भाषा Language वह सांकेतिक चिन्ह या साधन हैं जिसके द्वारा हम अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते हैं। यह सम्प्रेषण (Communication) का एक माध्यम है। जिसके द्वारा हम अपने विचारों को दूसरों तक पहुचाते हैं। वर्तमान में विश्व में लगभग 7000 भाषाएं बोली जाती हैं।
भाषा मात्र सम्प्रेषण का साधन नहीं अपितु भावनाओं एवं संवेगों को प्रकट करने का भी मार्ग हैं। इसके अभाव में व्यक्ति अकेलापन एवं असहाय महसूस कर सकता हैं। आज हम जनिंगे की भाषा Language क्या हैं,अर्थ परिभाषा विशेषता आदि।
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भाषा का अर्थ | Meaning of Language
भाषा व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ने का कार्य करती हैं। यह एक सांकेतिक तत्व है जिसके द्वारा सम्प्रेषण का कार्य किया जाता हैं। सामान्यतः व्यक्तियों प्राणियों द्वारा अभिव्यक्तियों के साधनों,अंगों के संचालन,भावों की क्रियाओं एवं ध्वनि संकेतो को भाषा का स्थान दिया जाता हैं।
भाषा वह साधन हैं जो लोगों को संगठित एवं समूहों के रूप में जोड़ने का कार्य करती हैं। भाषा के माध्यम से ही सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक एवं सांस्कृतिक विकास को दिशा प्रदान की जाती हैं। भाषा विश्व की क्रियाशीलता का प्रतीक हैं।
भाषा की परिभाषा | Definition of Language
ब्लोच एवं ट्रेगर के अनुसार -“यह एक स्वेच्छिक ध्वनि संकेतो की व्यवस्था हैं जिसके माध्यम से सामाजिक समूह अंतःक्रिया करते हैं।”
भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसार -“विचारों की अभिव्यक्ति हेतु समाज द्वारा जिन ध्वनि संकेतो को स्वीकृति मिलती है उसे भाषा कहते हैं।”
भाषा की विशेषता | Characteristics of Language
1) भाषा को सांकेतिक रूप में स्वीकार किया जाता हैं। ऐसी सांकेतिक ध्वनि जो किसी विशेष दिशा की ओर संकेत करती हो।
2) हिंदी एक योगात्मक भाषा है जिसमे विभक्तियों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जाता हैं।
3) हिंदी को एक वैज्ञानिक भाषा के रूप मे स्वीकार किया जाता हैं, क्योंकि इसमें ध्वनि उच्चारण के संकेतों की अपनी व्यवस्था हैं।
4) हिंदी भाषा की लिखने और पढ़ने की समान व्यवस्था है अर्थात इसमें जैसा लिखा जाता हैं वैसा ही पढ़ा भी जाता हैं।
5) हिंदी भाषा एक सरल भाषा है और इसका शब्द भंडार बहुत बड़ा और व्यापक हैं।
भाषा के प्रकार | Types of Language
◆ मौखिक भाषा – अपने भावों को एवं अपने विचारों को अभिव्यक्त करने हेतु एवं दूसरे के सम्मुख प्रकट करने हेतु जिन ध्वनि संकेतो का प्रयोग किया जाता हैं उसे सामान्यतः मौखिक भाषा कहते हैं। यह भाषा का अस्थायी रूप होता हैं। इस भाषा को सुरक्षित रखने हेतु टेप-रिकॉर्डर का उपयोग किया जाता हैं।
◆ लिखित भाषा – मौखिक भाषा को सुरक्षित रखने हेतु जिस भाषा का उपयोग किया जाता हैं वह लिखित भाषा हैं। यह भाषा स्थायी होती हैं। इस भाषा को एक स्थान से अन्य स्थान तक पहुँचाया जा सकता हैं। इस प्रकार की भाषा हेतु कुछ विशेष चिन्ह निर्धारित किये जाते हैं। जिनका उपयोग कर व्यक्ति अपने विचारों एवं संवेगों को लिखित रूप प्रदान करते हैं।
● सांकेतिक भाषा – सांकेतिक भाषा में भाषा के इन दो प्रकारों (लिखित भाषा व मौखिक भाषा) का मिश्रण होता हैं। अर्थात यह वह चिन्ह होता हैं। जिनका अर्थ व्यापक होता हैं। इसके अंतर्गत लिखित भाषा का प्रादुर्भाव अधिक मात्रा में होता हैं।
भाषा का महत्व एवं उपयोगिता
भाषा वह साधन है जिसके द्वारा समाज या समूह का निर्माण होता हैं। उनमें स्थायित्व एवं करुणा का भाव जन्म लेता हैं। प्रत्येक समाज या समूह की अपनी एक भाषा होती हैं। जो उनके आपस मे एकजुटता प्रदान करती हैं।
भाषा के प्रयोग से व्यक्ति अपनी भावाभिव्यक्ति,विचारों एवं अपने संवेगों को अन्य व्यक्ति के सम्मुख व्यक्त कर पाता हैं। भाषा के उपयोग से ही व्यक्ति अपना और समाज का विकास करने में अपनी भूमिका निभाता हैं। भाषा संस्कृति की पहचान होती हैं एवं संस्कृति को आने वाली पीढ़ियों तक पहुचाने एवं संरक्षित रखने का कार्य करती हैं।
निष्कर्ष Conclusion –
भाषा मानव जीवन का सार एवं मानवता को संरक्षित रखने का एक साधन हैं। जिसके द्वारा समाज मे एकजुटता,स्थायित्व जैसे अनेकों संवेगात्मक पहलुओं का विकास एवं आदान-प्रदान होता हैं।
तो दोस्तों आज आपने जाना कि भाषा क्या हैं? (Language in Hindi) अर्थ,परिभाषा और विशेषता अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने अन्य मित्रों को भी भेजे। जिससे हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार किया जा सकें।
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