अभिक्षमता परीक्षण Aptitude Test क्या हैं, एवं कैसे किया जाता हैं?

Aptitude Test शब्द का हिंदी रूपांतरण हैं- अभिक्षमता परीक्षण। अभिक्षमता परीक्षण को समझने से पहले जरूरी हैं कि आपको अभिक्षमता का ज्ञान हो। तो पहले हम यह जनिंगे कि अभिक्षमता का अर्थ क्या हैं? व्यक्ति के अंदर जन्म से ही कुछ विशेष योग्यताएं एवं किसी कार्य में विशेष प्रतिभाएं होती हैं जो उसको विकसित होने एवं किसी कार्य मे उसे सफल बनाने में योगदान देती हैं।

अगर सामान्य रूप में इसे समझा जाये। तो यह कहना उचित होगा कि व्यक्ति के जन्मजात कोशल (Skill) को अभिक्षमता (Aptitude) कहते हैं।

अभिक्षमता परीक्षण Aptitude Test क्या हैं?

विषय सूची-

  • अभिक्षमता परीक्षण क्या हैं?
  • अभिक्षमता परीक्षण कैसे किया जाता हैं?
  • अभिक्षमता परीक्षण की परिभाषा
  • अभिक्षमता (Aptitude)और अभिवृति (Attitude) में अंतर
  • शिक्षा में अभिक्षमता की आवश्यकता एवं महत्व
  • निष्कर्ष

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अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test) क्या हैं और कैसे होता हैं?

अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test) जैसा कि हमने आपको बताया कि व्यक्ति की जन्मजात योग्यताओं को हम सामान्य रूप में उसका Aptitude मानते हैं। किसी व्यक्ति में जन्म से ही किसी कार्य को करने में महारत हाशिल होती हैं। उसकी उस कार्य में रुचि भी होती हैं जिस कारण वह उस कार्य को अच्छी तरह से कर पाता हैं। व्यक्ति के इसी क्षमता या कौशल का पता अभिक्षमता परीक्षण द्वारा लगाया जाता हैं। उस व्यक्ति में कौन से विशेष गुण हैं। जो उसे भविष्य में सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन सभी चीज़ों को चैक करना अथवा परीक्षण करना या इन सभी का पता लगाने का कार्य अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test) द्वारा किया जाता हैं।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति भविष्य में क्या बनेगा यह उसकी बाल्यवस्था में ही पता चल जाता हैं। जैसे अगर वह डॉक्टर या अध्यापक बनने की सोच रहा होगा या इन कार्य में उसकी रुचि होगी तो वह बचपन से ही उस कार्य को करने का अनुकरण करते रहता हैं। दोस्तों बालक बाल्यवस्था में जो भी बनने की सोचता हैं वह उसकी नकल करना शुरू कर देता हैं। जिससे उसका विकास उस क्षेत्र में ज्यादा होता हैं। उस व्यक्ति की रुचि , अभिवृति को जानने के लिए अभिक्षमता परीक्षण का उपयोग किया जाता हैं।

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फ्रीमैन महोदय के अनुसार –

“अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test) वह हैं जिसका निर्माण व्यक्ति की किसी विशेष प्रकार की तथा किसी सीमित क्षेत्र की क्रिया करने की बीजभूत योग्यता का मापन करने के लिए किया जाता हैं।”

अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test) कैसे किया जाता हैं या कैसे होता हैं?

किसी व्यक्ति के भीतर क्या अभिक्षमता हैं इस बात का पता निन्म आधारों पर किया जाता हैं। इन परीक्षणों के आधार पर ही व्यक्ति का अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test) किया जाता हैं और उनके भीतर की अभिक्षमता एवं योग्यताओं का पता लगाया जा सकता हैं-

1. सामान्य अभिक्षमता परीक्षण (General Aptitude Test) – इस परीक्षण के द्वारा व्यक्ति के भीतर की सामान्य योग्यताओं एवं उसकी अभिक्षमता का पता लगाया जाता है। जैसे- सामान्य बुद्धि , अधिगम की योग्यता , मानसिक स्तर आदि।

2. विभेदीकरण अभिक्षमता परीक्षण (Differential Aptitude Tests) – इस परीक्षण के माध्यम से छात्रों के मध्य भेद (Difference)का पता लगाया जाता हैं। उनके मानसिक स्थिरता , बुद्धिलब्धि (I.Q) , उनकी स्मरण शक्ति आदि। प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता हैं। दो व्यक्तियों की रुचि , व्यक्तित्व , योग्यता आदि में परिवर्तन होता हैं। जिसे विभेदीकरण का सिद्धांत भी कहते हैं और इन सभी का पता हम अभिक्षमता परीक्षणों (Aptitude Test) द्वारा लगा सकते हैं।

3. विशिष्ट अभिक्षमता परीक्षण (Specified Aptitude Test) – इस परीक्षण का उपयोग किसी विशेष स्थान के लिए या छात्रों में किसी विशेष क्षेत्र के कौशल को जानने के लिए इसका प्रयोग किया जाता हैं। जैसे – कोई छात्र किस विशेष क्षेत्र में उत्तम है। शिक्षण कार्य में , तकनीकी कार्य में, संगीत कार्यो में, सामाजिक कार्यो में आदि। अभिक्षमता परीक्षणों के अंतर्गत उप-परीक्षणों को भी सम्मिलित किया जाता हैं।

अभिक्षमता परीक्षण करते समय छात्र का नाम, जो परीक्षण करता हैं उसका नाम, जिस गुण का परीक्षण किया जाता हैं उसका नाम (शिक्षण,तकनीकी,कला,संगीत आदि), उसकी उपयोगिता।

यांत्रिक अभिक्षमता परीक्षण – इस प्रकार के परीक्षण में छात्रों से लगभग 10 प्रश्न पूछें जाते हैं। इसमे छात्रों को कुछ यंत्रो का दृश्य दिखाया जाता हैं और उनसे यह पूछा जाता हैं कि वह इसका उपयोग किस प्रकार कारिंगे।

यांत्रिक संबोध परीक्षण- इसमे छात्रों से 30 के आस-पास प्रश्न पूछे जाते हैं। इस परीक्षण के द्वारा छात्रों की वैज्ञानिक कौशलता की जांच की जाती हैं।

परीक्षण का मूल्यांकन – अंत में छात्रों द्वारा दिये गए उत्तरों की जांच कर उनके अभिक्षमता का मूल्यांकन किया जाता हैं। इसके द्वारा छात्रों को अति उत्तम , उत्तम , सामान्य , कम , बहुत कम जैसे स्तरों में विभाजित कर दिया जाता हैं।

अभिक्षमता एवं अभिवृति में अंतर (Difference Between Aptitude and Attitude)

जैसा कि हमने आपको बताया कि अभिक्षमता (Aptitude) का गुण बालको में जन्म से ही विद्यमान होता हैं। छात्र जिस क्षेत्र में रुचि रखते हैं वह बाल्यवस्था में उसी का अनुकरण करने लगते हैं। जैसे जिन बालकों में अध्यापक बनने की अभिक्षमता होती हैं वह बालक अपने बाल्यवस्था में अध्यापक बनने की नकल करते हैं और वह प्रोढ़ अवस्था मे पहुचने के बाद शिक्षण क्षेत्र में ही जाने का प्रथम प्रयास करते हैं। अब हम अगर अभिवृति (Attitude) की बात करें तो अभिवृति जन्म से ही छात्रों में नही होती। इसका अर्जन छात्र स्वयं करते हैं। परंतु दोनों में समानता यह हैं कि अभिक्षमता का विकास भी छात्र अनुकरण द्वारा ही करते हैं और अभिवृति का अर्जन भी छात्र अनुकरण (नकल) द्वारा ही करते हैं।

शिक्षा में अभिक्षमता परीक्षण की आवश्यकता एवं महत्व –

अगर हम शिक्षा के क्षेत्र में अभिक्षमता परीक्षण की बात करते हैं तो इसका सारा लाभ हमें शिक्षा के क्षेत्र में ही देखने को मिलता हैं। वैसे तो इस परीक्षण का प्रयोग कई क्षेत्रों में किया जाता हैं जैसे – आर्मी , I.A.S, I.P.S, मनोवैज्ञानिक क्षेत्रों आदि। परंतु इसका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में इसीलिए भी अत्यधिक महत्व रखता हैं क्योंकि बालकों के सही विकास को ही देश के भावी विकास के रूप में देखा जाता हैं। आने वाली पीढ़ी को सही तरीके से शिक्षित करना एवं सही तरह उनके व्यक्तित्व का निर्माण करना। यह शिक्षा के माध्यम से ही पूरा हो पाता हैं।

छात्रों का उनके रुचि के क्षेत्र में विकास करने के लिए यह आवश्यक हैं कि उनके उस क्षेत्रों का पता लगाया जाए। इसका पता हम अभिक्षमता परीक्षण द्वारा ही लगा सकते हैं। इसके द्वारा छात्रों की योग्यताओं का पता लगाकर उनका उस क्षेत्र में विकास किया जाता हैं।

निष्कर्ष –

अभिक्षमता परीक्षण का प्रयोग किसी भी क्षेत्र में लाभकारी सिद्ध होता हैं। इसके द्वारा व्यक्ति का सही दिशा में विकास हो पाता हैं। परंतु इसके द्वारा किसी भी व्यक्ति के परीक्षण का सही अनुमान लगा पाना संभव नही हो पाता। इसके द्वारा सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता हैं। अभिक्षमता का परीक्षण करने के लिए साधन एवं सिद्धांत दोनों ही सीमित रूप में होते हैं। जिससे इसका प्रयोग बार-बार करना सम्भव नही होता।

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