दुरस्थ शिक्षा (durasth shiksha) दूर से प्राप्त होने वाली शिक्षा को कहा जाता हैं। इसमें छात्र विद्यालय एवं अध्यापक के सामने ना रहते हुए दूर से ही शिक्षा प्राप्त करता हैं इसीलिए इसको सामान्य तौर से दुरस्थ शिक्षा या दूर शिक्षा भी कहा जाता हैं। दुरस्थ शिक्षा के आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने 1985 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की भी स्थापना की।
जिसका कार्य ऐसे छात्रों को पत्राचार के माध्यम से शिक्षित करना था। जो अभी तक शिक्षा से वंचित हैं। इसके द्वारा छात्र स्व: अध्ययन करते हैं इसमे विद्यालय प्रशासन छात्रों की शिक्षा की व्यवस्था उनके घर तक पत्राचार एवं डिजिटल माध्यम से करता है
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दुरस्थ शिक्षा (durasth shiksha) क्या हैं?
दूर शिक्षा के जनक के रूप में आइजक पिटमैन को जाना जाता हैं। इन्होंने 1840 में सर्वप्रथम पत्राचार के माध्यम से छात्रों को शिक्षित करने का कार्य किया। दोस्तों आज जनिंगे की दुरस्थ शिक्षा Durasth shiksha क्या है।
दुरस्थ शिक्षा में छात्रों को दूर से शिक्षित करने की व्यवस्था की जाती हैं। इसमें छात्र दूर से ही घर बैठे शिक्षा को ग्रहण करता हैं। दुरस्थ शिक्षा को राष्ट्रीय कार्यक्रम के रुप में सर्वप्रथम रूस ने 1962 में स्वीकार किया। इसके पश्चात भारत ने भी पत्राचार के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने का कार्य आरंभ किया।
इग्नो (IGNOU) के अनुसार – दूर शिक्षा या दुरस्थ शिक्षा वह शिक्षा हैं जिसमें अध्यापक अथवा शेक्षिक संस्थान तथा छात्र के मध्य मुख्य रूप से दूर का सम्बंध होता है, चाहे वह शिक्षा किसी भी विषय की हो तथा उसमें किसी भी सम्प्रेषण माध्यम का उपयोग किया गया हो।
दुरस्थ शिक्षा ऐसे छात्रों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करता हैं जो छात्र शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह रहे हों या उनके सामने ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो गयी हो कि वह विद्यालय आकर शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ हो।
दुरस्थ शिक्षा durasth shiksha या दूर शिक्षा की विशेषता
- दुरस्थ शिक्षा दूर से प्राप्त करने वाली शिक्षा को कहा जाता हैं।
- दुरस्थ शिक्षा या दूर शिक्षा में पत्राचार या ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती हैं।
- दुरस्थ शिक्षा प्रायः ऐसे व्यक्तियों के लिए होती हैं जो अभी तक पढ़ाई से वंचित हो, या ऐसे छात्र जो बहुत समय से पढ़ाई छोड़ चुके हो और दुबारा पढ़ाई करना चाहते हों।
- दुरस्थ शिक्षा विशेषकर ऐसे युवाओं के लिए होती हैं जो अपनी मजबूरी की वजह से काम कर रहे हो पर उनमें शिक्षा प्राप्त करने की जिज्ञासा हो।
- यह शिक्षा प्राप्त करने का सर्वोत्तम मार्ग हैं यह कम खर्चीली होती हैं एवं इससे हर कोई लाभ उठा सकता हैं। इसमे प्रवेश का मार्ग लचीला होता हैं।
दुरस्थ शिक्षा की मान्यता
दुरस्थ शिक्षा अनोपचारिक शिक्षा के अंतर्गत आती हैं परंतु इसकी मान्यता औपचारिक शिक्षा की तरह ही होती हैं। इससे प्राप्त अंक तालिका पूरे देश के लिए मान्य होती हैं। दुरस्थ शिक्षा को मान्यता भारत सरकार एवं शिक्षा मंत्रालय प्रदान करता हैं।
भारत में दूरस्थ शिक्षा या दूर शिक्षा का सबसे बड़ा माध्यम इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय हैं। दुरस्थ शिक्षा की व्यवस्था एवं कार्यक्रमों का आयोजन इसी के द्वारा किया जाता हैं एवं दुरस्थ शिक्षा durasth shiksha या दूर शिक्षा हेतु नीति-नियमों का निर्माण भी इसी के द्वारा किया जाता हैं।
यह भी जाने – इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय 1984
दुरस्थ शिक्षा के लाभ
- दुरस्थ शिक्षा औपचारिक शिक्षा के लाभ से वंचित लोगो को लाभ प्रदान करने का कार्य करती हैं।
- यह ऐसे छात्रों को शिक्षित करती हैं जो अपनी परिस्थितियों की वजह से पढ़ाई करने में असक्षम रहे हो।
- दुरस्थ शिक्षा durasth shiksha द्वारा दूर से ही छात्रों को शिक्षा दी जाती हैं जिससे उन्हें आने जाने में समस्याओं का सामना नही करना पड़ता।
- दुरस्थ शिक्षा या दूर शिक्षा द्वारा छात्रों के तकनीकी स्तर का विकास होता हैं क्योंकि इसमें रेडियो, टेलीविजन आदि के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती हैं।
- यह सभी छात्रों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध करवाती हैं वर्तमान में 5 मिलियन से अधिक लोग इसके द्वारा शिक्षित हो रहे हैं।
दुरस्थ शिक्षा या दूर शिक्षा के दोष
दुरस्थ शिक्षा में रेडियो टेलीविजन आदि माध्यमों से शिक्षा दी जाती हैं परंतु कुछ छात्रों के घरों में टेलीविजन रेडियो जैसे उपकरण नही होते जिस कारण वह इस प्रकार की शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। दुरस्थ शिक्षा में व्यय अधिक होता है हर किसी छात्र की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही होती कि वह दुरस्थ शिक्षा (durasth shiksha) या दूर शिक्षा की सरण में जा सकें। दुरस्थ शिक्षा में प्रत्येक विषय एवं प्रकरण को छात्रों तक पहुचना मुश्किल कार्य होता हैं जिससे छात्रों को विषय समझने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।
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