महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन

महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन मनुष्य के शरीर,मन तथा आत्मा का सर्वागीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से अभिप्रेरित हैं। महात्मा गांधी जी के अनुसार शिक्षा वह है जो बालक के शरीर , मन और आत्मा का विकास करें। गांधी जी मनुष्य जीवन का अंतिम उद्धेश्य मुक्ति को मानते मुक्ति से तात्पर्य शारिरीक ,मानसिक,आर्थिक,राजनीतिक और आध्यात्मिकता से मानते है।

दोस्तों गाँधी जी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों में से एक थे। गांधी जी को भारत में राष्ट्र पिता के नाम से और बापू जैसे सम्मानित नाम से पुकारा जाता हैं। आज हम ऐसे महान व्यक्ति के शैक्षिक विचारों के संबंध में जनिंगे। तो आइए जानते हैं कि महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन में कौन-कौन सी बातें सम्मिलत हैं?

महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन क्या हैं?

महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन क्या हैं?
Mahatma Gandhi (1869-1948)

महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन में गांधी जी ने शिक्षा को 3R और 3H की संज्ञा दी थी 3R से उनका आशय Reading, Writing,Arithmetic से था,अर्थात (अंको का ज्ञान)और 3H से उनका आशय Hand,Head ,Heart से था (शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो बालक का शारीरिक मानसिक और बौद्धिक विकास करें। आज हम गांधी जी के शिक्षा दर्शन को विस्तारपूर्वक पढींगे गांधी जी के शिक्षा दर्शन को समझने के लिए इस पोस्ट को अंत तक पड़े।

साक्षरता Literacy –

गांधी जी साक्षरता को शिक्षा नही मानते थे उनके अनुसार साक्षरता न तो शिक्षा का अंत है ना ही प्रारम्भ है यह एक साधन है जिसके द्वारा स्त्री एवं पुरुषों को शिक्षित किया जाता है। गांधी जी मनुष्य को शरीर, मन,ओर आत्मा तीनों का योग मानते हैं कि शिक्षा द्वारा इनका विकास होना चाहिये। इन्होंने 3R को 3H में परिवर्तित कर दिया और मनुष्य का या शिक्षा का कार्य ,3R से ही नही अपितु हाथ, मस्तिष्क और हृदय का विकास करना है।

गांधी जी के अनुसार- ” शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक ओर मनुष्य के शरीर,मन तथा आत्मा का सर्वागीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास होना चाहिए।”

गाँधी जी के अनुसार शिक्षा के उद्धेश्य

  • शारीरिक विकास – महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन के अनुसार छात्रों को शारीरिक शिक्षा भी प्रदान की जानी चाहिए।शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे बालक के शरीर का विकास होना चाहिए क्योंकि उनके अनुसार स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण होता है इसीलिए सबसे पहले उन्होंने शारीरिक विकास पर बल दिया।
  • मानसिक एवं बौद्धिक विकास – गंधी जी के अनुसार जिस प्रकार शारीरिक विकास के लिए शिशु को माँ के दूध की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मानसिक विकास के लिए शिक्षा की आवश्यकता है।
  • व्यक्तिगत एवं सामाजिक विकास – गंधी जी व्यक्ति ,समाज और राष्ट के विकास पर बल देते है सामाजिक विकास से तात्पर्य मनुष्य को समाज मे प्रेम और मानव मात्र की सेवा करने से ही आत्मिक विकास संभव हैं।
  • सांस्कृतिक विकास – गांधी जी आत्मिक विकास के लिए संस्कृति के ज्ञान की आवश्यकता पर विशेष बल देते थे उनके अनुसार शिक्षा दर्शन में संस्कृति के अहम भूमिका होती हैं।
  • नैतिक एवं चारित्रिक विकास – गांधी जी शिक्षा के माध्यम से बालक में सत्य,अहिंसा,ब्रमचर्य, अस्वाद, अपरिग्रह ओर निर्भरता आदि गुणों का विकास होना चाहिए।
  • व्यावसायिक विकास- गांधी जी आर्थिक विकास अभाव की मुक्ति के लिए व्यावसायिक शिक्षा पर बल देते थे और मनुष्य को आत्मनिर्भर बनाना चाहते है इसीलिए वह हस्तकला ओर उद्योग पर बल देते है
  • आध्यात्मिक विकास – गांधी जी मनुष्य जीवन का अंतिम उद्धेश्य मुक्ति आत्मानुभूति व आत्मबोध मानते हैं। गाँधी जी ने ज्ञान कर्म भक्ति और योग पर समान बल देते है यह अहिंसा और सत्याग्रह को मूर्त रूप प्रदान करते हैं।
  • पाठ्यक्रम – बेसिक शिक्षा 1 से 8 तक इसमे हस्तकला , उद्योग , को प्रमुख स्थान मातृभाषा व्यावहारिक गणित , सामाजिक विषय , सामान्य विज्ञान , संगीत चित्रकला , स्वास्थ्य विज्ञान और आचरण की शिक्षा पर बल देते हैं।

शिक्षण विधियां

  • अनुकरण विधि – गांधी जी के अनुसार बालक प्रारंभ में अनुकरण द्वारा सीखता है तो उसके शरीर , मन और मस्तिष्क का विकास अध्यापक को अनुकरण द्वारा ही करना चाहिए।
  • क्रिया विधि – गाँधी जी हस्तकला ओर चित्रकारी इत्यादि कौशलों के विकास के लिए इन विधियों पर बल देते थे।
  • मौखिक विधि – गाँधी जी व्याख्यान , कौशल को वाद – विवाद के रूप में स्वीकार करते हैं।
  • श्रवण-मनन-निदिध्यासन – गांधी जी इस विधि को सर्वोत्तम विधि के रूप में स्वीकार करते थे गाँधी जी के अनुसार सर्वप्रथम बालक श्रवण करता है अर्थात सुनता है फिर उसमें मनन करता है अर्थात उसमे चिंतन करता है उसके बारे में सोचता है फिर निदिध्यासन करता है अर्थात फिर क्रिया करता है यह विधि सर्वोत्तम है शरीर मन और मस्तिष्क के विकास के लिए।

बुनियादी शिक्षा basic education –

गांधी जी बेसिक शिक्षा को निम्नलिखित रूपो में स्वीकार करते हैं-

  • 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाए।
  • शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए।
  • विद्याथियों द्वारा निर्मित सामग्री का उपयोग उसको क्रय कर विद्यालय में उसका व्यय करना चाहिये।
  • सम्पूर्ण शिक्षा हस्तकला और उद्योगों पर आधारित होनी चाहिये।

महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन में अन्य तथ्य

अनुशासन Dicipline –

गांधी जी दमनात्मक विधि का विरोध करते थे सच्चे अनुशासन की प्राप्ति आत्मप्रेरित से होती है इनकी दृष्टि से सच्चे अनुशासन का विकास प्रभावात्मक विधि द्वारा प्राप्त कराया जा सकता है अर्थात बालक जब तक स्वयं न चाहें तब तक अनुशासन की प्राप्ति नही कर सकतें।

शिक्षक Teacher –

शिक्षक पर गाँधी जी के विचार थे कि शिक्षक मुख्य होता है यह शिक्षा को समाज का आदर्श , ज्ञान का पुन्य और सत्य आचरण करने वाला होना चाहिये।
इस व्यवसाय को केवल व्यवसाय के रूप में स्वीकार करने वाला व्यक्ति कभी आदर्श शिक्षक नही हो सकता एव आदर्श शिक्षक वही है जो इस व्यवसाय को सेवा के रूप में कार्य करें । वह बच्चो के पिता , मित्र , सहयोग और पद प्रदर्शक के रूप में कार्य करें।

विद्यार्थी Students –

शिक्षा की प्रक्रिया का केंद्र होता है विद्यार्थी । विद्यार्थी को अनुशासित रहना चाहिए , अनुशासन तथा ब्रमचर्य का पालन करना चाहिए गाँधी जी शुरू से ही बालक में शरीर , मन , आत्मा के विकास पर बल और आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं।

विद्यालय School –

विद्यालय ऐसे होने चाहिए जहाँ शिक्षक सेवा भाव से पूर्ण निष्ठा के साथ , शिक्षण करें। महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन विद्यालय को सामुदायिक केंद्र बनाना चाहते है जहाँ पर समुदाय के लोगों को पड़ने ओर कार्य करने की सुविधा उपलब्ध हो रात्रि में पाठशालायें लगातार प्रोढ़ शिक्षा की व्यवस्था भी करनी चाहिये। गाँधी जी को राष्ट पिता कहा जाता है भारत की स्वतंत्रता में गाँधी जी ने बहुत अहम भूमिका निभाई थी एवं हमे आजादी प्रदान की थी इसी तरह गाँधी जी ने जन्म शिक्षा , स्त्री शिक्षा , सहशिक्षा , व्यावसायिक शिक्षा , धर्म शिक्षा ओर राष्ट्रीय शिक्षा का समर्थन किया।

दोस्तों आज हमने जाना कि महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन क्या हैं? अगर यह पोस्ट आपके लिए लाभदायक सिद्ध हुई हो तो इस पोस्ट को link के माध्यम से अपने दोस्तों के साथ भी share करें ताकि वो छात्र भी इस पोस्ट के लाभ प्राप्त कर सकें ऐसी ही अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे नवीन पोस्ट में दिए गए link में click करें। धन्यवाद!

सम्बंदित पोस्ट – भारतीय शिक्षा प्रणाली

26 thoughts on “महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन”

  1. Excellent sir..💯👍👏… Actually mujhe assignment bnana tha smjh ni aarha tha kaise likhu.. But aapke article ne mind blowing kr diya 😁

  2. Aparna Vishwanath

    अच्छी जानकारी…सोर्स या रेफरेंस मेंशन करते तो अच्छा होता।

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