विकास के सिद्धांत (Principles of Development) को समझने से उपरांत यह समझना अति आवश्यक है, कि विकास क्या हैं? विकास के अर्थ को हम सामान्यतः एक बदलाव के रूप में देखते हैं, अर्थात किसी भी स्थिति में जो एक चरण से दूसरे चरण में जाता हैं, अर्थात उसकी स्थिति में जो भी बदलाव आता है हम उसे विकास कहते हैं।
विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं, क्योंकि बदलाव दिन-प्रतिदिन आते हैं। विकास की कोई सीमा नही होती। विकास जन्म से मृत्यु तक निरंतर चलते रहता हैं। तो दोस्तों, आइए अब जानते है कि विकास के सिद्धांत (Principles of Development) क्या हैं?
विकास के सिद्धांत Principles of Development in Hindi
क्या आप जानते हैं कि सिद्धांत कहते किसे हैं? सिद्धान्त को प्रायः एक ऐतिहासिक धारणाओं एवं विचारों के रूप में स्वीकार किया जाता हैं। सिद्धांत एक मानक होता हैं। जिसके आधार पर किसी भी वस्तु की व्याख्या की जाती हैं। इसमें किसी निश्चित सिद्धांत के आधार पर ही किसी वस्तु को परिभाषित किया जाता हैं।
इसी तरह विकास के भी अपने कुछ मानक हैं, जिसके आधार पर चलकर विकास की व्याख्या की जाती हैं। इन्ही विकास के सिद्धांतो principles of development के अनुरूप हम विकास के अर्थ,कार्य,प्रक्रिया एवं सीमा का निर्धारण सुनिश्चित करते हैं। विकास के निम्न सिद्धांत हैं-
1) विकास की दिशा का सिद्धांत (Principle of development direction
2) निरंतर विकास का सिद्धांत (Principle of continuous development)
3) व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत (Principle of individual differences)
4) विकास क्रम का सिद्धांत (Theory of evolution)
5) परस्पर संबंध का सिद्धांत (Reciprocal principle)
6) समान प्रतिमान का सिद्धांत (Principle of common pattern)
7) वंशानुक्रम सिद्धांत (Inheritance principle)
8) पर्यावरणीय सिद्धांत ( Environmental principles)
1- विकास की दिशा का सिद्धांत – इस सिद्धांत का यह मानना हैं कि बालकों के विकास सिर से पैर की तरफ होता हैं,मनोविज्ञान में इस सिद्धांत को सिरापुछिय दिशा कहा जाता हैं। जिसके अनुसार पहले बालको के सिर का उसके बाद उसके नींचे वाले अंगों का विकास होता हैं।
2- निरंतर विकास का सिद्धांत – यह सिद्धांत मानता हैं कि विकास अचानक नहीं होता बल्कि विकास की प्रक्रिया धीरे-धीरे पहले से ही चलते रहती हैं परंतु इसकी गति में बदलाव आते रहता हैं,अर्थात कभी विकास तीव्र गति से होता हैं तो कभी निम्न गति से।
3- व्यक्तिगत भिन्नता का विकास – इस सिद्धांत के अनुसार विकास प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न तरीको से होता हैं। दो व्यक्तियों में एक समान विकास प्रक्रिया नहीं देखी जा सकती। जो व्यक्ति जन्म के समय लंबा होता है, तो वह आगे जाकर भी लंबा व्यक्ति ही बनेगा। एक ही उम्र के दो बालकों में शारीरिक,मानसिक एवं सामाजिक विकास में भिन्नताएँ स्प्ष्ट देखी जा सकती हैं।
4- विकास क्रम का सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का विकास निश्चित क्रम के अनुसार ही होता हैं, अर्थात बालक बोलने से पूर्व अन्य व्यक्ति के इशारों को समझकर अपनी प्रतिक्रिया करता हैं। उदाहरण- बालक पहले स्मृति स्तर में सीखता हैं फिर बोध स्तर फिर अंत में क्रिया करके।
5- परस्पर संबंध का सिद्धांत – बालक के शारीरिक, मानसिक,संवेगात्मक पक्ष के विकास में एक प्रकार का संबंध होता हैं,अर्थात शारीरिक विकास के साथ-साथ उसके मानसिक विकास में भी वृद्धि होती हैं और जैसे-जैसे उसका मानसिक विकास होते रहता हैं वैसे-वैसे वह उस मानसिक विकास को क्रिया रूप में परिवर्तन करते रहता हैं।
6- समान प्रतिमान का सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का विकास किसी विशेष जाति के आधार पर होता हैं। जैसे व्यक्ति या पशुओं का विकास अपनी-अपनी कुछ विशेषताओं के अनुसार होता हैं।
7- वंशानुक्रम सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का विकास उसके वंश के अनुरूप होता हैं, अर्थात जो गुण बालक के पिता,दादा में होते है,वही गुण उनके शिशुओं को मिलते हैं। जैसे अगर उनके वंश में सभी की लंबाई ज्यादा होती हैं तो होने वाला बच्चा भी लंबा ही होता हैं।
8- पर्यावरणीय सिद्धांत – यह सिद्धांत वंशानुक्रम सिद्धांत के अनुरूप हैं। यह मानता हैं कि व्यक्ति का विकास उसके आस-पास के वातावरण पर निर्भर करता हैं, अर्थात पर्यावरण जिस प्रकार का होगा व्यक्ति का विकास भी उसी दिशा की ओर होगा।
तो दोस्तों, आज आपने जाना कि विकास के सिद्धांत (Principles of Development in Hindi) क्या-क्या हैं। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें। अन्य किसी प्रकरण में जानकारी पाने हेतु हमारी सभी पोस्टों को ध्यानपूर्वक पढ़े।
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Hii
hlo ravishankar
बाल विकास सब्जेक्ट
Hi c.tet mein kaun se writer ki book le bta skte h
कृति आप अरिहंत की किताबें और लुसेंट की किताबों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। हमारे अनुसार वो आपके लिए उत्तम होगी।
Apke in notes se Exam mai bohut madad milegi sir 😊
hume yh jankar harsh hua sumit…
Bhuth acha
Thank you sir….
Hlo sir , m de.el.ed krri hu gwalior se aap bta skte ha koi practice paper s, sample paper etc
Nisha ap sample paper ke liye internet ka upyog kar sakte hain ya ap kisi book sheller ke pass ja sakte hain…
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Apne achha explain kiya hai
Dhnyawad apko
Bahut dhanyawad sir
Exam me bhut help hue sir apke iss Post se thankful for you
Vedprakash hmme khushi hai ki hamari post apke kam a rhi hain
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Palak acchi bt hain hamari kamna hain apka bhavishy ujjvval ho
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