पंचायती राज व्यवस्था Panchayati Raj System वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत सत्ता का विकेंद्रीकरण किया जाता हैं और सत्ता एवं प्रशासकीय शक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता हैं। ऐसा इसीलिए किया जाता हैं जिससे राष्ट्र के प्रत्येक क्षेत्र में विकास की योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा सकें।
पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत एक क्षेत्र विशेष में स्थानीय स्वशासन (Self Government) की व्यवस्था की जाती हैं। आज हम पंचायती राज के संबंध में विस्तारपूर्वक अध्ययन कारिंगे और जनिंगे कि पंचायती राज व्यवस्था क्या हैं? What is Panchayati Raj System.
पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System)
पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System) की शुरुआत पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले से की एवं 11 अक्टूबर 1959 को आंध्रप्रदेश में भी पंचायती राज व्यवस्था का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात इसी तरह अनेक राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में पंचायती राज व्यवस्था का उदघाटन किया गया। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की सीमा में लाया जा सकें।
पंचायती राज व्यवस्था का निर्माण करने का उद्देश्य यह था कि सरकारी योजनाओं को दूर-दूर तक पहुचाया जा सकें। जिससे राष्ट्र का विकास तीव्र गति से हो। इसकी कुछ कमियो को पूरा करने हेतु 73वाँ संवैधानिक संशोधन किया गया। इस संशोधन में पंचायती राज व्यवस्था का प्रावधान भाग-9 अनुछेद 243 एवं अनुसूची-11 में किया गया।
73वाँ संवैधानिक संशोधन की प्रमुख विशेषता
● इस संवैधानिक संशोधन के अंतर्गत राज्य मे त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का प्रावधान रखा गया।
● ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, खंड स्तर पर पंचायती समिति एवं जिला स्तर पर जिला परिषद की व्यवस्था की गई।
● पंचायती राज में महिलाओं को एक तिहाई हिस्सा प्रदान किया गया।
● पंचायती राज व्यवस्था का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया।
पंचायती राज व्यवस्था का संगठन (Organization of Panchayati Raj System)
पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत का गठन किया जाता हैं। इसे ऊपर ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति एवं जिले स्तर पर जिला परिषद होती हैं-
● ग्राम पंचायत – ग्राम पंचायत का निर्माण ग्रामीण स्तर हेतु किया जाता हैं। जिसका लक्ष्य किसी निश्चित क्षेत्र के विकास में अपनी भूमिका निभाना होता हैं। ग्राम पंचायत का चुनाव ग्राम सभा द्वारा किया जाता हैं।
ग्राम पंचायत के सभी सदस्यों का चुनाव ग्राम की जनता द्वारा किया जाता हैं। ग्राम पंचायत का एक सरपंच होता हैं जिसे ग्राम पंचायत का मुख्या भी कहा जाता हैं।
● पंचायत समिति – पंचायत समिति ग्राम पंचायत के श्रेष्ठ में स्थित समिति हैं। इस समिति में अनेकों संवैधानिक पद पर नियुक्त व्यक्ति इसके सदस्य होते हैं। इसका कार्यक्षेत्र तहसील व ब्लॉक स्तर पर होता हैं। इस समिति में हर पांच वर्ष के पश्चात चुनाव आयोजित करवाए जाते हैं।
इसके सदस्यों में लोकसभा के सदस्य,विधानसभा के सदस्य, नगरपालिका, समस्त प्रधान,अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य आदि होते हैं। इस समिति का सचिव पंचायत समिति का विकास अधिकारी होता हैं।
● जिला परिषद – यह श्रेष्ठ एवं उच्च परिषद के तौर पर कार्य करती हैं। इसका कार्य ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के कार्यों को देखना एवं उनका आवश्यकता पड़ने पर मार्गदर्शन करना हैं। इस परिषद का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण जिला होता हैं। यह निचली समितियों को आवश्यक पड़ने पर अनुदान मोहैया करवाती हैं।
इस परिषद में जिलाधिकारी (DM) की बेहद अहम भूमिका होती हैं। इस समिति में समस्त पंचायत समिति के प्रधान मुख्यतः सम्मिलित होते हैं। अर्थात सम्पूर्ण जिले के प्रत्येक क्षेत्र से इन समितियों में अहम भूमिका निभा रहे सदस्य इस परिषद के सदस्य होते हैं।
जिला परिषद पंचायती राज की उच्च इकाई के रूप में कार्य करती हैं। इस परिषद का मुख्य कार्य निम्न समितियो के कार्यो एवं योजनाओं में समन्वय स्थापित करना होता हैं और राज्य सरकार व समितियों के मध्य कड़ी के रूप में कार्य करना होता हैं।
अशोक मेहता समिति रिपोर्ट
पंचायती राज व्यवस्था में इस समिति की रिपोर्ट की बेहद अहम भूमिका हैं। जहाँ बलवंत राय मेहता समिति की रिपोर्ट त्रिस्तरीय व्यवस्था की बात करती है, वहीं अशोक मेहता समिति की रिपोर्ट दृस्त्रीय व्यवस्था की बात करती हैं। यह हम इस समिति को इसीलिए महत्व दे रहे हैं क्योंकि इस समिति की सिफारिसों को अत्यधिक रूप में स्वीकार किया जाता हैं।
यह समिति जिला स्तर एवं मंडल पंचायत (जिसमें समस्त ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिनिधि हो) की पक्षधर थी। परन्तु इसने जिला स्तर की पंचायत को अधिक महत्व प्रदान किया और उसे अनेकों जिम्मेदारियों सौंपने का सुझाव दिया।
पंचायती राज व्यवस्था के कार्य (Functions of Panchayati Raj System)
1) स्वास्थ संबंधित कार्य – पंचायती राज व्यवस्था में विद्यमान समितियों का मुख्य कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ संबंधित योजनाओं का सुचारू रूप से संचालन करना एवं सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में लागू करना व क्रियान्वयन करना होता हैं।
2) शिक्षा संबंधित कार्य – ग्रामीण क्षेत्रों में बालकों की शिक्षा की व्यवस्था करना। निर्धन वर्ग के छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान करना एवं छात्रवृति की उचित व्यवस्था करना होता हैं। विद्यालयों की मरम्मत करवाना एवं छात्रों की शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने हेतु कार्य करना।
3) कृषि एवं पशुपालन संबंधित कार्य – ग्रामीण क्षेत्रों के जीवनयापन का सबसे बड़ा स्रोत कृषि व पशुपालन होता हैं। इसी महत्ता को देखते हुए पंचायत समितियों का यह कार्य है कि वह कृषि एवं पशुपालन की उचित व्यवस्था करें। किसानों को सभी सुविधाए प्रदान करें। जिससे वह अपना आर्थिक विकास कर सकें एवं इससे संबंधित सभी समस्याओं का समाधान करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारत सदैव से ही कृषि प्रधान देश रहा हैं। भारत राष्ट्र की इस महत्ता एवं आवश्यकता को देखते हुए यह आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रो का विकास किया जाए। जिससे देश का विकास तीव्र गति से हो सकें।
तो दोस्तों आज आपने पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System in Hindi) के संबंध मे ज्ञान अर्जित किया। अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।
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