मुदालियर आयोग के सुझाव ने शिक्षा के स्तर को सुधारने में अपना अहम योगदान दिया है आधुनिक शिक्षा की नींव मुदालियर आयोग के सुझाव द्वारा ही संभव हो पाई है। मुदालियर आयोग के सुझाव व माध्यमिक शिक्षा के सुझाव के द्वारा शिक्षा को व्यवसायपरख बनाया गया है एवं छात्रो के लाभ अनुसार ही शिक्षा को नई दिशा में ले जाना संभव हो पाया है।
आज हम मुदालियर आयोग के सुझावों का विस्तारपूर्वक अध्ययन करिंगे इसको समझने के लिए आपको इसको अंत तक पड़ना अति आवश्यक है। यह आपके आगामी परीक्षा में आपके लिए काफी हद तक लाभदायक रहने वाली हैं।
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मुदालियर आयोग के प्रमुख सुझाव (Suggestions of Mudaliar Commission)
मुदालियर आयोग (Mudaliar Commission) ने अपने प्रतिवेदन में सर्वप्रथम तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा आयोग के दोषों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है और बाद में उन्हें दूर करने और माध्यमिक शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए मुदालियर कमीशन ने अपने सुझावों को प्रस्तुत किया है।
तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा की समस्याएं (Fault of Secondary Education)
1) सभी राज्यो में माध्यमिक शिक्षा व्यावहारिक नही है एवं यह छात्रो के वास्तविक जीवन से संबंधित नही है।
2) शिक्षण विधिया लाभदायक नही है उचित शिक्षण विधियों का प्रयोग नही किया जाता है।
3) यह छात्रो में अनुशासन, सहयोग, नेतत्व आदि का विकास नही करती।
4) विद्यालयों की समय-सारणी उचित नही है।
5) माध्यमिक शिक्षा की परीक्षा प्रणाली उचित नही है इससे छात्रो का उचित मूल्यांकन कर पाना उचित नही है।
6) माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रमो संकीर्ण एवं एकांगी है, ये बच्चो का सर्वांगीण विकास नही करतीं।
माध्यमिक शिक्षा के संगठन सम्बन्धी सुझाव (Organization Related Suggestions of Secondary Education)
- यह शिक्षा 11 से 17 उम्र के छात्रों के लिए हो और इसकी अवधि 7 वर्ष की होनी चाहिये।
- माध्यमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा के बाद शुरू होनी चाहिए।
- यह दो भागों में विभाजित हो -3 वर्षीय माध्यमिक (सीनियर बेसिक) ओर 4 वर्षिय उच्च माध्यमिक।
- बड़े शहरों में पालीटेक्निक कॉलेज खोले जाए।
- विकलांग छात्रो के लिए अलग से विशिष्ट विद्यालय खोले जाए।
- बालिकाओ के लिए अलग से बालिका विद्यालय खोले जाए एवं जिन जगह पर यह संभव नही है वहां पर माध्यमिक विद्यालयों में सहशिक्षा की व्यवस्था की जाए।
- उच्चतर माध्यमिक स्तर पर बहुउद्देश्यीय स्कूल ( Multipurpose Schools) खोले जाए।
माध्यमिक शिक्षा के प्रशासन एवं वित्त संबंधित सुझाव (Tips Related to Administration and Finance of secondary education)
(1) प्रशासनिक ढाचा – इस सम्बंध में मुदालियर आयोग ने निम्न सुझाव दिए:
- केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की तरह प्रांतीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की स्थापना की जाए जो राज्यो को शिक्षा के संदर्भ में सलाह प्रदान करे।
- जिन प्रान्तों ने अभी तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का गठन नही किया है उनमें इनका गठन किया जाए।
- तकनीकी शिक्षा के लिए सभी प्रान्तों में तकनीकी शिक्षा बोर्ड (Board of Technical Education) की स्थापना की जाए।
- शिक्षा निर्देशन का कार्य शिक्षा मन्त्री को सलाह देना हैं।
(2) वित्त व्यवस्था – इस सम्बंध में मुदालियर आयोग ने निम्न सुझाव दिए:
- सरकार माध्यमिक स्कूलों के निर्माण के लिए भूमि की व्यवस्था निःशुल्क करें।
- माध्यमिक शिक्षा में तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था के लिए उद्दोगों पर कर लगाया जाए।
- माध्यमिक विद्यालयों को दिया जाने वाला दान आयकर से मुक्त होना चाहिए।
- प्रान्तीय सरकारों को माध्यमिक शिक्षा पर निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार होना चाहिये एवं केंद्र को प्रान्तों को इसके लिये आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- माध्यमिक शिक्षा द्वारा खरीदी गई वस्तुओ को कर से मुक्त रखना चाहिए।
(3) विद्यालयो को मान्यता देना – इस सम्बंध में मुदालियर आयोग ने निम्न सुझाव दिए:
- मान्यताओ देने संबंधित मानको का कठोरता से पालन किया जाना चाहिए।
- मान्यता देने के बाद जो समितियां उसे चलाने में असमर्थ दिखाई दे उनको चेतावनी देनी चाहिए उसके पश्चात भी वो उत्तरधायित्व ना निभा पाए तो ऐसे विद्यालयो की मान्यता रद्द कर देनी चाहिये।
(4) विद्यालयों का निरीक्षण संबंधित सुझाव- इस सम्बंध में मुदालियर आयोग ने निम्न सुझाव दिए:
- विद्यालय के निरीक्षण के लिए उचित संख्या में निरीक्षणकर्ता की नियुक्ति की जाएं।
- निरीक्षण के लिए माध्यमिक शिक्षा के प्रधानाचार्य एवं प्राध्यापको की नियुक्ति की जाए।
- निरीक्षणकर्ता विद्यालयो के गुण-दोषो को प्रकट करे और उन कमियों को दूर करे जो सामने आई हो।
- विद्यालयो का निरीक्षण उचित समय अंतराल के दौरान किया जाए।
माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्य सम्बन्धी सुझाव (Suggestions Related to the Purpose of Secondary Education)
आयोग ने तत्कालीन शिक्षा के उद्देश्यों को अर्थहीन बताया एवं नवीन उद्देश्यों की प्रस्तुति भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जो निम्न प्रकार हैं।
- छात्रो में नेतृव (Leadership) क्षमता का विकास करना।
- छात्रो के व्यक्तित्व का विकास करना।
- छात्रो का सर्वांगीण विकास करना।
- छात्रो में जीविकोपार्जन क्षमता का विकास करना।
- छात्रो में लोकतांत्रिक नागरिकता के गुणो का विकास करना।
माध्यमिक शिक्षा की पाठ्यचर्या संबंधित सुझाव (Curriculum Related Tips for Secondary Education)
आयोग ने माध्यमिक शिक्षा की पाठ्यचर्या हेतु निम्नलिखित सुझाव भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किये।
- पाठ्यचर्या का निर्माण उनकी वास्तविक स्थिति के अनुरूप होना चाहिए जिससे वह समाज के साथ समायोजन कर सके एवं जीविकोपार्जन लायक बन सके।
- पाठ्यचर्या व्यापक एवं लचीली होनी चाहिए जिससे समय के साथ उस पर बदलाव किया जा सके जिससे समाज की आवश्यकताओ की पूर्ति की जा सके।
- पाठ्यचर्याओ के विषयों एवं क्रियाओ में सहसंबंद स्थापित हो ।
- पाठ्यक्रम में ऐसे विषय भी हो जिसके द्वारा वो खाली समय मे समय का लाभ उठा सके तथा समय का सद्प्रयोग कर सके।
शिक्षण विधि संबंधी सुझाव (Teaching Method Tips)
रटने की विधि से ज्यादा ध्यान समझने की विधी पर बल दिया जाना चाहिए जिससे छात्रो को दिया गया ज्ञान स्थाई हो सके एवं उन्हें लंबे समय तक याद हो सके।
- स्वाध्याय विधि को प्रमुखता दी जानी चाहिए।
- प्रयोगिक विषयो को प्रयोग विधि द्वारा पढ़ाया जाना चाहिए।
- प्रकरण (Topic) को सहायक सामग्रियों के द्वारा उचित उदाहरण द्वारा समजाना चाहिए।
- सीखे हुए ज्ञान को छात्रो की क्रियाओ द्वारा प्रकट करने का उन्हें अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे उनका अर्जित ज्ञान स्थाई हो सके।
माध्यमिक शिक्षको के संबंध में सुझाव (Tips Regarding Secondary Teachers)
शिक्षण प्रशिक्षण में योग्य विद्याधियो का ही प्रवेश किया जाए जिससे भारत की शिक्षण व्यवस्था प्रभावशाली बन सके।
- शिक्षको के बच्चो को माध्यमिक स्तर की शिक्षा तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाए।
- महँगाई के आधार पर शिक्षको के वेतन में भी वृद्धि की जाए।
- प्रधानाचार्य को अधिक वेतन दिया जाए जिससे उस पद पर उचित व्यक्ति की नियुक्ति की जा सके।
- शिक्षको को ट्यूशन पढ़ाने की अनुमति नही दी जानी चाहिए।
- शिक्षको को मुफ्त चिकित्सक सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
- समान योग्यता एवं समान कार्य करने वाले शिक्षकों को एक समान वेतन दिया जाना चाहिए।
माध्यमिक शिक्षा के छात्रो के लिए परीक्षा संबंधित सुझाव (Examination Related Suggestions for Secondary Education Students)
- परीक्षाओ को वस्तुनिष्ठ बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
- छात्रो के मूल्यांकन के रिजल्ट के आंकड़े सूची बनाकर उसे रिकॉर्ड के रूप में रखने चाहिए।
- मूल्यांकन का परिणाम अंको में न होकर ग्रेड पर होना चाहिए।
- निबन्दात्मक परीक्षाओ में सुधार किया जाना चाहिए।
स्त्री शिक्षा के संबंद में सुझाव (Tips Related to Women’s Education)
- माध्यमिक शिक्षा में ग्रह विज्ञान की अलग से व्यवस्था की जाए।
- बालिका विद्यालय की स्थापना की जाए।
- बालिकाओ को भी शिक्षा के समान अवसर प्रदान किये जाने चाहिए।
- एव सह शिक्षा की भी व्यवस्था की जाए।
माध्यमिक स्तर की व्यावसायिक शिक्षा संबंधित सुझाव (Secondary Level Vocational Education Tips)
- माध्यमिक विद्यालयों में हाथ से बनने वाली वस्तुओं की शिक्षा को अनिवार्यता दी जाए।
- माध्यमिक स्कूलों को बहुउद्देश्यीय स्कूलों में परिवर्तित किया जाए।
- बड़े शहरों में पालिटेक्निक विद्यालयो की स्थापना की जाए।
- शिक्षा को समाज की आवश्यकताओ के अनुरूप बनाया जाए।
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