ग्रेड सिस्टम क्या है – What is Grade System in Hindi?

ग्रेड प्रणाली grade system का सुझाव सर्वप्रथम मुदालियर आयोग ने 1952-53 में दिया । इसके बाद कोठारी आयोग 1964-66 ने इस प्रणाली के प्रयोग पर बल दिया। 1972 में इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षक विलियम फरिष द्वारा ग्रेडिंग प्रणाली का आविष्कार किया गया था।

ग्रेड सिस्टम क्या है ग्रेड कैसे निकालते है इसकी शुरुआत कब हुए एव इसकी विशेषताओ के बारे में आज हम विस्तारपूर्वक जानकारी एकत्रित कारिंगे तो आइये जाने की ग्रेड सिस्टम क्या है What is Grade System.

ग्रेड प्रणाली Grade System

हमारे देश मे परीक्षा परिणाम सामान्यतः कुल प्राप्तांको के प्रतिशत के आधार पर प्रथम , दृतीय ,तृतीय ओर अनुत्तीर्ण श्रेणियों में विभाजित कर दिया जाता है
कही 60% पर प्रथम श्रेणी दी जाती है तो कही 75% पर , कही 45% पर दृतिय श्रेणी दी जाती है तो कही 50% पर, कही 33% पर तृतीय श्रेणी दी जाती है तो कही 36% से कम अंक प्राप्त करने वालो को , इस प्रणाली का दूसरा दोष यह है कि इसमें विषय की प्रक्रति का ध्यान नही रखा जाता , सामाजिक विषय जिनमे 60% से अधिक अंक प्राप्त करने कठिन होते है और गणित एव विज्ञान विषयों में जिनमे शत-प्रतिशत अंक भी प्राप्त किये जा सकते है। इसमें श्रेणी विस्तार बहुत होता है जैसे- 33% से 47% तक तृतीय श्रेणी , 48% से 59% तक दृतीय श्रेणी ओर 60% से 100% तक प्रथम श्रेणी ओर 598/1000 दृतिय श्रेणी और जब कोई बच्चा एक दो अंक के अंदर से अनुत्तीर्ण घोषित किया जाता है तो उसे बहुत दुख होता है।

ग्रेड प्रणाली क्या है ? What is great system

ग्रेड प्रणाली में परीक्षार्थियों को विषय विशेष में अंको के आधार पर 5,7 अथवा 9 श्रेणियों (Grades) में बाट दिया जाता है –

जैसे- O,A,B,C ओर D; O,A,B,C,D,E ओर F ओर O,A,B,C,D,E,F,I ओर J.

इनमे 7 ग्रेड बिंदु प्रणाली सर्वोच्चम मानी जाती है। इस सात श्रेणी विभाजन को अक्षरों, अंको ओर शब्दो मे इस प्रकार देखा – समझा जा सकता है ।

1972 में इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षक विलियम फरिष द्वारा ग्रेडिंग प्रणाली का आविष्कार किया गया था। वह वास्तव में जानना चाहते हैं कि छात्रों के दिमाग में क्या चल रहा है, उन्हें विषय मिला या नहीं। तो ग्रेड उसे इस बात का पता लगाने में मदद करते हैं।

अधिकांश शैक्षिक बोर्ड छात्रों को ग्रेड देने में विभिन्न मैट्रिक्स का उपयोग करते हैं, साथ ही अधिकांश मामलों में प्राप्त अंकों के साथ। भारतीय शिक्षा प्रणाली एक CGPA ग्रेडिंग स्केल का अनुसरण करती है, हालांकि, यह अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की तरह विदेशों में उपयोग किए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय GPA पैमाने से भिन्न है।

ग्रेड प्रणाली की शुरुआत Grade system start –

हमारे देश मे सर्वप्रथम मुदालियर आयोग 1952- 53 ने ग्रेड प्रणाली का सुझाव दिया । इसके बाद कोठारी आयोग ने 1964-66 ने इस प्रणाली के प्रयोग पर बल दिया ।
बाद में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ( N.C.E.R.T) ओर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( U.G.C) ने भी ग्रेड प्रणाली की वकालत की। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ने भी ग्रेड प्रणाली के प्रयोग पर बल दिया।
इस तरह भारत मे ग्रैड प्रणाली की शुरुआत हुए और कई हद तक यह सफल भी रही है एवं इसके द्वारा शिक्षण में विद्यार्थियों का सही तरह से एव उचित मूल्यांकन संभव हो पाया है। यह कहना गलत नही होगा कि ग्रेड प्रणाली (Gread System ) की शुरुआत भारत के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है एवं इसके द्वारा मूल्यांकन के उचित उद्देश्यों की प्राप्ति संभव है।

ग्रेड कैसे निकलते है How do the grades drop

ग्रेड अक्षरों में – O A B C D E F (क्रमबद्ध तरीके से)

ग्रेड अंको में – O का 6 , A का 5 , B का 4 , C का 3 , D का 2 , E का 1 ओर F का 0

ग्रेड शब्दो में – O को विशिष्ट , A को अतिउत्तम , B को उत्तम , C को औसत , D को संतोषजनक , E को निकृष्ट , F निकृष्टतम ।

ग्रेड प्रणाली में मूल्यांकन सीधे ग्रीडो में भी किया जाता है ओर प्राप्तांको के आधार पर भी ग्रेड दिए जाते है। सीधे ग्रेड देने में परीक्षक सर्वप्रथम प्रत्येक प्रश्न के उत्तर पर अलग – अलग ग्रेड प्रदान करते है और उसके बाद सभी प्रश्नों पर दिए गए ग्रेडों का ग्रेड औसत ज्ञात करते है।
ग्रेड औसत ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम अक्षर ग्रेडों में बदला जाता है और उसके बाद उनका औसत निकाला जाता है।

सत संख्या को ग्रेड बिंदु औसत (Grade Point Average ) कहते हैं।

प्रश्न – 1,2,3,4,5,,7,8,9,10 ( ग्रेड बिन्दु औसत )

ग्रेड अक्षरो में – A, A ,B, A, B, B, C, B, B, B

ग्रेड अंको में – 5, 5, 4, 5, 4, 4, 3, 4, 4, 4, – 44/10= 4.4

नोट – यदि ग्रेड बिंदु 4.5 या 4.5 से अधिक होती है तो उसे A ग्रेड देते है, यदि वह 3.5 या 3.5 से अधिक होता है तो उसे B ग्रेड देते हैं।
इस बीच हमारे देश मे अनेक परीक्षा संस्थायें ने ग्रेड प्रणाली शुरू की परंतु इस प्रणाली के भी अपने गुण एव दोष है जो कोई भी प्रणाली में अवश्य होते है चाहे वह कितनी ही सही क्यों ना हो।

ग्रेड प्रणाली की विशेषताएं Grade system features –

  • ग्रेड प्रणाली द्वारा विभिन्न विद्याथियों का मूल्यांकन आसानी से किया जा सकता है।
  • ग्रेड प्रणाली के द्वारा विद्याथियों की आपस मे तुलना आसानी से की जा सकती है।
  • ग्रेड प्रणाली के द्वारा विषयगत कठिनाईयो का स्तर समाप्त हो जाता है।
  • ग्रेड प्रणाली के माध्यम से विद्याथियों को अपने स्तर का बोध आसानी से हो जाता है। ग्रेड प्रणाली की कमियां Drawbacks of grade system –
  • ग्रेड प्रणाली व्यक्तिनिष्ठ है।
  • भिन्न – भिन्न पैमानों ( 5, 7 ओर 9 ग्रेड ) में प्रदान किये गए ग्रेडों में तुलना करना कठिन होता है।
  • ग्रेड प्रणाली में विशेषग्यो एव बुद्धिजीवियों के एक मत नही है एवं उनके विचारों में भिन्नता पायी जाती है।
  • ग्रेड प्रणाली अति संवेदनशील होती है।

ग्रेड प्रणाली ( Grade System ) प्राप्तांक प्रतिशत श्रेणी से अधिक कठिन और दोषयुक्त होती है। स्कूलों के अंतर्राष्ट्रीय छात्र जो एक अलग सीजीपीए ग्रेडिंग स्केल का पालन करते हैं, जब वे एक नई प्रणाली जैसे कि प्रतिशत पर स्विच करते हैं तो भ्रमित हो सकते हैं।

छात्रों आज हमने जाना कि ग्रेड सिस्टम क्या है What is Grade System , और इसकी शुरुआत कब हुई और आखिर ग्रेड निकली कैसे जाती है। मुझे लगता है कि इस पोस्ट से आपको आपके सभी प्रश्नों का उत्तर मिल चुका होगा ऐसी ही विभिन्न ज्ञानवर्धक प्रकरण को पढ़ने एव अपने ज्ञान का विस्तार करने के लिए हमारी वेब साइड sstmaster.com पर जाकर अपने ज्ञान का विस्तार करें एवं कॉम्प्टीशन की तैयारी करें।

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Pankaj Paliwal
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम पंकज पालीवाल है, और मैं इस ब्लॉग का फाउंडर हूँ. मैंने एम.ए. राजनीति विज्ञान से किया हुआ है, एवं साथ मे बी.एड. भी किया है. अर्थात मुझे S.St. (Social Studies) से जुड़े तथ्यों का काफी ज्ञान है, और इस ज्ञान को पोस्ट के माध्य्म से आप लोगों के साथ साझा करना मुझे बहुत पसंद है. अगर आप S.St. से जुड़े प्रकरणों में रूचि रखते हैं, तो हमसे जुड़ने के लिए आप हमें सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते हैं।

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