डॉ० जीन पियाजे (1896-1980), Jean Piaget Theory यह एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने मानव विकास के समस्त पहलुओं को क्रमबद्ध तरीके से उजागर किया जिसे हम Piaget theory एवं जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास के नाम से भी जानते हैं उन्होंने अपनी theory में बताया कि बालक का संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Devlopment) कैसे होता हैं और उसके विकास के क्या-क्या स्तर होते है।
संज्ञानात्मक से उनका आशय है , बौद्धिक विकास । जीन पियाजे के अनुसार बालक का बौध्दिक विकास क्रमबद्ध तरीके से होता है जैसे बच्चा भूख लगने पर रोता है,अर्थात वह अपने भावात्मक पहलुओं को विभिन्न कक्रियाओं के जरिये व्यक्त करता है ,वह अपने भावात्मक पहलुओं को अपनी इंद्रियों (आँख, कान,नाख, जीभ,हाथ आदि) के माध्यम से प्रकट करता है,तत्पश्चात वह अपने माता – पिता का अनुकरण करता है उसके बाद वह समाज मे आकर सामूहिक क्रियाओं पर बल देता है जिससे उसके संज्ञानात्मक विकास में वृद्धि होती है।
तो आइए अब जानते है कि जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास क्या है? Piaget Theory यह बहुत महत्वपूर्ण है,क्योंकि C.TET / U.TET आदि Competition exams में इसमें से प्रश्न निरंतर पूछे जाते रहे हैं। जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास के समस्त पहलुओं को जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक देखें।
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जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास Cognitive Development of Jean Piaget Theory –
संज्ञानात्मक विकास को परिभाषित करने से पहले इन्होंने यह परिक्षण सर्वप्रथम अपने बच्चों पर किया और उनकी अवस्थाओ में हुए परिवर्तनों को समझा इसलिये इसे अवस्था का सिद्धांत भी कहा जाता हैं। इन्होंने अपनी अवधारणा संज्ञानात्मक विकास पर दी हैं। इन्होंने कहा कि जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती हैं वैसे-वैसे उनकी बुद्धि का विकास भी होते रहता हैं। पहले बच्चा सरल चीजों को सीखता हैं फिर जैसे-जैसे उसकी उम्र और अनुभव बढ़ते जाता हैं फिर वह कठिन चीजों को सीखने लगता हैं।
संज्ञानात्मक विकास के प्रत्यय Concept of Cognitive Devlopment –
- अनुकूलन – वातावरण के अनुसार अपने आप को ढालना अनुकूलन कहलाता हैं।
- समायोजन – पूर्व ज्ञान या योजना में परिवर्तन करके वातावरण के साथ तालमेल बनाना समायोजन कहलाता हैं।
- विकेन्द्रीकरण – एक ही समस्या को अलग – अलग रूप से समझ पाने की योग्यता या समस्या – समाधान को अलग – अलग तरीके से सोचना।
Steps of cognitive devlopment theory
- अनुकूलन Customization – अनुकूलन का अर्थ हैं, समाज का वातावरण देखते हुए उसमें खुद को ढालने के लिये अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना। जिससे उस समाज में रहने के लिए मदद मिल सकें। अर्थात किसी समूह को अपनाने के लिए उनके विचारों को अपनाने के लिए अपने विचारों का त्याग करना जिससे उस समूह को जॉइन करने में सहायता मिल सकें।
उदाहरण – जैसा देश वैसा भेष। - आत्मसात्करण Assimilations – इसमे बच्चा अपने पुराने या पूर्व ज्ञान की सहायता से नये ज्ञान का अर्जन करता हैं जैसे- बच्चा साईकल सीखता हैं तो उसे बाइक सीखने में मदद मिलती हैं।
- साम्यधारणा Conception – इसमें बच्चा आत्मसात और समायोजन के मध्य संतुलन को स्थापित करता हैं।
- स्कीमा Schema – इसमें बच्चा अनुभव के आधार पर जो भी ज्ञान अर्जित करता हैं वो सभी संगठित होते रहता हैं जिसे हम previous knowledge भी कहते हैं।
- संज्ञानात्मक संरचना Cognitive Structure – 4 अवस्थाओं का समूह (संवेदी अवस्था , पूर्व संक्रियात्मक , मूर्त संक्रियात्मक , और औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था )।
- मानसिक संक्रिया Mental Operation – इसमें बच्चा खुद किसी समस्या का समाधान करने के लिए स्वयं चिंतन करता हैं उस समस्या के समाधान के बारे में सोचता हैं एवं उससे संबंधित जानकारी एकत्रित करता हैं जिससे उस समस्या का समाधान हो सकें। इसके लिए वह अनेकों प्रयत्न करता हैं।
- विकेंद्रण Decentralization – इसमे बच्चा वास्तविकता का चिंतन करता हैं। जैसे – बच्चे को कोई खिलौना दिया जाता हैं तो वह सो सोचता हैं कि ये कैसे बना होगा और उसका उपयोग कैसे होता होगा? कई प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने का प्रयत्न करता हैं।
जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाये Cognitive Devlopment Stages According to Jean Piaget Theory –
संवेदीगामक अवस्था (0-2 वर्ष) Sensorimotor Stage – इस अवस्था में बच्चा किसी वस्तु को देखकर , सुनकर ज्ञान प्राप्त करता हैं। अर्थात बच्चा वस्तु को देखकर और सुनकर ही उस वस्तु को महसूस करने की कोशिश करता हैं। जैसे – अगर बच्चे के सामने कोई पलके झपकाये तो वो भी बिना सोचे ही पलके झपकाने लगता हैं बिना सोचे समझे अर्थात वह उसका अनुकरण करता हैं।
पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2-7 वर्ष) Pre-operational Stage – जीन पियाजे Piaget Theory ने इस अवस्था को दो (2-4 वर्ष – 4-7 वर्ष) भागों में विभक्त किया हैं – (2-4 वर्ष) की अवस्था मे बच्चा अतार्किक चिंतन करता हैं अर्थात जो तर्क करने योग्य ही नहीं होते। जैसे – बच्चे ने गली में एक काले कुत्ते को देखा तो वह पहचान गया पर जब उसने सफेद कुत्ते को देखा तो वह नही पहचान पाता हैं और इस अवस्था में बच्चा (अहमकेंदित) होता हैं। इसमें बच्चा ज्यादा प्रश्न पूछता हैं।
(4-7 वर्ष) की अवस्था में बच्चों को विकेन्द्रीकरण , पलटन और संरक्षण का कोई ज्ञान नहीं होता हैं। पलटन जैसे – बच्चे को यह बता दे कि वह आपकी बहन हैं तो वह यह नही बता पाएगा कि वो उसका भाई हैं। विकेन्द्रीकरण जैसे – आप बच्चे को 2 अलग-अलग गिलास (एक पतला ओर एक चोडा) दे दो तो वह यह नहीं बता पाएगा कि किसमे ज्यादा पानी आएगा। संरक्षण जैसे – बच्चा सभी बातों को अपने दिमाग मे एकत्रित नही कर पाता हैं इस अवस्था में।
मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (7 – 11 वर्ष) Concrete Stage – मूर्त यानी जिसका कोई रूप हो, आकर हो, और रंग हो अर्थात जिसको हम देख सकते हैं, छू सकते हैं। इस अवस्था मे बच्चा मूर्त चिंतन करता हैं। जैसे – जब बच्चा कोई नया खिलौना देखता हैं तो उसके बारे में मूर्त चिंतन करता हैं। उसकी बनावट , उसका आकार और उसका रंग आदि।
औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11 – 15 वर्ष)Formal Stage – इसे अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था भी कहा जाता हैं। इसमे बच्चे मूर्त चिंतन के साथ-साथ अमूर्त चिंतन भी करने लगते हैं। अमूर्त का अर्थ हैं- प्रेम,सहानुभूति, न्याय,स्वतंत्रता आदि। अर्थात जिसको महसूस किया जा सकें।
निष्कर्ष Conclusion –
जीन पियाजे jean piaget Theory ने अपने संज्ञानात्मक विकास पर बालक के क्रमबद्ध विकास के सम्बंध में विस्तारपूर्वक टिप्पणी की हैं। जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास के द्वारा हम बालक की मनोस्थिति को समझ सकते हैं और इसका बहुत बड़ा लाभ शिक्षण प्रक्रिया में हैं इस सिद्धान्त के द्वारा हम छात्रों के मानसिक विकास में वृद्धि कर सकतें हैं शिक्षण नीति के निर्माण में जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास एक बड़ी भूमिका निभाता हैं पर जब तक इसका क्रियान्वयन सही तरीके से नही होगा तब तक शायद ही बच्चे का मानसिक विकास अच्छे से हो पाए। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षक की गुणवत्ता में वृद्धि की जाए क्योंकि एक शिक्षक ही हैं जो बालक के सर्वांगीण विकास में उसकी सहायता करता हैं।
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I agree with you
Muje bhi is traha ka blog likhna sikhna hai please guide me
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कुलदीप आप हमसे G.mail से जुड़े।
Please share your mail I’d gmakl
Manu ap hamare contact us section m jakr contact id le sakte hain…. Gmail: [email protected]
Good job sir
Main bhi apse judna cahata hu apka g.mail account kya hoga ?
निखिल आप सबसे नीचे दिए गए contact option में जाकर हमारी mail check कर सकते हैं।
Very good study
Thankyou for the our study .
इस पोस्ट में अपने बहुत आसान शब्दों में अच्छे से समझा दिया मुझे किताब से समझ नहीं आ रहा था बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏🙏🙏
हमें यह बात जाकर अच्छा लगा।
Nice theme
Good job sir bhut asan language me samjhaya apne thanku so much 9
dhanywad renu…
Sir mujhe bhi aesa hi likhna sikhna h kese sikhe
sahib apko bss apne ander explanasion skill ka vikas krna hoga..
Bahut hi easy lagi theory plz pedagogy analysis ko samjha de
Poonam jarur hmm isme bhi post layenge..
Aapne piace theory pr bahut hi achha lekh likha hai.
Sternberg theory pr bhi kuchh likha ho to bataiye. Aapka prayas behad sarahneey hai.
thanks Manorama apke bataye topic pr bhi hm jld likhenge…
Thanks sir
i want to sst notes for ctet exam
ekta social media ya cotact option ki help se hmse sampark kare…
kaaafi acche se explain kia apne.I am preparing for Htet exam.
Jyoti apka bhut bhut dhanywad apke vichar hi hamare liye prerna srot hain…
Sir C3 Teaching and Learning ka v contant upload kijiy..
Priya hmm puri koshish karenge ki hamari agli post isii pr aye
Aisha hume ye jankar bhut accha lga…
Hii sir kya aap vygotsky ki theory bhi upload kr dijiye Aapne piaget ki theory bhut hi aashan shabdo mai btayi hai thanks u
dipali humne already is pr post likhi huyi hain ap hamasre home page me akr search kr sakte hain