स्मृति (Memory) एक मानसिक प्रक्रिया हैं जो प्रत्येक प्राणी में किसी न किसी मात्रा में अवश्य पाई जाती हैं। जब मनुष्य किसी वस्तु, पदार्थ या स्थान को देखता हैं तो उस वस्तु, पदार्थ या स्थान की प्रतिमा या चिन्ह (Engrams) उसके मस्तिष्क में बन जाता हैं। इन्ही चिन्हों को सामान्यतः स्मृति कहा जाता हैं।
सामान्यता प्रत्येक व्यक्ति में स्मृति की क्षमता अलग-अलग हो सकती हैं। जैसे कई व्यक्तियो की स्मृति क्षमता इतनी कमजोर होती हैं कि उनका मस्तिष्क चिन्हों को भली-भांति स्टोर करके नही रख पाता। जिस कारण वह जल्दी चिन्हों या जगहों को भूलने लगते हैं।
दोस्तों आज में आपको इस पोस्ट के माध्यम से विस्तृत रूप से बताने वाला हु की स्मृति क्या हैं, स्मृति की परिभाषा और स्मृति की अवस्थाएं। यदि आप B.Ed जैसा कोर्स कर रहे हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बेहद लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं। तो चलिए जानते हैं कि स्मृति क्या हैं? What is Memory
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स्मृति क्या हैं? – What is Memory
जैसा कि हमने आपको बताया स्मृति क्या हैं अब दूसरे शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं। हम जब किसी वस्तु को देखते हैं तो हमारे अचेतन मन मे उस वस्तु के अनुभव बनकर स्टोर होते रहते हैं। इन्ही संचित किये हुए भूतकालीन अनुभवों को आवश्यकता पड़ने पर जब हम प्रत्यसमरण द्वारा पुनः चेतना में लाकर पहचान लेते हैं तो वह स्मृति कहलाती हैं।
स्मृति की परिभाषा (Definition of Memory)
स्मृति के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम निम्नलिखित बुद्धिजीवियों के कथनों को समझ सकते हैं-
1. मगडुगल महोदय के अनुसार: “स्मृति का तात्पर्य भूतकालीन घटनाओं के अनुभव की कल्पना करना हैं और पहचान लेना हैं कि वह अपने ही भूतकालीन अनुभव हैं।”
2. जे० एस० रास महोदय के अनुसार: “स्मृति एक नया अनुभव हैं जो पूर्व अनुभवों की स्थितियों द्वारा निर्धारित होता हैं तथा दोनों के बीच का संबंध स्पष्ट समझा जाता हैं।”
3. स्टाउट महोदय के अनुसार: “स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति हैं जिसमे अतीत काल के अनुभव उसी क्रम तथा ढंग से जागृत होते हैं जैसे वे पहले हुए थे।”
4. वुडवर्थ महोदय के अनुसार: “सीखें हुए अनुभवों के सीधे उपयोग को स्मृति कहते हैं।”
हमारे द्वारा बताई गई इन परिभाषाओं को समझने और देखने के बाद अब आप भली-भांति स्मृति के अर्थ को समझ गए होंगे। तो चलिए अब स्मृति की अवस्थाओं को समझ लेते हैं।
स्मृति की अवस्थाएं – Phases of Memory
स्मृति की अवस्थाओं को 4 भागों में विभाजित किया जाता हैं जिन्हें निम्न प्रकार देखा व समझा जा सकता हैं-
1. अधिगम (Learning) – स्मृति केवल अधिगम अथवा अनुभवों के अंकित होने पर आधारित होती हैं। जिस कारण स्मृति की पहली अवस्था किसी वस्तु अथवा तथ्य के सीखने की हैं। सीखने का कार्य चेतन मन करता हैं। इसी अवस्था मे जीवन के अनुभव मानसिक संस्कारो के रूप में हमारे मस्तिष्क में अंकित हो जाते हैं।
2. धारण (Retention) – सीखी हुई पाठ्यवस्तु को मस्तिष्क में स्थायी रूप से बनाये रखना धारण कहलात हैं। अर्थात यदि आप किसी रास्ते में जा रहे हो। तो आप कितने लंबे समय तक उस रास्ते को याद रख पाते हो। उसे हम व्यक्ति की धारण क्षमता या धारण कहते हैं।
कई मनोवैज्ञानिकों का मत हैं कि व्यक्ति के अंदर धारण क्षमता 25 वर्ष में सबसे अधिक होती हैं। किसी भी व्यक्ति की धारण शक्ति 4 बातों पर निर्भर करती हैं- मानसिक, स्वास्थ, रुचि और चिंतन या दर्शन
3. प्रत्यास्मरण (Recall) – सीखे हुए ज्ञान को आवश्यकता पड़ने पर उसे याद करना और पहले के अनुभव का उपयोग वर्तमान के कार्यों को पूरा करने के लिए करना प्रत्यास्मरण कहलाता हैं। यह व्यक्ति को कई ऐसे कार्यों को करने में सहायता करती हैं जो कार्य वह पूर्व में कर चुके होते हैं।
4. पहचान (Recognition) – किसी वस्तु या व्यक्ति को देखकर यह बता देना की हमने उसे पहले भी कभी देखा हैं पहचान कहलाता हैं। दूसरे शब्दों में पहचान वह मानसिक प्रक्रिया हैं जिसके द्वारा हम किसी वस्तु या व्यक्ति के संपर्क में आकर यह बता देते हैं कि क्या वस्तु हैं अथवा कौन व्यक्ति हैं या उससे हम कब मिलें।
तो चलिए अब स्मृति के वर्गीकरण को भी समझ लेते हैं।
स्मृति का वर्गीकरण – Classification of Memory
1. तात्कालिक स्मृति (Immediate Memory) – तात्कालिक स्मृति उस स्मृति को कहते हैं जिसमें व्यक्ति किसी बात को सीखते ही तुरंत सुना देता हैं। सामान्य शब्दों में कहु तो किसी टॉपिक को रटना और उसी समय अपने अध्यापक को सुना देना, तात्कालिक स्मृति के अंदर आता हैं।
2. स्थायी स्मृति (Permanent Memory) – सीखी हुई बात को अधिक समय तक प्रत्यास्मरण (Recall) कर सकता स्थायी स्मृति कहलाती हैं। दूसरे शब्दों में जिन बातों से हमारा सहचर्य दृढ़ हो जाता हैं वे बाते हमें बहुत दिन तक याद रहती हैं।
3. व्यक्तिगत स्मृति (Personal Memory) – भूतकालीन अनुभवों का प्रत्यास्मरण करते समय हमें उनसे संबंधित अपने निजी या व्यक्तिगत अनुभवों की याद आ जाने को व्यक्तिगत स्मृति कहते है।
4. अव्यक्तिगत स्मृति (Impersonal Memory) – पुस्तको और साथियों से सीखी हुई बातों की याद आना अव्यक्तिगत स्मृति कहलाती हैं। इसमें अपने निजी या व्यग्तिगत अनुभवों का कोई स्थान नहीं होता हैं।
5. सक्रिय स्मृति (Active Memory) – सक्रिय स्मृति में अपने भूतकालीन अनुभवों का प्रत्यास्मरण (Recall) करते समय कुछ प्रयास करने की आवश्यकता महसूस होती हैं।
6. निष्क्रिय स्मृति (Passive Memory) – निष्क्रिय स्मृति में हम को अपने भूतकालीन अनुभवों की याद बिना किसी प्रयास के स्वयं ही आ जाती हैं।
7. यांत्रिक स्मृति (Mechanical Memory) – यांत्रिक स्मृति को आदतजन्य और शारीरिक स्मृति की संज्ञा भी दी जाती हैं। जब शरीरी को किसी कार्य के बार-बार करने की आदत पड़ जाती हैं तो व्यक्ति को उस कार्य के प्रत्यास्मरण करने के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता नही पड़ती।
अच्छी स्मृति की विशेषताएं – Characteristics of Good Memory
अच्छी स्मृति की विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता हैं-
- शीघ्र सीखना (Repidity in Learning)
- धारण का स्थायित्व (Stability of Retention)
- प्रत्यास्मरण में शीघ्रता (Rapidity in Recall)
- उपयोगिता (Serviceableness)
- व्यर्थ की बातों को भूलना (Forgetting Irrelevant Things)
- स्मृति स्तर का शिक्षण (Memory Level of Teaching)
संक्षेप में – Conclusion
स्मृति किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करने या उसको क्रियाशील रखने का भी कार्य करती हैं। यदि किसी व्यक्ति की स्मृति स्तर अच्छा हैं या वह कई चीजों को लंबे समय तक याद रख पाता हैं तो उसके सफल होने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं। जिससे वह जीवन में अच्छा महसूस करता है और जीवनपर्यंत अपनी स्मृति क्षमता का लाभ प्राप्त करता हैं।
तो दोस्तों आज आपने हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जाना कि स्मृति क्या हैं और स्मृति की परिभाषा। हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो। यदि ऐसा है तो अपने विचारों को कमेंट बॉक्स की सहायता से हम तक अवश्य पहुचाये।