1857 की क्रांति और इसकी शुरुआत

1857 की क्रांति को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से भी जाना जाता हैं और यह नाम वीर सावरकर द्वारा दिया गया था। यह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था क्योंकि इसमें प्रथम बार भारतीय नागरिकों ने अंग्रेजों के कार्यों का विरोध किया। 1857 के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड केनिंग थे। इस विद्रोह का समर्थन हर जगह हो रहा था इसी के साथ हैदराबाद की रियासत ने भी इस क्रांति को अपना समर्थन दिया।

1857 विद्रोह का प्रारंभ मेरठ से हुआ था। इस विद्रोह में सर्वप्रथम व्यक्ति जिन्होंने इसके लिए अपना बलिदान दिया उनका नाम मंगल पाण्डे था। 1857 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बगावत करने हेतु मुख्य रूप से अवध रेजिमेंट खड़ी हुई। तो आइए 1857 की क्रांति के संदर्भ में आज हम विस्तार से जानते हैं। सर्वप्रथम इसकी शुरुआत के बारे में जनिंगे।

1857 की क्रांति की शुरुआत

1857 की क्रांति Revolution की शुरुआत तब हुई जब जनवरी 1857 में दमदम में यह खबर फैली की जिन राइफलों (हथियारों) का प्रयोग किया जा रहा हैं उसके निर्माण में चर्बी का प्रयोग किया जा रहा हैं और इस क्रांति का सबसे मुख्य कारण यही था। इसके निर्माण हेतु जानवरो को मारा जा रहा था और उनकी चर्बी से इसका निर्माण किया जा रहा था।

1857 की क्रांति और इसकी शुरुआत

उसके पश्चात यह सूचना फरबरी 1857 में बेहरामपुर और फिर 29 मार्च को बैरकपुर छावनी में यह खबर फैली। जहाँ 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी के सिपाही मंगल पाण्डे ने चर्बीदार कारतूस के प्रयोग से मना कर दिया और उसके बाद उसने लेफ्टिनेंट बाग और सार्जेन्ट पर गोली चला दी। जिसके पश्चात 8 अप्रैल को उन्हें फांसी की सजा सुना दी गयी। यह तो प्रारंभिक घटना थी जिसके बाद यह विद्रोह बड़े स्तर पर फैला और समस्त भारतीय सैनिक ब्रिटिश सरकार के विरोधी हो गए।

1857 क्रांति का वास्तविक विस्तार 10 मई 1857 को मेरठ से होता हैं। मेरठ की सैनिक टुकड़ी ने शस्त्रागार को लूट लिया और अपने सैनिकों के साथ वो सभी 11 मई को दिल्ली पहुँचे और वहाँ अधिकार कर लिया। उसके बाद उन्होंने वहाँ के मुगल बादशाह बहादुर शाह 2 को अपना नेता चुना।

इसके अलावा जो नेता थे उनमें बख्त खाँ, जॉन निकल्सन और हडसन ने इस विद्रोह को दबाने के लिए उन्होंने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया और वहाँ अपना अधिकार स्थापित कर लिया और सैनिक के विद्रोह को दबाने का प्रयास किया परंतु तब तक यह उग्र रूप ले चुका था और इसकी आग समस्त भारत वर्ष में फैल चुकी थी।

1857 की क्रांति के प्रमुख कारण

1. चर्बीयुक्त कारतूस – 1857 के विद्रोह का प्रमुख कारण चर्बीयुक्त कारतूस था। जिसमें राइफल के निर्माण में चर्बी का प्रयोग किया जाता था जिस कारण इस विद्रोह का प्रारंभ और विस्तार हुआ।

2. राजनीतिक – लॉर्ड डलहौजी की हडपनीति जिसमें वह सभी रियासतों पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता था। अवध और अन्य राज्यों का ब्रिटिश सरकार में विलय एवं ईस्ट इंडिया कंपनी की विस्तारवादी नीति इस विद्रोह के प्रमुख कारण थे।

3. धार्मिक – ईसाई धर्म के विस्तार हेतु लोगो का जबरन धर्मांतरण करवाया जा रहा था। जिससे अन्य धर्मों के लोगो का कंपनी के प्रति आक्रोश बढ़ते जा रहा था। जिसने 1857 विद्रोह को बढ़ावा दिया।

4. आर्थिक – कंपनी द्वारा कर वसूली में वृद्धि करने का कार्य मुख्य रूप से लिया गया था और किसानों को नील एवं अन्य नगदी फसलें उगाने हेतु जबरन बाध्य किया जाता था और ऐसा ना करने पर उनको ब्रिटिश सरकार द्वारा दण्ड देने का प्रावधान था।

5. सैनिक – ब्रिटिश सरकार में भारतीय सैनिकों की कमी अर्थात ब्रिटिश सरकार के समय भारतीयों को सैनिक सेवा में भाग लेने का अधिकार में कटौती की जाती थी जिससे नागरिकों में सरकार के प्रति हीन भावना का विकास हो रहा था।

1857 विद्रोह के परिणाम

● जुलाई 1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी की जगह ब्रिटिश सरकार को इसकी सत्ता सौप दी गयी।

● लॉर्ड डलहौजी की हडपनीति को समाप्त कर दिया गया।

● देशी नरेशों की स्थिति जस की तस बनी रहीं।

● सैनिकों की भागीदारी में वृद्धि की गई जिसमें 2 भारतीय सैनिक में 1 ब्रिटिश सैनिक की नीति को अपनाया गया।

1857 की क्रांति के असफलता के कारण

● नेतृत्व का अभाव – 1857 के क्रांतिकारियों के मार्गदर्शन हेतु प्रभवशाली व्यक्तित्व की कमी थी जिस कारण इसका विस्तार नही हो सका।

● सीमित संसाधन – क्रांति हेतु जिन-जिन संसाधनों की आवश्यकता पड़ती हैं उन साधनों की कमी का अभाव था। जिस कारण इस विद्रोह का विस्तार नही हुआ।

● संगठन का अभाव- 1857 क्रांति में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों में एकजुटता की कमियों के अभाव था सभी क्रांतिकारियों ने इसका विद्रोह प्रथक-प्रथक तरीके से किया। जिस कारण यह विद्रोह उतना सफल नही हो पाया जितना इसे होना चाहिए था।

● समर्थन का अभाव – 1857 के विद्रोह के समय इसको उतना जन समर्थन नहीं मिला जितना जरूरी था और कुछ लोगों की देश-द्रोही गतिविधियों ने भी इसे सफल नहीं होने दिया।

दोस्तों, हम आशा करते हैं कि 1857 की क्रांति के ज्ञान ने आपको विभिन्न सभी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी हेतु आपके ज्ञान का विस्तार किया होगा। अगर आपको हमारी यह पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी हो तो इसे शेयर करें और अगर आपको 1857 की क्रांति के अलावा और किसी प्रकरण पर जानकारी चाहिए हो तो आप हमें नीचें कमेंट करके बता सकते हैं।

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