निरोपचारिक शिक्षा (Niropcharik Siksha) में औपचारिक शिक्षा एवं अनोपचारिक शिक्षा के गुणों का समावेश होता हैं। इस प्रकार की शिक्षा इन दोनों के मध्य समन्वय का कार्य करती हैं। जो ज्ञान आज हम Youtube, Google आदि के माध्यम से प्राप्त करते हैं वह सभी इसके अंतर्गत आता हैं। वर्तमान समय में हर कोई इसी तरह से काफी ज्ञान प्राप्त कर रहा हैं फिर चाहे वो राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय सभी क्षेत्र की सूचना आज हमको में मिल जाती हैं तो हम समझ सकते हैं कि निरोपचारिक शिक्षा non-formal education का क्षेत्र कितना व्यापक हैं।
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निरोपचारिक शिक्षा(Niropcharik Siksha) क्या हैं?
1. यह शिक्षा में छात्रों को दूर से शिक्षा प्रदान करने के अवसरों का निर्माण किया जाता हैं।
2. यह शिक्षा सभी के लिए समान शिक्षा अवसर प्रदान करने का कार्य करती हैं।
3. इसमें रेडियो, टेलीविजन आदि के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती हैं।
4. इस प्रकार की शिक्षा छात्रों का सिर्फ ज्ञामात्मक विकास करती हैं और इसके द्वारा छात्रो को वास्तविक अनुभव प्राप्त नहीं हो पाता।
5. इस शिक्षा में छात्र अपनी रुचि के अनुसार ज्ञान प्राप्त करते हैं वह जब चाहे जिस जगह चाहे इसके माध्यम से ज्ञान ग्रहण करते हैं।
लाभ (Benifits)
यह एक ऐसा माध्यम है जिसके आधार पर छात्र आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार की शिक्षा छात्रों की रुचि पर निर्धारित होती हैं। यह छात्रों को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करने का कार्य करता हैं। इसमें छात्र जब चाहे जैसे चाहे वैसे शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
यह छात्रों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का भी कार्य करता हैं इसके द्वारा छात्र बिना किसी तनाव के शिक्षा प्राप्त करते हैं साथ ही यह छात्रों के व्यक्तित्व के विकास में भी अपनी अहम भूमिका निभाती हैं।
हानियां (Losses)
● यह छात्रों में अनुशासन का विकास नही करती यह छात्रों में नियंत्रण रखने में भी विफल रहती हैं।
● इसके द्वारा छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास नही ही पाता और यह सिर्फ छात्रों के ज्ञानात्मक पक्ष पर ही बल देती हैं।
● यह छात्रों के भावात्मक और क्रियात्मक पक्ष का विकास नही करती इसमें छात्र शिक्षण के दौरान क्रियाहीन रहते हैं।
● इसके द्वारा छात्रों का नैतिक विकास नही किया जा सकता। इसमें छात्र पूर्ण रूप से अपनी रुचि के अनुसार ही क्रिया करते हैं।
● यह एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमें व्यक्ति को वास्तविक अनुभवों की प्राप्ति नही कर पाता। यह प्राकृतिक कम और कृतिम ज्यादा हैं।
निष्कर्ष –
दोस्तों, आज हमने जाना कि निरोपचारिक शिक्षा (Niropcharik Siksha) क्या हैं? यह ज्ञान प्राप्त करने का एक ऐसा माध्यम हैं जिसके अंतर्गत छात्र अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा प्राप्त करता हैं। इसमें छात्रों पर किसी भी प्रकार का दबाव नही रहता वह अपनी इच्छानुसार शिक्षा की प्राप्ति करते हैं। तो दोस्तों अगर आपको इस पोस्ट से लाभ प्राप्त हुआ हो तो पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी Share करें। ताकि वह भी इससे लाभ प्राप्त कर सकें।
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