नारीवाद |Feminism Meaning in Hindi

नारीवाद Feminism एक ऐसी विचारधारा या सोच हैं जो नारी के अधिकारों और न्याय की बात करती हैं। वर्तमान समय मे सम्पूर्ण दुनियां में अनेकों विचारधाराओ को अपनाने वाले लोग हैं। अन्य देशों में रहने वाले लोगों या एक ही देश मे रहने वाले लोगों की विचारधाराओ में हमें विभिन्नताएं देखने को मिलती हैं।

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जैसे कई लोग पूंजीवादी विचारधारा का समर्थन करते हैं तो कई समाजवाद विचारधारा का। कई नारीवाद विचारधारा और नारी पर हो रहे अत्याचार और भेद-भाव का विरोध करते हैं तो कई समर्थन। नारीवाद समाजशास्त्र और राजनीति का एक ऐसा टॉपिक हैं। जिसको प्रत्येक छात्रों के लिए जानना और समझना अत्यंत आवश्यक हैं।

वर्तमान देश दुनिया की परिस्थिति को देखते हुए यह और भी जरूरी हो जाता हैं कि हम नारीवाद की विचारधारा को समझें और नारी के अधिकारों को जानें। जिससे नारी पर हो रहे अत्याचारों और महिलाओं में होने वाले शोषण को रोक सकें। तो चलिए जानते हैं कि नारीवाद क्या हैं? Feminism Meaning in Hindi

नारीवाद |Feminism Meaning in Hindi

नारीवाद के अर्थ को समझें तो ऐसे विचारक जो नारी और पुरुष को समान दृष्टि और समान अधिकार देने की बात करते हैं ऐसी विचारधारा को नारीवाद विचारधारा कहा जाता हैं। ऐसे विचारक मानते हैं कि नारी को भी पुरुषों के समान अधिकार मिलने चाहिए और नारी पर हो रहे अत्याचारों को दमन करने हेतु नारियों को स्वतंत्रता एवं व्यवसाय के समान अवसर प्रदान करने चाहिए।

नारीवाद विचारधारा को प्रतिपादित करने का प्रथम श्रेय ब्रिटिश की महिला मेरी वोल स्टोनक्राफ्ट (M.Woll Stoncraft) को दिया जाता हैं। इन्होंने अपनी पुष्तक Vendication of the Right of Women में नारियों के अधिकार की बात कही थी जो वर्ष 1978 में पब्लिश हुई थी।

इसके पश्चात नारीवाद Feminism की विचाधारा का विकास करने का उत्तरदायित्व J.S Mill ने उठाया। इन्होंने अपनी पुष्तक Subjection of Women में नारीवाद की विचारधारा को पूर्ण रूप से विकसित करने का कार्य किया। जो वर्ष 1869 में प्रकाशित हुई। J.S Mill ने इस पुस्तक में नारी और पुरुष के समान अधिकारों की बात कही। इस पुष्तक के माध्यम से इन्होंने माना कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के सहचर है एवं कोई किसी पर प्रभुत्व स्थापित करने की बात नही कर सकता।

इस पुष्तक के माध्यम से J.S Mill नारी के मताधिकार का समर्थन किया था और कहा कि नारी को भी पुरुष के समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए। नारीवाद के समर्थक साइमन डी. बिवेयर ने अपनी पुष्तक Second Sex में नारियों की स्थिति का वर्णन करते हुए कहा कि स्त्री पैदा नहीं होती बल्कि उसे बना दिया जाता हैं। इस पुष्तक के माध्यम से इन्होंने नारी को आत्मनिर्भर बनाने की भी बात कहीं थी। नारीवाद महिलाओं के विकास की बात करने वाली विचारधारा हैं जो सदैव महिला सशक्तिकरण की बात करते आई है।

वर्तमान समय मे नारियों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण को देखते हुए यह आवश्यक हैं कि प्रत्येक स्थिति चाहें वह पढ़ी लिखी हो या पढ़ी लिखी नहीं हो, चाहें वह गरीब हो या अमीर उसे आत्मनिर्भर होना अनिवार्य हैं। तभी नारियों का अस्तित्व एवं उनकी स्थिति को सुधारा जा सकता हैं। इसी के साथ अनेकों नारीवादी विचारकों ने हमेशा नारी के विचारों एवं अधिकारो का समर्थन किया एवं अपने विचार अपनी-अपनी पुष्तकों के माध्यम से प्रकट किए।

भारत में नारीवाद |Feminism in India

डॉ. प्रभा खेतान – भारत मे नारीवादी विचारधारा को व्यापकता प्रदान करने के लिए इनका अहम योगदान रहा है। इनके विचारों के अनुसार समाज को विकसित करने हेतु नारी की अहम भूमिका हैं। प्रभा खेतान अपने विचारों के माध्यम से नारियों की स्थिति में प्रकाश डालते हुए कहती हैं कि वर्तमान समय मे नारी को बस एक साज सज्जा के समान के रूप में देखा जाता हैं। राजनीति में उनका उपयोग सिर्फ वोट प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता हैं।

आशा रानी – आधा रानी के दृष्टिकोण से भी भारत मे नारी की स्थिति बहुत दयनीय हैं। इनके विचारों में अनुसार नारी को अपने अधिकार प्राप्त करने एवं न्याय प्राप्त करने हेतु संघर्ष करना अनिवार्य हैं। नारी को अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए परस्पर संघर्ष की अवस्था मे रहना चाहिए। आशा रानी मानती थी कि नारी की तुलना पुरुषों से नहीं करनी चाहिए, क्योंकि नारी पुरुष की तुलना में श्रेष्ठ हैं वह पुरुषों को जन्म देती हैं। इस कारण आशा रानी महिलाओं का स्थान पुरुषों से उच्च मानती है।

भारत मे सदैव ही महिलाओं के अधिकारों एवं उन पर हो रहे अत्याचारों की बात कहीं जाती रही हैं। इसके बाद भी आधुनिक समय में अनेकों कानून होने के बाद भी महिलाओं से संबंधित अपराधों में वृद्धि ही हुई हैं। किंतु पहले की तुलना में वर्तमान समय मे नारी अधिक आत्मनिर्भर बनी हैं। प्रत्येक व्यवसाय और क्षेत्र में नारी सदैव उच्च प्रदर्शन करते आयी हैं। जिस कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि नारी ने खुद का विकास स्वयं किया हैं।

इसके बाद भी नारीवादी विचारधारा को और अधिक विकसित करने की आवश्यकता हैं। जिससे नारी के प्रति अधिकारों और न्याय प्रणाली को मजबूत किया जा सकें एवं उन पर हो रहे अत्याचारों में कमी लाये जा सकें।

उदारवादी नारीवाद |Liberal Feminism

उदारवादी विचारक सदैव से ही नारी के हितों और उनके अधिकारों की बात करते आये हैं। चाहे वह J.S Mill हो या जॉन एफ. कैनेडी सभी उदारवादी विचारक पुरुषों को स्त्रियों को समान अधिकारी और अवसर प्राप्त होने की बात करते हैं। यह दोनों में बौद्धिक और नैतिक क्षमताओ की समानता की भी बात करते हैं।

इसके साथ ही विकास के समान अवसर उपलब्ध करवाने की बात भी उदारवादी विचारकों द्वारा की जाती रही हैं। यह मानते हैं कि पुरुषों को भी अपनी संतानों को संभालने जैसे कार्यों को करना चाहिए। जिससे नारी पर होने वाले कार्यों के भंडार को कम किया जा सकें। समान कार्य और समान अवसर की बात हमेशा से ही उदारवादी विचारकों द्वारा आते रही हैं।

निष्कर्ष – Conclusion

नारीवाद का अर्थ Feminism Meaning in Hindi नारी के अधिकारों की बात करने वाली एक ऐसी विचारधारा हैं जो नारी पर हो रहे अत्याचारों वाली विचारधाराओ का विरोध करती आई हैं। नारीवादी विचारक मानते हैं कि समाज मे सदैव महिलाओं का शोषण होता हैं और उनके पुरुषों की तुलना में कम क्षमता एवं कमजोर की नजर से देखा जाता हैं।

तो दोस्तों आज आपने हमारी की पोस्ट के माध्यम से जाना कि नारीवाद का अर्थ क्या हैं? (Feminism Meaning in Hindi) इस पोस्ट के संबंधित विचार प्रकट करने के लिए कमेंट बॉक्स का उपयोग करें।

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