उत्तर आधुनिकतावाद (Uttar adhuniktavad) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ल्योतार ने 1979 में किया। परंतु इसको व्यापक रूप में परिभाषित करने का कार्य अर्नाल्ड टायनबी ने किया। इन्होंने अपनी पुस्तक A Study of History के माध्यम से सभी को बताया कि अब आधुनिकतावाद का अंत हो चुका हैं। इनका कहना था कि लगभग 1887 में ही आधुनिकतावाद का अंत हो गया हैं।
उत्तर आधुनिकतावाद (Uttar adhuniktavad) क्या हैं?
अर्नाल्ड टायनबी के अनुसार आधुनिकतावाद का अंत होकर अब उत्तर आधुनिकतावाद की शुरुआत हो गयी हैं। इनके यह विचार विश्व-युद्ध से काफी प्रेरित हुए थे। इन्होंने विश्व युद्ध (1914-1918) एवं द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) को काफी नजदीकी से देखा। विश्व को इस दिशा में जाते देख इन्होंने एक नए युग की शुरुआत मानी। जिसको इन्होंने उत्तर आधुनिकतावाद के नाम से संबोधित किया।
इसीलिए अर्नाल्ड टायनबी ने 1918 से 1939 के काल को उत्तर आधुनिकतावाद के नाम से संबोधित किया। क्योंकि इस समय विश्व एक दूसरी दिशा की ओर बढ़ रहा था। हर जगह युद्ध और अशांति का माहौल व्याप्त था। इन्होंने उत्तर आधुनिकतावाद (Uttar adhuniktavad) के जन्म का श्रेय आधुनिकतावाद को ही दिया। आधुनिकतावाद में ही विभिन्न परिस्थितियों एवं समूहों व संस्थाओं का निर्माण हुआ था। यह किसी भी विचारधारा का समर्थन नही करता। इसका समाज एवं विश्व को देखने का नजरिया बाकियों से भिन्न हैं। यह एक नवीन विचारों का निर्माण करता हैं। उत्तर आधुनिकतावाद यूरोप की एक प्रचलित विचारधारा के रूप में देखा एवं समझा जाता हैं।
आधुनिकतावाद में ही विभिन्न प्रकार के उद्योगों एवं कलकारखानों का निर्माण तीव्र गति से हुआ था। एवं समस्त नवीन कार्यों की शुरुआत भी आधुनिकतावाद में ही हुई। जिस कारण उत्तर आधुनिकतावाद की जननी आधुनिकतावाद को माना जाता हैं। उत्तर आधुनिकतावाद (Uttar adhuniktavad) विभिन्न प्रकार की विचारधाराओं का एक सम्मिलित रूप हैं। यह सिद्धांतो का सिद्धांत हैं। उत्तर आधुनिकतावाद का जन्म विभिन्न विचारों के साथ हुआ हैं। इसने पूंजीवाद में नवीन विचारों को जोड़ने का कार्य भली-भांति किया। इसके द्वारा समाज की संस्कृति एवं समाज के दृष्टिकोण में नवीन परिवर्तन आया। इसकी पहचान बूढ़ी पूंजीवादी रूप के नवीन रूप के तौर पर हुई।
आधुनिकतावाद और उत्तर आधुनिकतावाद में अंतर
जहां आधुनिकतावाद एक विकासशील रूप था। वही उत्तर आधुनिकतावाद एक विकसित रूप था। आधुनिकतावाद उत्तर आधुनिकतावाद की जननी थी। आधुनिकतावाद के प्रवर्तक में जहाँ सिगमंड फ्राइड का नाम आता हैं। वही उत्तर आधुनिकतावाद के प्रवर्तकों में ल्योतार और अर्नाल्ड टायनबी का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं।
आधुनिकतावाद और उत्तर आधुनिकतावाद के समाज के विचारों में भारी परिवर्तन आया हैं। आधुनिकतावाद में जहाँ ज्ञान के महत्व पर बल दिया जाता था। वहीं उत्तर आधुनिकतावाद में तकनीकी एवं उसके विकसित रूप पर बल दिया जाता था। उत्तर आधुनिकतावाद एक नया समाज नही बल्कि आधुनिकतावाद का एक नया केंद्र बिंदु हैं। उत्तर आधुनिकतावाद (Uttar adhuniktavad) पूंजीवाद के एक विकसित रूप समझा जा सकता हैं। यह आधुनिकतावाद के विरोध में जन्मी एक नवीन विचारधारा थी। जो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों को एक अलग दृष्टिकोण से देखती थी।
उत्तर आधुनिकतावाद और आधुनिकतावाद में सबसे बड़ी समानता यह हैं कि इन दोनों का स्वरूप पूंजीवादी हैं। यह दोनों तकनीकी एवं औद्योगिक विकास को महत्व देते हैं। उत्तर आधुनिकतावाद और आधुनिकतावाद एक जैसे होकर भी एक दूसरे से भिन्न हैं। यह दोनों अपनी-अपनी विचारधारा एवं सिद्धांतो के कारण एक दूसरे से भिन्न हैं।
निष्कर्ष
उत्तर आधुनिकतावाद, आधुनिकतावाद का विकसित एवं नवीन रूप हैं। उत्तर आधुनिकतावाद एक प्रकार से आधुनिकतावाद वाली सोच ही रखता हैं। उत्तर आधुनिकतावाद को मिश्रित रूप में देखा व समझा जाता हैं। क्योंकि इसमें अनेक विचारधाराओं के गुण एवं दोष विद्यमान हैं। दोस्तों आज आपने जाना कि उत्तर आधुनिकतावाद (Uttar adhuniktavad) क्या हैं? आपको हमारी पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी हो और आपको इससे लाभ हुआ हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी शेयर करें। ताकि वह भी इसका लाभ उठा सकें। अपने बहुमूल्य सुझाव देने के लिए नीचें दिए गए संदेश बॉक्स से हमें संदेश भेजें।
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