गुटनिरपेक्ष आंदोलन (non aligned movement) की शुरुआत तब हुई जब विश्व शीत युद्ध के दौर से गुजर रहा था। अमेरिका और रूस ने नाटो और वारसा जैसे गुटों का निर्माण कर लिया था और विश्व के कई देश इन गुटों की सदस्यता प्राप्त कर रहे थे और अपने-अपने गुटों को मजबूत बनाने के प्रयास में निरंतर क्रियाशील थे। जो देश इन गुटों से सम्मिलित होना नही चाहते थे। उन्हें विश्व में निंदा का पात्र बनना पड़ता था।
देशों को भय था कि इन गुटों में सम्मिलित होकर उनकी स्वतंत्रता और संप्रभुता खतरे में पड़ जाएगी और इन्ही देशों में भारत,मिस्त्र और यूगोस्लाविया जैसे देश थे जिन्होंने नाटो और वारसा गट से पृथक होने की नीति अपनाई और गुटनिरपेक्ष आंदोलन non aligned movement को मजबूती प्रदान की।
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गुटनिरपेक्ष आंदोलन क्या हैं? (What is Non aligned Movement in Hindi)
भारत, मिस्र और यूगोस्लाविया देशों को भय था कि अगर वह नाटो की सदस्यता प्राप्त करते हैं तो रूस से उनके संबंध खत्म हो जाएंगे और अगर वह वारसा गुट की सदस्यता प्राप्त करते हैं तो अमेरिका से उनके राजनैतिक और आर्थिक संबंधों में शत्रुता आ जायेगी। इन देशों ने यह महसूस किया कि दोनों ही स्थिति में हमारे देश का ही नुकसान होगा और हम अपना विकास तीव्र गति से नही कर सकते। जिस कारण इन तीनो देशों के नेताओं (पंडित जवाहरलाल नेहरू, नासिर और मार्शल टीटो) ने इन दोनों गुटों से पृथक होने की नीति का पालन करते हुए गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की। जिसमें यह तय हुआ कि हम इन दोनों गुटों से कोई संबंध स्थापित नहीं कारिंगे।
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गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नीति को अत्यधिक देशों ने सहारा और इसके सदस्य बने शुरुआती दौर में इसके सदस्यों की संख्या सिर्फ 25 थी परंतु वर्तमान समय की हम बात करें तो गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्यों की संख्या 120 हो चुकी है और इस आंदोलन के अभी तक कुल 18 सम्मेलन हो चुके है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन का प्रथम सम्मेलन यूगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में 2 सितम्बर 1961 को हुआ था। इस सम्मेलन में कुल 25 देशों ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नीतियों का निर्माण किया गया था। जिसमे वारसा और नाटो जैसे गुटों से पृथक रहने की बात कही गयी थी। आइए अब जानते हैं कि शीत युद्ध और गुटनिरपेक्ष आंदोलन (non aligned movement) में क्या संबंध हैं?
गुटनिरपेक्ष आंदोलन और शीत युद्ध Cold war and Non aligned movement –
गुटनिरपेक्ष आंदोलन और शीत युद्ध दोनों में घनिष्ठ संबंध हैं क्योंकि गुटनिरपेक्ष आंदोलन का जन्म शीत युद्ध के मध्य में हुआ और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के जन्म का कारण भी शीत युद्ध का तनाव ही था। वहाँ शीत युद्ध में अमेरिका का नाटो और रूस का वारसा गुट का निर्माण हो चुका था ऐसे में देशों को अपनी संप्रभुता की रक्षा करने हेतु गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का रास्ता दिखाई दिया। जिससे वह शीत युद्ध के खतरनाक परिणामों से अपना और अपनी सम्प्रभुता का बचाव कर सकें।
जहाँ उस समय विश्व शीत युद्ध की त्रासदी से पीड़ित था वही गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने उस पर दवाई का कार्य किया। शीत युद्ध जैसे तनाव में कमी आने का एक मुख्य कारण गुटनिरपेक्ष आंदोलन को भी माना जाता हैं। अब यह जानना भी बहुत महत्वपूर्ण हैं कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन किस हद तक सफल हुआ।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की सफलतायें –
गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non aligned Movement) को उसकी चरम सीमा तक पहुँचाना इन तीनों देशों के लिए एक बड़ी चुनोती थी। प्रारम्भ में सभी देशों ने इस आंदोलन का मजाक उड़ाया और इसको काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा परंतु जैसे-जैसे यह आंदोलन बड़ते गया और सभी ने इस आंदोलन को सराहा यह आंदोलन शीत युद्ध को कम करने का एक माध्यम बना। इसने शीत युद्ध के दौर में जल का कार्य किया।
इस आंदोलन के फलस्वरूप विश्व मे शांति की पुनः स्थापना हो सकी। इस आंदोलन ने विश्व का अंत होने से बचाया और शस्त्रीकरण जैसे भयानक स्वरूप को शिथिलता प्रदान की। इसके द्वारा विश्व मे सहयोग, सम्प्रभुता और विश्वबंधुत्व जैसी भावनाओं का विकास हुआ। गुटनिरपेक्ष आंदोलन के इस उद्देश्यों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी सराहा और अपना सहयोग प्रदान किया। अब बात करते हैं कि यह किस कारण अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में असफल रहा।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की असफलताएं
यह आंदोलन के रचनाकार विकासशील देश थे जिनकी विश्व मे शक्तिशाली देशों से तुलना नही की जा सकती थी। इन देशों के पास अन्य देशों की तुलना कम अनुभव था। हाल ही में इन देशों को आजादी मिली थी। जिस कारण कई देश इसके सदस्य नहीं बनना चाहते थे। उन देशों को भय था कि अगर हम इस गुट से मिलते है तो शक्तिशाली देश (अमेरिका-रूस) हम पर कूटनीति माध्यम से हमारी सम्प्रभुता को हानि पहुँचा सकते हैं इस कारण देशों में असुरक्षा का अभाव था।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नीति को स्पष्ट रूप से ना दर्शाया जाना इस आंदोलन की असफलता का मुख्य कारण माना जाता हैं। इस आंदोलन के उद्देश्यों और नीतियों से सम्बंधित अधूरी और अस्पष्ट जानकारी दूसरे देशों को अपनी ओर आकर्षित करने और अपने साथ जोड़ने में असमर्थ रही।
निष्कर्ष –
गुटनिरपेक्ष आंदोलन विकासशील और अविकसित देशों का ऐसा समूह था। जिसने अपने स्वतंत्र सम्प्रभुता को प्रथम स्थान दिया। यह आंदोलन अन्य गुटों से पृथक रहने के लिए चलाया गया था जिसे अपने उद्देश्यों में कई हद तक सफलता मिली और वर्तमान समय मे भी इसका वर्चस्व बना हुआ हैं। दोस्तों आज हमने जाना कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन क्या हैं (What is non aligned movement in Hindi) अगर आपको हमारी यह समस्त जानकारी लाभान्वित लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें और इस पोस्ट पर अपनी राय प्रस्तुत करने के लिए हमें नींचे कमेंट करें।
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