शिक्षण प्रतिमान Teaching Models मात्र अनुदेशन की रूपरेखा (Instructional Design) हैं। वह विशेष प्रकार के वातावरण की परिस्थितियों के निर्माण की प्रक्रिया हैं जो छात्रों में अन्तःक्रिया करवाती हैं जिससे उनके व्यवहार में उचित परिवर्तन आ सकें।
वर्तमान समय मे शिक्षण सिद्धांतो Principles of Teaching का विकास प्रतिमानों प्रतिमानों (Models) के रूप में हुआ हैं। यह प्रतिमान शिक्षण सिद्धांतो के प्रतिपादन के आधार पर कार्य करते हैं। यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं।
तो चलिए आज हम पोस्ट के माध्यम से शिक्षण प्रतिमान के सही अर्थ, परिभाषा और भी कई बिंदुओं को आसान भाषा मे समझने का प्रयास करेंगे। तो चलिए जानते है कि शिक्षण प्रतिमान क्या हैं? Teaching Models in Hindi
Table of Contents
शिक्षण प्रतिमान की परिभाषा – Definition of Teaching Models in Hindi
यह पर हमने शिक्षण प्रतिमान की मुख्य विशेषताओं को शामिल किया हैं। जिससे आप इसके अर्थ को अच्छी तरह समझ सकें-
● एच० सी० वील्ड महोदय के अनुसार- “किसी रूपरेखा अथवा उद्देश्य के अनुसार व्यवहार को ढालने की प्रक्रिया प्रतिमान कहलाती हैं।”
● क्रोनबेक और गेग्ने महोदय के अनुसार- “शिक्षण प्रतिमानों का विकास सीखने के सिद्धांतों को दृष्टि में रखते हुए किया जाता हैं जिससे इनके प्रयोग द्वारा शिक्षण के सिद्धांतों को प्रतिपादित किया जा सकें।”
● हीमन महोदय के अनुसार- “शिक्षण प्रतिमान शिक्षण के संबंध में सोचने विचारने की एक रीति हैं।”
● जायस और वेल महोदय के अनुसार- “शिक्षण-प्रतिमान वह पद्धति या योजना हैं जिसे किसी पाठ्यक्रम अथवा कोर्स को स्वरूप प्रदान करने, अनुदेष्णात्मक सामग्री का डिजाइन तैयार करने और किसी कक्षा व अन्य परिस्थितियों में अनुदेशन का मार्ग-दर्शन करने हेतु प्रयोग में लाया जा सकें।”
शिक्षण प्रतिमानों की विशेषता – Features of Teaching Models
1. पूर्व-धारणाएं (Assumptions) – प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान (Teaching Models) वातावरण के निर्माण करने में रूपरेखा (Outline) का कार्य करता हैं। प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान की कुछ पूर्व-धारणाएं होती हैं जिनको दृष्टि में रखते हुए उनका निर्माण किया जाता हैं।
● सीखने के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण करना।
● शिक्षक और छात्रों के मध्य अन्तःप्रक्रिया का होना।
● शिक्षण को सरल, स्पष्ट और बोधगम्य बनाने के लिए उपयुक्त नीतियों तथा युक्तियों का प्रयोग करना।
2. उपयुक्त अनुभव प्रदान करना (Presenting Appropriate Experience) – शिक्षण प्रतिमान शिक्षक और छात्रों दोनों को उपयुक्त अनुभव प्रदान करता हैं। उपयुक्त पाठ्यवस्तु का चयन करना तथा उसे विद्यार्थियों के सामने आत्मबोध के लिए प्रस्तुत करना शिक्षण की मुख्य समस्या हैं।
3. मौलिक प्रश्नों का उत्तर (Answer to Fundamental Questions) – शिक्षण प्रतिमान में सभी मौलिक प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है। उदाहरण – क्यों, क्या और कैसे जैसे सभी प्रश्नों का जवाब प्रतिमानों में होता हैं।
4. व्यक्तिगत विभिन्नता पर आधारित (Based on Individual Differences) – शिक्षण प्रतिमान निर्माण व्यक्तिगत विभिन्नता के आधार पर विभिन्न धारणाओं के अनुसार होता हैं। इसी कारण अपने-अपने जीवन दर्शन से प्रभावित होते हुए कोई शिक्षक रटंत-स्मृति की और कोई प्रत्ययों के स्पष्ट करने को महत्व देते हुए शिक्षण के अलग-अलग प्रतिमानों का निर्माण मिलता हैं।
5. छात्रों की रुचि का उपयोग (Use of Students Interest) – शिक्षण प्रतिमान में छात्रों की रुचि का उपयोग किया जाता हैं।
शिक्षण प्रतिमान की उपयोगिता – Utility of Teaching Models
● यह किसी विशिष्ट उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता करता हैं।
● इसका स्वरूप व्यवहारिक होता हैं, साथ ही इसके द्वारा सीखने की उपलब्धि संभव हैं।
● इसके द्वारा शिक्षण के क्षेत्र में विशिष्टीकरण की संभावना हैं।
● यह शिक्षक के शिक्षण को प्रभावोत्पादक बनाने में सहायता प्रदान करता हैं।
● इसके द्वारा शिक्षण में परिवर्तन तथा सुधार किया जा सकता हैं।
शिक्षण प्रतिमान के मौलिक तत्व – Basic Elements of Teaching Model
1. उद्देश्य (Focus) – प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान का कोई न कोई उद्देश्य होता हैं जिसे उसका लक्ष्य बिंदु कहते हैं। इसी लक्ष्य बिंदु को ध्यान में रखते हुए प्रतिमान को विकसित किया जाता हैं।
2. संरचना (Syntax) – शिक्षण प्रतिमान की संरचना का तात्पर्य उन बिंदुओं से होता हैं जो विभिन्न अवस्थाओं (Phases) में शैक्षिक लक्ष्यों पर केंद्रित क्रियाओं को उत्पन्न करता हैं।
3. सामाजिक प्रणाली (Social System) – सामाजिक शिक्षण प्रतिमान के उद्देश्य के अनुसार होती हैं। प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान का उद्देश्य अलग-अलग होता हैं, इसलिए प्रत्येक शिक्षण प्रतिमान की सामाजिक प्रणाली भी अलग-अलग होती हैं। समाज इस व्यवस्था को शैक्षिक अन्तःक्रिया द्वारा सक्रिय बनाता हैं जिससे विद्यार्थियों के व्यवहार पर उचित बदलाव आता हैं।
4. मूल्यांकन प्रणाली (Support System) – मूल्यांकन प्रणाली में मौखिक या लिखित परीक्षाओं द्वारा यह निर्णय लिया जाता हैं कि शिक्षण का उद्देश्य प्राप्त हुआ या नहीं।
शिक्षण प्रतिमानों के प्रकार – Types of Teaching Models
1. दार्शनिक शिक्षण मॉडल (Philosophical Teaching Model) – इस प्रकार के शिक्षण प्रतिमानों की चर्चा इजराइल सेफलर (Israel Saffler) ने की थी। दार्शनिक शिक्षण-मॉडल निम्नलिखित हैं-
● प्रभाव प्रतिमान (Impression Teaching Model)
● सूझ-बूझ प्रतिमान (Insight Model)
● नियम प्रतिमान (Rule Model)।
2. मनोवैज्ञानिक शिक्षण मॉडल (Psychological Teaching Model) – मनोवैज्ञानिकों की यह धारणा है कि शिक्षण प्रतिमान शिक्षण-सिद्धांतो का स्थान ग्रहण कर सकते हैं। शिक्षण प्रतिमान ही शिक्षण सिद्धांतो का आदि रूप हैं। शिक्षण-प्रतिमानों के मनोवैज्ञानिक रूप में शिक्षण के लक्ष्य और शिक्षण और में संबंधों की व्याख्या की जाती हैं।
John P. Dececco ने निम्नलिखित मनोवैज्ञानिक शिक्षण प्रतिमान बताए हैं-
● बुनियादी शिक्षण प्रतिमान (Basic Teaching Model)
● कंप्यूटर आधारित शिक्षण प्रतिमान (Computer Based Teaching Model)
3. आधुनिक शिक्षण प्रतिमान (Model Teaching Model) – आधुनिक शिक्षण प्रतिमान के अंतर्गत शिक्षण प्रतिमानों को निम्नलिखित 4 भागों में विभाजित किया गया हैं-
● सामाजिक अन्तःप्रक्रिया स्रोत पर आधारित प्रतिमान
● सूचना प्रक्रिया स्रोत पर आधारित प्रतिमान
● व्यक्तिगत स्रोत पर आधारित प्रतिमान
● व्यवहार परिवर्तन स्रोत पर आधारित प्रतिमान
निष्कर्ष – Conclusion
शिक्षण प्रतिमान वह नीति या योजना होती हैं जिसके आधार पर ही शिक्षा से संबंधित क्रियाओं एवं नीतियों का आयोजन किया जाता हैं। इन प्रतिमानों को आधार मानकर ही शिक्षा में पाठ्यक्रम, सहपाठ्यक्रम गतिविधिया आदि का प्रारूप तैयार किया जाता हैं। जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकार उचित दिशा और उचित गति में हो।
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