राष्ट्रीय ज्ञान आयोग , 2006-09 जिसे अंग्रेजी भाषा मे National Knowledge Commission(N.K.C ) कहा जाता है। इस आयोग का गठन 2005 में हुआ था परंतु इस आयोग की कार्यप्रणाली 2006 से शुरू हुई। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन श्री सैम पित्रोदा है। 13 जून 2005 को श्री सैम पित्रोदा ( Sri Sem Pitroda ) की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग,2005-09 NKC ,2006-09 इसके विकास और भारत के विकास को एक नजर से देखा जाता है भारत की वर्तमान स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय ज्ञान आयोग को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग 2005-09 National Knowledge Commission , NKC 2006-09
20 वी शताब्दी में संसार मे ज्ञान के क्षेत्र में भारी विस्फोट हुआ। हमारे देश के प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह ने देश का विकास करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता का अनुभव किया। इसी कारण 13 जून , 2005 को श्री सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में इस आयोग में इस आयोग का गठन किया। इस आयोग में अध्यक्ष पित्रोदा के अतिरिक्त देश के जाने माने 7 विशेषज्ञ सदस्य और थे। इस आयोग ने अपना कार्य 2006 मे शुरू किया। इस आयोग के चेयरमैन श्री सैम पित्रोदा है ।
” हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के सभी स्तरों पर ज्ञानवर्द्धक आधार के निर्माण में निवेश करना चाहिए , दोनों ही प्रकार की उत्कृष्टता में सुधार करने की आवश्यकता हैं। “
मनमोहनसिंह
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के कार्य Functions of National Knowledge Commission –
- कृषि और उद्योग में ज्ञान के प्रयोगों को बढ़ावा देना।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला में ज्ञान के सृजन को बढ़ावा देना।
- बौध्दिक संस्था से संबंधित नवीन ज्ञान के संबंद में ज्ञान का निर्माण करना।
- सार्वजनिक ज्ञान का विकास करना एवं सार्वजनिक लाभ को महत्ता देना।
- 21 वी शताब्दी की ज्ञान की चुनोतियो का सामना करने के लिए शेक्षिक प्रणाली में नवीन ज्ञान का निर्माण करना।
- उद्योगों में 5,000 नोड्स को जोड़ने के लिए राष्टय ज्ञान का निर्माण किया गया था।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफारिशें
Recommendations of the NKC –
आयोग ने अपनी सिफारिसों की रिपोर्ट 4 बार प्रस्तुत की –
2006,2007,2008 ओर फिर 2009 में।
इस आयोग का सम्पूर्ण प्रतिवेदन 2009 में राष्ट के नाम प्रतिवेदन ( Report to the Nation ) के नाम से प्रकाशित हुआ।
इस आयोग का प्रतिवेदन 5 भागो में विभाजित है –
- ज्ञान की सुलभता ( Access to Knowledge ) – ज्ञान की सुलभता में राष्टीय ज्ञान आयोग ने शिक्षा का अधिकार , भाषा , अनुवाद , पुस्तकालय , राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क , पोर्टल , स्थापित सूचना नेटवर्क है।
- सृजन ( Creation ) – सृजन के अन्तर्गत 5 बिन्दुओ पर प्रकाश डाला गया राष्टीय विज्ञान और सामाजिक विज्ञान फॉउन्डेशन , सरकारी वित्तपोषित कानूनी तंत्र , बौद्धिक अधिकार , नवाचार , उद्यमशीलता।
- ज्ञान के सिद्धानत ( Knowledge Concept ) – ज्ञान के सिद्धांत के तहत स्कूली शिक्षा , व्यावसायिक शिक्षा , उच्च शिक्षा , विधिक शिक्षा , चिकित्सीय शिक्षा , इंजीनियरिंग शिक्षा , मुक्त ओर दूरस्थ शिक्षा , उत्तम पीएच०डी०।
- सेवाएं ( Services ) – सेवाएं में भारत निर्माण , ग्रामीण रोजगार गारंटी आदि की शुरुआत ई-प्रशासन व्यवस्था के द्वारा लागू किये जाने पर बल देना।
- अनुप्रयोग ( Applications ) – अनुप्रयोग के तहत परम्परागत चिकित्सा , कृषि , जीवन स्तर में सुधार लाना यह सभी अनुप्रयोग में समावेश किया गया।
राष्टीय ज्ञान आयोग की मुख्य सिफारिशें
Main recommendations of the National Knowledge Commission –
A. शिक्षा प्रशासन एवं वित्त संबंधी सुझाव –
- शिक्षा में सरकार से निवेश बढ़ाने की मांग की गई इस सिफारिश में।
- स्कूल में समय को ध्यान में रखना चाहिए और अध्यापक भर्ती में आसानी लानी चाहिए।
- शिक्षा के प्रशासन का विकेन्द्रीकरण किया जाना चाहिए।
- निजी स्कूलों को दी जाने वाली सहायता में थोड़ा लचीलापन लाना चाहिए।
- राष्टीय मूल्यांकन निकाय स्थापित करना।
B. शिक्षा के संगठन से जुड़ी आयोग की सिफारिशें-
- आयोग उच्च शिक्षा में पूर्व निर्धारित स्नातक , परास्नातक एव अनुसंधान की संकल्पना को ही स्वीकारता है।
- आयोग स्कूली शिक्षा को दो वर्गों में विभाजित करता है – प्रारंभिक ओर माध्यमिक।
- आयोग के अनुसार विभिन्न शिक्षण तथा अनुसंधान संस्थाओ के साथ विशेषयज्ञ एव सरकारी अधिकारों के मध्य विचार – विमर्श के लिए नेटवर्क तैयार करना।
C. स्कूली शिक्षा से जुड़ी आयोग की सिफारिशें
- शुरुआत से ही अंग्रेजी पर बल दिया जाना चाहिए।
- स्कूल में सामाजिक सेमिनारों का आयोजन करना।
- 3 री कक्षा से एक विषय अंग्रेजी में पढ़ाया जाना चाहिए।
- स्कूल अध्यापको को 5 वर्ष के लिए ट्रेनिंग के तौर पर किसी विशेष स्थान पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
- अध्यापको के स्व-मूल्यांकन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
D. उच्च शिक्षा से जुड़ी आयोग की सिफारिशें
- उच्च शिक्षा में कोर्स क्रेडिट प्रणाली अपनाई जानी चाहिए।
- देश मे लगभग 1500 विश्वविद्यालय होने चाहिए।
- आंतरिक मूल्यांकन में सिर्फ 25% अंक देने चाहिए तथा बाद में उसे धीरे – धीरे बढ़ाकर 50% करना चाहिए।
- उच्च शिक्षा देने वालों 50 राष्ट्रीय विश्वविधालय खोले जाने चाहिए।
E. शिक्षक शिक्षा से जुड़ी आयोग की सिफारिशें
- प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए उचित नीति-नियमो का निर्माण किया जाना चाहिए।
- शिक्षण कार्य मे लगने से पहले उनके लिए उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।
- सेवाकालीन प्रशिक्षणों में सुधार लाना चाहिए एवं उनके क्षेत्र को व्यापक बनाना चाहिए।
- अध्यापकों के विचारों एवं उनको अनुभव प्रदान कराने के लिए ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था करनी चाहिए।
निष्कर्ष –
राष्टीय ज्ञान आयोग ने ऐसे कोई सुझाव नही दिए हैं जो पहले राष्टीय शिक्षा आयोग 1964-66 और राष्टीय शिक्षा नीति,1986 ने ना दिए हो परंतु राष्टीय ज्ञान आयोग ने कुछ विशेष मुद्दों पर विशेष बल दिया। जैसे- शिक्षा के प्रशासन का विकेन्द्रीकरण, स्कूली शिक्षा की सर्वसुलभता, स्कूली शिक्षा में कक्षा 1 से ही मातृभाषा के साथ अंग्रेजी भाषा की शिक्षा की अनिवार्यता पर विशेष बल दिया।
अंत मे अगर इस (National Knowledge Commission in hindi) पोस्ट से आपको कुछ फायदा हुआ हो तो इसे दुसरो के साथ भी share करे ताकि दुसरो को भी इसका फायदा हो सके । इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद और बहुत शुक्रिया। ऐसी ही ओर भी पोस्ट को पड़ने के लिए नीचे दिए गए links पर click करें या हमारी वेबसाइट पर जाकर देखें ।
संबंधित पोस्ट –
Nice information
Keep growing.
Knowledgeable information.
All doubts clear.
thank you
Nice information
Imoprant information share
Very useful information
Important information about NKC.. thank you.
Thank you sir ji
Thank u sir
Nice information thanks