-शिक्षा के संबंध में नीति-नियमों का निर्धारण करती है और साथ ही उन्हें लागू करने और उन सभी नीति-नियमों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी इसी की होती हैं।
3- यह समय-समय पर सामाजिक गतिविधियों, आवश्यकताओं के अध्ययन कर पाठ्यक्रम को नवीन रूप प्रदान करने का कार्य करती हैं।
4- शिक्षक-शिक्षा को बढ़ावा देने एवं उसकी गुणवत्ता में निरंतर वृद्धि करने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी करती हैं।
5- यह शिक्षक-शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्रों हेतु न्यूनतम योग्यताओं का निर्धारण करती है,प्रश्नों हेतु पाठ्यक्रम का निर्धारण करती है और शिक्षक शिक्षा से संबंधित अभ्यर्थियों की चयन प्रक्रिया हेतु अपने मुख्य सुझाव प्रदान करती हैं।
6- शिक्षक-शिक्षा से संबंधित सभी क्षेत्रों में शुल्क, छात्रवृत्ति का निर्धारण करने का कार्य भी इसी के द्वारा किया जाता हैं।
7- शिक्षक-शिक्षा से संबंधित किसी भी क्षेत्र में जब सरकार कोई संशोधन करती है तो वह संशोधन इस परिषद की देख-रेख में ही सम्पन्न होता हैं।
8- राष्ट्र की समस्त शिक्षक शिक्षा संस्थाओं में एकरूपता लाने एवं सभी विद्यालयों के स्तर में सुधार करने हेतु यह निरंतर क्रियाशील रहती है और समय-समय पर सरकार के समक्ष अपने सुझाव प्रस्तुत करते रहती हैं।
9- यह शिक्षक-शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने हेतु अपने क्षेत्र से जुड़े अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का अध्ययन करती है एवं अनुसंधान कार्यो का आयोजन करती हैं।
शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद की भूमिका Role of National Council for Teacher Education in the field of teacher education
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद national council for teacher education समय-समय पर शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन करते रहती है उदाहरणतः हाल ही में बी.एड के पाठ्यक्रमों में बदलाव आना इस परिषद की भूमिका को दर्शाता है। इस परिषद की स्थापना के पश्चात शिक्षक-शिक्षा की गुणवत्ता में निश्चित ही वृद्धि हुई है। वर्तमान शिक्षक-शिक्षा का पाठ्यक्रम अधिक सामाजिक है। शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम में बाल मनोविज्ञान एवं मनोविज्ञान की समस्त विशेषताओं को सम्मिलित किया गया हैं।
NCTE की स्थापना के पश्चात शिक्षक-शिक्षा से संबंधित पाठ्य-पुस्तकों की गुणवत्ता में सुधार आया है। जिसमें छात्र वास्तविक समस्याओं से अवगत हो पाते है और वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप खुद को तैयार करते हैं। परिषद का शिक्षक-शिक्षा में बेहद अहम योगदान है ।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (National Council for Teacher Education) की स्थापना के पश्चात छात्र समाज और सरकार सभी शिक्षक की महत्ता से परिचित हुए है क्योंकि किसी भी राष्ट्र के विकास हेतु शिक्षा का बेहद अहम योगदान होता है और राष्ट्र की सम्प्रभुता की रक्षा हेतु एवं उज्ज्वल भविष्य हेतु गुणवान कौशलों वाले शिक्षकों का निर्माण किया जाना बेहद आवश्यक है और यह सभी कार्य इस परिषद द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद की खामियां Flaws of National Teacher Education Council
शिक्षक शिक्षा से संबंधित निजी एवं सरकारी महाविद्यालयों के बीच का अंतर बहुत बड़ा है निजी विद्यालय शिक्षक-शिक्षा में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के प्रवेश हेतु कोई निश्चित एवं स्पष्ट योग्यता निर्धारित नहीं करते एवं साथ है शिक्षक-शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्र इसके शुल्क के कारण यह शिक्षा प्राप्त नही कर पाते यह सभी जस परिषद की सबसे बड़ी खामियां हैं।
अगर हम बात करे पाठ्यक्रम की तो विद्यालयों में पाठ्यक्रम को लेकर निरंतरता देखने को नही मिलती। जिससे छात्रों में व्यावसायिक गुणों की प्राप्ति में कमी देखने को मिलती है और कभी-कभी परीक्षा कार्यक्रमो का देरी से होना या समय से पहले हो जाना भी इसकी खामियों का सबसे बड़ा कारण है। शिक्षक शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे थोड़ी सी लापरवाही देश के भविष्य को खतरे में डाल देती है।
अतः राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद National Council for Teacher Education को अपने कार्यो एवं अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु आवश्यक है कि वह अपनी इन खामियों में सुधार करने का प्रयास करें।
निष्कर्ष Conclusion
शिक्षकों की शिक्षा की व्यवस्था करना उनमें संशोधन करना,लागु करना,पाठ्यक्रम का निर्माण,शिक्षक-शिक्षा के क्षेत्र में नवीन आवश्यक परिवर्तन हेतु सरकार कक सुझाव देना,न्यूनतम योग्यता एवं वेतन का निर्धारण करना, कार्यक्रम करना,शिक्षक शिक्षा नवीन सूचनाओं को एकत्रित कर उसका अध्ययन करना और प्रति वर्ष अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना इस परिषद का मुख्य कार्य एवं उद्देश्य हैं।
तो दोस्तों आज आपने समझा कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (National Council for Teacher Education in Hindi) NCTE क्या हैं? इसके उद्देश्य,कार्य एवं इसकी भूमिका। हमारी इस पोस्ट के माध्यम से आपके ज्ञान में वृद्धि हुई हो तो इसे अधिक से अधिक अपने प्रियजनों को शेयर करें।
Iska data session 2021_2023 check Krna valuable hai.
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